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बिहार में बढ़ रही मानसिक रोगियों की संख्या, गोपालगंज में प्रतिदिन 20 से 25 रोगी पहुंच रहे अस्पताल

अधिकतर लोग मानसिक समस्याओं को छुपाते हैं. इलाज या परामर्श के लिए अस्पताल नहीं पहुंचते. बाद में यही समस्या गंभीर हो जाती है. चिकित्सकों से दवा मिलने के बाद जब कुछ दिनों में बीमारी में सुधार होता है, तो वे दवा छोड़ देते हैं, जिस कारण फिर से बीमारी शुरू हो जाती है.

पटना/ गोपालगंज. भागदौड़ भरी जिंदगी और काम व जिम्मेदारी के बोझ के बीच गोपालगंज में आये दिन मानसिक रागियों की संख्या बढ़ रही है. एक दिन में औसतन 25 से 30 लोग मानसिक समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. इनमें 10 से 12 नये रोगी होते हैं तथा शेष फॉलोअप के लिए आते हैं. वहीं तीन साल पहले तक प्रतिदिन अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या आठ से 10 थी. बीते साल 2022 में 2420 लोग मानसिक समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंचे. यह तो महज सरकारी आंकड़ा है, अधिकतर लोग मानसिक समस्याओं को छुपाते हैं. इलाज या परामर्श के लिए अस्पताल नहीं पहुंचते. बाद में यही समस्या गंभीर हो जाती है. वहीं अस्पताल पहुंचने वाले लोगों में यह शिकायत है कि चिकित्सकों से दवा मिलने के बाद जब कुछ दिनों में बीमारी में सुधार होता है, तो वे दवा छोड़ देते हैं, जिस कारण फिर से बीमारी शुरू हो जाती है.

असमान दिनचर्या दे रही बीमारियों को जन्म

सदर अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डॉ रत्नेश्वर पांडेय बताते हैं कि काम में व्यस्तता के कारण लोगों की दिनचर्या प्रतिदिन समान नहीं रह पाती, जिस कारण मानसिक बीमारियों की शुरुआत होने लगती है. समय से भोजन न करना, नींद पूरी नहीं होना, कभी दोपहर, तो भी रात में स्नान करना जैसे दैनिक काम जब रोज एक समय पर नहीं होता, तो मन में नकारात्मक सोच तथा चिंता जैसी सोच बढ़ने लगती है.

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क्या है इलाज की व्यवस्था

मानसिक रोगियों के लिए सदर अस्पताल में मनोराेग विभाग बनाया गया है, जिसमें चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक तथा मनोसामाजिक कार्यकर्ता हैं. यहां आने वाले मरीजों की पहले काउंसेलिंग की जाती है. मरीज को पूर्व में किसी तरह की दवा चली है, तो उसकी हिस्ट्री नोट की जाती है. इसके बाद मरीजों को आवश्यक थेरेपी तथा व्यायाम करने की सलाह दी जाती है. आवश्यकता के अनुसार दवाइयां भी दी जाती हैं. समय-समय पर मरीजों को फाॅलोअप भी किया जाता है.

पिछले साल किस बीमारी के कितने मरीज पहुंचे अस्पताल

  • एंग्जाइटी- 1000

  • डिप्रेशन- 250

  • स्ट्रेस डिसऑर्डर- 500

  • सिजोफेनिया- 500

  • नशा- 170

क्या कहते हैं डॉक्टर

क्लिनिकल साइक्लॉजिस्ट डॉ रत्नेश्वर पांडेय कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को लगता है कि पहले से उसके व्यवहार में परिवर्तन आ गया है, तो वे नजदीकी अस्पताल में संपर्क करें. संभव हो, तो मनोरोग विभाग में काउंसेलिंग कराएं. दवा मिलने पर समय से दवा लें तथा फालोअप के लिए समय से अस्पताल पहुंचे. दिनचर्या में योगा व व्यायाम को शामिल करें.

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टेलीमानस पर कॉल करने से मिलेगी मुफ्फ इलाज

बिहार में मानसिक बीमारियों के रोगियों की मुफ्त इलाज की व्यवस्था फोन पर उपलब्ध करायी जा रही है. भारत सरकार द्वारा इसके लिए टेलीमानस मेंटल हेल्थ कार्यक्रम संचालित किया गया है, जिसमें कोई भी व्यक्ति टॉल फ्री नंबर 14416 पर या 18008914416 पर कॉल करके मुफ्त में प्राप्त कर सकता है. बिहार में इस प्रकार की सेवा से अभी तक कुल 4221 मानसिक रूप से बीमार लोगों ने उठाया है. कोइलवर मानसिक आरोग्यशाला समेत प्रदेश के तीन बड़े अस्पतालों से यह सेवा मुहैया करायी जा रही है. मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए बिहार में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना, बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, कोइलवर और जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल, भागलपुर के माध्यम से टॉल फ्री नंबर के माध्यम से परामर्श दिया जाता है.

सिर्फ काउंसेलिंग से दूर हो जाती है 60 प्रतिशत लोगों की बीमारी

राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने बताया कि विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक रोगियों में 60 प्रतिशत लोगों को सिर्फ काउंसेलिंग से ही समस्या का समाधान हो जाता है. ऐसे में जिन मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समस्या है, वह टेलीमानस के टॉल फ्री नंबर 14416 पर कॉल कर मुफ्त परामर्श ले सकते हैं. इसमें मरीजों को कॉल करने और परामर्श में कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि सामाजिक झिझक और ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले मरीजों को जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जाकर इलाज कराने में परेशानी होती है. अब ऐसे लोग घर से ही टेलीमानस के नंबर पर कॉल करके घर बैठे परामर्श प्राप्त कर सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आबादी के 10 प्रतिशत लोगों को किसी न किसी रूप से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समस्या होती है. ऐसे लोगों को टेलीमानस सेवा का लाभ उठाना चाहिए.

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