उन्होंने कहा कि 1986 में गोरामुमो ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर बृहत आंदोलन चलाया था. लेकिन उसी दौरान हमारे गोरखा लोगों ने आंदोलन का विरोध करके हमारे भाग्य में ग्रहण लगा दिया था. इसी तरह से 2007 में गोरखाओं को संवैधानिक व्यवस्था यानी छठी अनुसूची मिलने वाली थी, लेकिन इस बार भी गोजमुमो ने गोरखालैंड के नाम पर छठी अनुसूचि को विरोध किया. दूसरी तरफ गोरखालैंड के नाम पर बने गोजमुमो ने एक असंवैधानिक व्यवस्था जीटीए को स्वीकार कर लिया.
श्री देवान ने कहा कि गोरामुमो अध्यक्ष सुभाष घीसिंग ने अपने शासनकाल में भव्य गोरखा रंगमंच भवन का निर्माण किया और उसकी छत पर गोरखा सैनिक की विशाल प्रतिमा लगवायी. लेकिन मोरचा ने जीटीए स्वीकारने के बाद इस प्रतिमा को वहां से हटाकर जमीन पर रखवा दिया. यह गोरखा सैनिकों का अपमान है. उन्होंने कहा, हमारी मांग स्पष्ट है, छठी अनुसूची को सरकार को शीघ्र लागू करना होगा. इसे लागू कराने के लिए गोरामुमो उम्मीदवार को विजयी बनाना होगा. श्री देवान के साथ संगठन के उपाध्यक्ष रिंगा तामांग और अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.