मंगलवार को जलपाईगुड़ी चाय नीलामी केंद्र में श्रम विभाग द्वारा बुलायी गयी त्रिपक्षीय बैठक में तृणमूल से जुड़े तराई डुआर्स प्लांटेशन वर्कर्स एवं दार्जिलिंग जिला चाय श्रमिक इम्प्लायीज यूनियन को छोड़ कोई श्रमिक संगठन नहीं पहुंचा. जो लोग बैठक में नहीं आये उनमें वाम, नक्सल, कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोरचा के श्रमिक संगठन शामिल हैं. तृणमूल से जुड़े तराई डुआर्स प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष नकुल सोनार ने कहा कि गत 31 मार्च को चाय उद्योग में मजूदरी के तीन वर्षीय समझौते की मियाद पूरी हो गयी. दैनिक चाय श्रमिक 132 रुपये 50 पैसे मजूदरी पाते हैं. न्यूनतम मजदूरी बोर्ड राज्य सरकार ने गठित किया है. जब तक न्यूनतम मजदूरी तय नहीं हो जाती, तब तक चाय उद्योगों के श्रमिकों की मजदूरी अंतरिम रूप से बढ़ा दी जाये. इसके अलावा राज्य सरकार अभी चाय श्रमिकों का दो रुपये किलो अनाज दे रही है, इससे बागान मालिकों को काफी लाभ हो रहा है. इसलिए राशन मद का पैसा श्रमिकों की मजदूरी में बढ़ाकर दिया जाये.
मालिक पक्ष की ओर डीबीआइटी के सचिव सुमंत्र गुहो ठाकुरता, आइटीपीए के मुख्य सलाहकार अमृतांशु चक्रवर्ती, टाइ के सचिव राम अवतार शर्मा, टीबीआइटीए के संजय बागची प्रमुख रूप से उपस्थित थे. इन लोगों ने कहा कि बैठक में कई यूनियन शामिल नहीं हैं. इसके अलावा इतने सारे विषयों पर अभी उनकी तैयारी नहीं है. जो बोलना है वह आगामी 17 मई को कोलकाता में होनेवाली बैठक में बोला जायेगा.
मंगलवार को वाम, कांग्रेस और अन्य श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने चालसा में ज्वाइंट फोरम के रूप में अपनी अलग बैठक की. श्रम विभाग की त्रिपक्षीय बैठक का बहिष्कार करनेवाले ज्वाइंट फोरम के सदस्य तथा कांग्रेस के नेशनल यूनियन फॉर प्लांटेशन वर्कर्स के राज्य अध्यक्ष मणि कुमार दर्नाल ने बताया कि बीते दो सालों से चाय उद्योग में न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए सलाहकार कमिटी बनी हुई है. लेकिन आज तक उस पर कोई फैसला नहीं हुआ. अब हम कोई नया मजदूरी समझौता नहीं, बल्कि न्यूनतम मजदूरी चाहते हैं. जबकि आगामी 17 मई को कोलकाता में जो बैठक होने जा रही है वह केवल मजदूरी समझौते को लेकर है.