सिलीगुड़ी. पिछले कुछ दिनों से सिलीगुड़ी में गरमी ने सितम ढ़ाना शुरू कर दिया है. एक सप्ताह के अंदर ही मौसम के करवट बदलने से आमलोग भी हैरान हैं. पिछले दो-तीन दिनों से तापमान का पारा लागातरा बढ़ रहा है. मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अगले आने वाले दिनों में भी राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है.
सिलीगुड़ी शहर में एक सप्ताह पहले तक अधिकतम तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच था. लेकिन दो-तीन दिनों से अचानक इसमें बढ़ोत्तरी होने लगी है.सिलीगुड़ी में मंगलवार को अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.मौसम विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार आने वाले दिनों मे भी तापामान में लगातार बढ़ोत्तरी होगी. दो दिनों में तापमान 35 डिग्री सेल्सिय बढ़ने की संभावना है.तेज धूप निकलने से लोग परेशान होने लगे हैं. इस के साथ ही गरमी के दस्तक देते ही पानी का अकाल पड़ने लगा है. सिलीगुड़ी महकमा के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए हाहाकार मच गया है. कई इलाकों मे कुएं और तालाब सूख जाने की खबर है.
इसके अलावा चापाकल के जलस्तर में भी गिरावट आ गयी है. सबसे विकराल स्थिति खोरीबाड़ी और नक्सलबाड़ी इलाके की है. ग्रामीणों को कई-कई किमी दूर नदियों से पीने और रोजमर्रा के कामों के लिए पानी लाना पड़ रहा है. कुएं जहां अभी से ही सूखने लगे हैं, वहीं नलकूपों ने पानी उगलने बंद कर दिये हैं. पानी की समस्या विकराल रूप धारण करने के बावजूद शासन-प्रशासन की ओर से इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिसके कारण ग्रामीणों में काफी आक्रोश भी है. साथ ही ग्रामीणों का गुस्सा अब राजनेताओं पर भी फूटने लगा है. ग्रामीणों का कहना है कि हर बार चुनाव के दौरान नेता-मंत्री आते हैं और पानी की समस्या दूर करने का आश्वासन देकर वोट की भीख मांगते हैं. लेकिन अब पानी की राजनीति हम ग्रामीण नहीं चलने देंगे. सरकार हो या फिर शासन-प्रशासन, कोई भी अगर पानी की समस्या जल्द दूर नहीं करती है, तो अब सभी ग्रामीण अंचलों में लोग चुनाव बहिष्कार करेंगे. सरकारी आंकड़ों के अनुसार सिलीगुड़ी महकमा के चार प्रखंड क्षेत्रों में कुल 22 ग्राम पंचायत पड़ते हैं. इनमें से अधिकांश ग्राम इलाकों में पेयजल आपूर्ति योजना आज तक शुरू नहीं हुई है. कुछ गांवों में सरकारी स्तर पर गहरे नलकूप और कुंआ बनाया भी गया है, लेकिन देखरेख के अभाव में नलकूप और कुंए या तो नष्ट हो गये हैं या फिर जल स्तर के काफी नीचे चले जाने से ये सूख गये हैं.
सरकारी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वाम सरकार के समय तैयार कुंओं की गहरायी 30-40 फुट है. लेकिन दो-तीन वर्षों से जल स्तर इतने नीचे चला गया है कि अब 50-60 फुट गहरा करने के बाद भी पानी नहीं आ रहा. नलकूप बैठाने के दौरान भी 90-100 फुट के बाद भी पीने योग्य पानी नहीं आ रहा. जल स्तर दिन-प्रतिदिन नीचे चले जाने का प्रमुख कारण नदियों में हो रहे अवैध खनन है. जिस तरह नदियों से बालू-पत्थरों का खनन हो रहा है और नदियों को नाले में तब्दील कर दिया जा रहा है,इन सब की वजह से नदियों में भी पानी सूखने लगा है. यूं तो पानी की समस्या सिलीगुड़ी महकमा के सभी प्रखंडों में देखी जा रही है, लेकिन सबसे अधिक समस्या खोरीबाड़ी, नक्सबाड़ी व फांसीदेवा क्षेत्रों की है. इनमें भी खोरीबाड़ी और नक्सलबाड़ी प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में पानी का हाहाकार अभी से मचने लगा है. खोरीबाड़ी बुरागंज अंचल के खानझोड़ा चाय बागान, भाटागांव, सुबलभिट्टा, फूलबाड़ी बागान, हाथीडोवा, रानीगंज-पानीशाला जैसे ग्रामों में करीब सौ परिवार रहते हैं. एक गांव में तकरीबन चार सौ ग्रामीणों के लिए सरकारी तौर पर पीने के पानी के लिए मात्र एक या दो कुंआ और इतने ही नलकूप काफी वर्षों से हैं. जलस्तर काफी नीचे चले जाने और सरकारी उदासीनता की वजह से ग्रामीणों को पर्याप्त पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है. जिन कुंओं या नलकूपों से पानी मिल भी रहा है वहां दिनभर ग्रामीणों की लंबी लाइन लगी रहती है. पानी की ऐसी ही समस्या नक्सलबाड़ी प्रखंड के मनिराम, दयाराम जोत, आजमाबाद, दक्षिण रथखोला, खालबस्ती पंचायत के गांवों में भी देखी जा रही है. पानी की समस्या दूर करने के लिए सरकारी स्तर पर नक्सलबाड़ी, खोरीबाड़ी व फांसीदेवा के कई ग्राम पंचायतों में कुछ महीने पहले ही पाइप लाइन बिछाकर हरेक गांवों में पानी पहुंचाने काम शुरू भी हुआ था, लेकिन सरकारी लापरवाही व उदासीनता की वजह से आजतक ग्रामीणों को पानी की सुविधा नहीं मिल सकी है.
ग्रामीणों का आरोप है कि बंगाल में जब वाम सत्ता में थी तभी चार प्रखंडों में सजलधारा परियोजना के तहत हरेक गांवों में पेयजल आपूर्ति करने का काम शुरू हुआ था लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद से ही इस परियोजना को बंद कर दिया गया. इन समस्याओं को लेकर सिलीगुड़ी महकमा परिषद में अब पानी की राजनीति शुरू हो गयी है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद में विरोधी दल के तृकां नेता काजल घोष ने वर्तमाम वाम बोर्ड पर तंज कसते हुए कहा कि पेयजल आपूर्ति तो दूर की बात है, किसी भी तरह की नागरिक परिसेवा और सामाजिक सुरक्षा ग्रामीणों तक पहुंचाने में पूरी तरह नाकाम है. ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. डेढ़-दो किमी दूर से नदी-तालाबों से पानी लाने को ग्रामीण मजबूर हैं.
बार-बार कहने के बावजूद वाम बोर्ड पानी ही नहीं अन्य समस्याएं भी दूर नहीं कर पा रही है. वहीं महकमा परिषद में वाम बोर्ड के सभाधिपति तापस सरकार ने ममता सरकार पर तल्ख तेवर दिखाते हुए कहा कि राज्य सरकार किसी भी विकास परियोजना के लिए सहयोग नहीं कर रही. बगैर आर्थिक सहयोग मिलने के बावजूद सीमित आय से ही वाम बोर्ड पानी आपूर्ति के लिए सबसे अधिक प्रभावित गांवों में गहरे नलकूप लगाने का खाका तैयार कर चुकी है. इसी महीने में ही इन कामों को पूरा कर लिया जायेगा. और उम्मीद है कि जल्द ही पानी की समस्या को दूर कर दी जायेगी.