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बालिकाएं होंगी तंदुरुस्त तभी समाज भी होगा तंदुरुस्तः आशुतोष सिंह

सिलीगुड़ी. अगर बालिकाएं तंदरूस्त होंगी तभी समाज भी तंदरूस्त होगा. यह दावा है स्वस्थ भारत (ट्रस्ट) नामक एक संस्था के चेयरमैन आशुतोष सिंह का. वह गुरूवार को अपने अन्य सहयोगियों के साथ संस्था की एक मुहिम के तहत सिलीगुड़ी के दौरे पर थे. सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित एक प्रेस-वार्ता के दौरान उन्होंने मीडिया के […]

सिलीगुड़ी. अगर बालिकाएं तंदरूस्त होंगी तभी समाज भी तंदरूस्त होगा. यह दावा है स्वस्थ भारत (ट्रस्ट) नामक एक संस्था के चेयरमैन आशुतोष सिंह का. वह गुरूवार को अपने अन्य सहयोगियों के साथ संस्था की एक मुहिम के तहत सिलीगुड़ी के दौरे पर थे. सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित एक प्रेस-वार्ता के दौरान उन्होंने मीडिया के सामने यह दावा किया कि पुरूषों की तुलना में महिलाओं में कुछ भी सहन करने, लंबे समय तक कार्य करने, रोग प्रतिरोधक व अन्य क्षमताएं काफी अधिक है.

लेकिन इसे लेकर महिलाएं जागरूक नहीं है. स्वस्थ रहने की कला बच्चियों को बचपन से ही सिखाना काफी जरूरी है. श्री सिंह का कहना है कि अगर बालिकाएं स्वस्थ रहेंगी तो समाज स्वस्थ रहेगा और समाज स्वस्थ हुआ तो भारत स्वस्थ बनेगा. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य को लेकर भारत के लोगों में जागरूकता की काफी कमी है. स्वास्थ्य के प्रति लोगों खासकर बालिकाओं व महिलाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से स्वस्थ भारत (ट्रस्ट) ने चार साल पहले 2012 में स्वस्थ भारत गढ़ने का संकल्प लिया था और इसी वर्ष 30 जनवरी को दिल्ली से पूरे भारत वर्ष में जो मुहिम छेड़ी वह अनवरत जारी है. श्री सिंह ने बताया कि उस दिन दिल्ली में महात्मा गांधी के स्मारक राजघाट से मुहिम का आगाज हुआ.

स्वस्थ भारत के मकसद को पूरा करने के लिए संस्था के अन्य कार्यकर्ता वरिष्ठ पत्रकार सह गांधीवादी प्रसून लतांत, समाजसेवी विनोद लोहिला, कुमार कृष्णन व धर्मेंद्र उपाध्याय की एक टीम भारत भ्रमण पर निकल पड़ी. श्री सिंह ने अब-तक 15 हजार किमी भारत भ्रमण करने का दावा किया. उन्होंने बताया कि उत्तर, दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के प्रायः सभी राज्यों का भ्रमण कर आज सिलीगुड़ी पहुंचे हैं.

उनकी टीम आज दोपहर को ही बिहार के लिए रवाना होगी. उन्होंने कहा कि वे लोग हर जगर स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालयों में कार्यशाला या अन्य जनजागरूकता सांस्कृतिक कार्यक्रम या फिर जनसभाओं के मारफत युथ के बीच ‘स्वस्थ बालिका, स्वस्थ समाज’ का अलख जगाने का प्रयास कर रहे हैं. प्रसून लतांत ने भी भारत भ्रमण से हुए अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उत्तर, मध्य व दक्षिण भारत की तुलना में पूर्वोत्तर भारत और खासकर सिक्किम की महिलाएं-किशोरियां स्वास्थ्य, कामकाज व सुरक्षा को लेकर काफी जागरूक हैं. वह हर क्षेत्र में पुरूषों से कहीं भी कम नहीं हैं.

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