अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 24 जनवरी को उसे उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में कराया गया था. उसके दाहिने हाथ की हड्डी टूटी थी, लेकिन वह ऑपरेशन के लिये तैयार नहीं था. उसके बाद डॉक्टरों ने उसके हाथ पर प्लास्टर चढ़ा दिया. करीब एक महीना तक उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में इलाजरत रहने के बाद 17 फरवरी को रोगी की चिकित्सा पूरी हो गयी.
लेकिन उसके परिवार का कोई भी उसे घर वापस ले जाने के लिए नहीं आया. इससे नाराज रोगी ने अपने से घर जाने से इंकार कर दिया. अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रोगी गौतम घोष अपना इलाज कराने के लिये भी अकेले ही आया था. इलाज के दौरान उसके परिवार का एक भी सदस्य उसे देखने नहीं आया, और ना ही उसे घर वापस ले जाने आया. चिकित्सा पूरी होने के बाद वह मानसिक रूप से काफी परेशान रहने लगा. उसने मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक वार्ड के शौचालय में खुद को जलाकर जान देने की कोशिश की. धुंआ देखकर अस्पताल कर्मी शौचालय की ओर भागे और उसे बर्न वार्ड में भर्ती कराया. मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने बताया कि उसके शरीर का अधिकांश भाग जल चुका है.
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अधीक्षक मैत्रेयी कर ने बताया कि पारिवारिक कलह की वजह से ही परिवार का कोई भी सदस्य रोगी को देखने तक नहीं आया. यहां तक कि चिकित्सका पूरी होने के बाद उसे वापस घर ले जाने के लिये भी कोई नहीं आया. इस बात से रोगी काफी चितिंत रहने लगा था. सोमवार को उसने आत्महत्या की कोशिश की. इस घटना से पुलिस को अवगत करा दिया गया है.