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किशोरियों को दिया जायेगा प्रशिक्षण

अलीपुरद्वार: वर्ष 2002 से अलीपुरद्वार स्थित ढेकलापाड़ा चाय बागान बंद है. महिला तस्करों की नजर इस चाय बागान पर टिक गयी और तस्करों ने यहां की कुछ किशोरियों को मुंबई के पतितापल्ली में बेच दिया. इन लोगों को काम देने के नाम पर बरगलाया गया था. बाद में पुलिस की सहायता से इन किशोरियों को […]

अलीपुरद्वार: वर्ष 2002 से अलीपुरद्वार स्थित ढेकलापाड़ा चाय बागान बंद है. महिला तस्करों की नजर इस चाय बागान पर टिक गयी और तस्करों ने यहां की कुछ किशोरियों को मुंबई के पतितापल्ली में बेच दिया. इन लोगों को काम देने के नाम पर बरगलाया गया था. बाद में पुलिस की सहायता से इन किशोरियों को बरामद कर वापस ढेकलापाड़ा चाय बागान लाया गया. बागान की स्थिति अभी नहीं सुधरी है. इसी का फायदा उठाने में एक बार फिर से तस्कर सक्रिय हो गये हैं.
महिला तस्करों के चंगुल से बचाने के लिए एक गैर सरकारी संगठन ‘जी नेशप’ ने इन किशोरियों की मदद का वीरा उठाया है. इसके साथ ही और भी कई किशोरियों को स्वनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है. कुछ इसी तरह का अभियान बंद पड़े बांदापानी चाय बागान में भी शुरू किया गया है. यह चाय बागान भी पिछले दो साल से बंद है. जी नेशप’ द्वारा इन दोनों चाय बागानों में रह रही किशोरियों को आत्मनिर्भर बनाने की शुरूआत की गई है. ऐसी किशोरियों की पहचान कर उन्हें सिलाई और बुनाइ मशीन प्रदान किया गया है और सिलाई-कटाई का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. संगठन के अधिकारी पार्थ प्रतीम सरकार ने बताया है कि चाय बागान में रह रही नाबालिग लड़कियों की गरीबी का फायदा उठाने में महिला तस्कर जुटे रहते हैं. महानगरों में काम दिलाने के नाम पर इन किशोरियों को बाहर ले जाया जाता है और देह व्यापार के दलदल में धकेल दिया जाता है.

चाय बागान की किशोरियां स्वयं स्वनिर्भर हो सके, इसी वजह से इनकी मदद की जा रही है. यह लोग जो भी कपड़े बनायेंगी उसकी मार्केटिंग की जिम्मेदारी भी ‘जी नेशप’ की होगी. इस स्वयंसेवी संगठन की प्रोग्राम अधिकारी परमिता सरकार का कहना है कि इन दोनों चाय बागान के 40 युवतियों को डर्मी कंपोस्ट बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. यह लोग जो भी खाद बनायेंगी उसकी मार्केटिंग भी ‘जी नेशप’ ही करेगी. यहां प्रशिक्षण ले रही पुणम, सुनीता आदि किशोरियां काफी खुश हैं. इनका कहना है कि वह लोग स्वनिर्भर होने की ट्रेनिंग ले रही हैं. ट्रेनिंग लेने के बाद वह खुद अपने पैरों पर खड़ी हो सकेंगी. इस बीच, बृहस्पतिवार को डर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए ऐसी किशोरियों के लिए प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन हुआ. इसका उद्घाटन कूचबिहार के पुण्डीबाड़ी स्थित उत्तर बंग कृषि विभाग के डर्मी कंपोस्ट विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर पूजन विश्वास ने किया. इस मौके पर नाबार्ड के अधिकारी आशीष दास भी उपस्थित थे.

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