सिलीगुड़ी. उत्तर बंगाल के विभिन्न होम में सौ से भी अधिक बांग्लादेशी मासूम बच्चे मौजूद हैं, जो गहरी चिंता का विषय है. यह चिंता जतायी है असहाय बच्चों के लिए कार्यरत एक एनजीओ चाइल्ड इन नीड इंसिस्टट्यूट (सिनी) के कोलकाता यूनिट की प्रबंधक लोपामुद्रा मित्र ने.
उन्होंने शुक्रवार को सिलीगुड़ी में डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन सोसायटी (डीसीपीयू) के दार्जिलिंग जिला इकाई के बैनर तले आयोजित ‘रेसक्यू-रीकवरी-रेस्टॉरेशन-इंटीग्रेशन’ (आरआरआरआइ) विषयक सेमिनार में अपनी चिंता जाहिर की. इस मौके पर मौजूद सिनी के सिलीगुड़ी यूनिट के संयोजक शेखर साहा, डीसीपीयू के मृणाल घोष, बीएसएफ, एसएसबी, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, रेल पुलिस (आरपीएफ, जीआरपी), विभिन्न प्रखंडों के बीडीओ के अलावा बच्चों के लेकर काम कर रहे कई एनजीओ के प्रतिनिधियों ने भी सेमिनार में चिंतन-मनन किया. सेमिनार में सबों ने पड़ोसी देश के मासूमों को जल्द घर वापसी के लिए कानूनी पेंचों के सरलीकरण किये जाने पर जोर दिया. शेखर साह ने बताया कि ऐसे मामलों में बच्चों को कुल 13 प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद वापस अपने देश में भेजा जाता है. अगर किसी एक प्रक्रिया में कुछ भी गड़बड़ हो गयी तो उन्हें वापस महीनों या फिर वर्षों तक भारत में ही रहना पड़ता है.