सिलीगुड़ी: फरजी टेलीफोन एक्सचेंज मामले के तार अब पड़ोसी देश नेपाल से जुड़ गये हैं. मामले की जांच के लिये दार्जिलिंग जिला पुलिस ने नेपाल पुलिस के साथ संपर्क साधा है. फरजी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले आरोपी इंजीनियर रणविजय सिंह ने पुलिस को गिरोह से जुड़े नेपाल के कुछ लोगों का नाम बताया है, जो उसे नेपाल का सिम कार्ड देता था. अबतक की जांच से पुलिस को जो पता चला है उससे मुख्यत: आर्थिक लाभ कमाने के उद्देश्य से ही भारत-नेपाल सीमांत पानीटंकी इलाके में यह फरजी टेलीफोन एक्सचेंज आरोपी चला रहा था. उसके किसी आतंकी संगठन से जुड़े होने के सबूत नहीं मिले हैं.
फिर भी खाड़ी देशों आने वाले फोन कॉलों की पुलिस गहन जांच कर रही है. गिरफ्तार आरोपी अभी रिमांड पर है.उससे की गयी पूछताछ में इस गिरोह से जुड़े अन्य कइ लोगों के नाम मिले हैं. उनमें से पुलिस ने दो आरोपी प्रमोद यादव और महेश यादव को गिरफ्तार कर लिया है. इन दोनों आरोपियों को शुक्रवार को सिलीगुड़ी जिला एसीजेएम अदालत में पेश किया गया. रणविजय सिंह से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस ने गुरूवार की रात पानीटंकी इलाके से प्रमोद यादव और महेश यादव को गिरफ्तार किया है. पानीटंकी इलाके में इन दोनों के मोबाइल दुकान हैं. ये दोनों आरोपी रणविजय सिंह को फरजी नामों से मोबाइल सिम कार्ड देते थे. रणविजय ने नेपाल के सिम कार्ड मुहैया कराने वालों का नाम भी पुलिस को बताया है. इस गिरोह से जुड़े नेपाल के लोगों को गिरफ्तार करने के लिये दार्जिलिंग जिला पुलिस ने नेपाल पुलिस से संपर्क किया है. इसके अतिरिक्त फरजी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने के लिये अत्याधुनिक मशीनें मुहैया कराने वालों का भी खुलासा रणविजय ने किया है. रणविजय से पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने आगे कदम बढ़ा दिया है.
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रोजगार के लिये कइ देशों के लोग विदेश पहुंचते है. नेपाल के भी काफी लोग चीन, दुबई, ओमान, अरब व अन्य खाड़ी देशों में गये हुए हैं. अपने परिवार से कोसों दूर रहने वाले ये लोग करीब रोज टेलीफोन से अपने परिवार व सगे संबंधियों से बातचीत किया करते हैं. अंतराष्ट्रीय कॉल की दरें काफी अधिक है. कम खर्च पर कॉल कराकर पैसे कमाने और सरकारी राजस्व को चूना लगाने के उद्देश्य से पानीटंकी में एक फरजी टेलीफोन एक्सचेंज खोला गया था. अधिकारियों ने बताया कि 4जी के इस दौर में लोग फेसबुक और व्हाट्स एप के जरिए भी बातचीत किया करते हैं. इस कॉल के लिये उन्हें मोबाईल से मेन बैलेंस नहीं बल्कि इंटरनेट का डाटा(एमबी) कटता है. आरोपी रणविजय ने भी इसी करह का एक एप्लीकेशन बनाया था. इस एप्लीकेशन के द्वारा वह अंतराष्ट्रीय कॉल को हैक कर उसे इंटरनेट के द्वारा कनेक्ट कराता था. इससे कॉल का पचास प्रतिशत रूपया उसके पास पहुंच जाता था.
क्या कहते हैं एसपी
इस मामले को लेकर दार्जिलिंग जिला पुलिस अधीक्षक अमित पी. जवालगी से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान रणविजय ने गिरोह से जुड़े कइ लोगों के बारे में काफी कुछ बताया है. उसके बयान के आधार पर पुलिस सबूत इकट्ठा कर जांच को आगे बढ़ा रही है. उसे सिम कार्ड मुहैया कराने वाले दो मोबाइल दुकानदारों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. इन दोनों को शुक्रवार को सिलीगुड़ी जिला एसीजेएम अदालत में पेश कर रिमांड पर लेने की मांग की गयी है. किस तरह यह फरजी टेलीफोन एक्सचेंज चल रहा था और इस गिरोह में कौन-कौन शामिल हैं, इन सभी सवालों के जवाब रणविजय ने पुलिस को दिया है. जांच में पुलिस को पता चला है कि ज्यादातर कॉल नेपाल और खाड़ी देशों के बीच होती थी. इसके अतिरिक्त चीन, ओमान व अन्य देशों के बीच भी कॉल होता था. श्री जवालगी ने बताया कि अभी तक की जांच के मुताबिक आर्थिक लाभ कमाने के उद्देश्य से ही यह फरजी टेलीफोन एक्सचेंज चलाया जा रहा था.
क्या है मामला
उल्लेखनीय है कि बीते सोमवार की रात भारत-नेपाल सीमांत पानीटंकी इलाके से दार्जिलिंग जिला पुलिस ने पेशे से इंजीनियर रणविजय सिंह को गिरफ्तार किया. आरोपी पानीटंकी के न्यू मार्केट इलाके में एक किराये के मकान में रहता था और वहीं से एक फरजी टेलीफोन एक्सचेंज चला रहा था. छापेमारी में पुलिस को रणविजय के पास से कइ एटीएम कार्ड, स्वाइप मशीन, विभिन्न आईडी नंबर वाले भारतीय मतदाता पहचान पत्र, कइ लैपटॉप, सैकड़ों कार्ड रीडर और पेन ड्राईव, डोंगल, रेपीटर मशीन के अलावा 150 भारतीय सिम कार्ड और 37 नेपाल के सिम कार्ड बरामद हुए. अगले दिन आरोपी रणविजय सिंह को पुलिस ने अदालत में पेश किया. अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर उसे 14 दिन की रिमांड पर जिला पुलिस के हवाले कर दिया. आरोपी से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर पुलिस जांच को आगे बढ़ा रही है.