सिलीगुड़ी: देश से काला धन, भ्रष्टाचार, जाली नोट व कालाबाजारी जैसे गोरखधंधों पर पूरी तरह नकेल कसने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के एलान के बाद पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है. आठ नवंबर की रात आठ बजे पांच सौ और हजार के नोट पर पाबंदी लगाने के बाद से जमाखोर लोग इन नोटों को सलटाने के लिए दिन-रात नये-नये नुस्खे अपना रहे हैं.
ऐसे लोगों ने मार्केट में अपने दलाल छोड़ रखे हैं जिनका काम ऐसे बैंक एकाउंट धारियों को तलाशना है जिनका बैंकों में जीरो बैलेंस एकाउंट या फिर सैलरी एकाउंट है. ये दलाल इन बैंक उपभोक्ताओं को कमीशन का लालच देकर पहले झांसे में लेते हैं और बाद में उनके एकाउंट में काला धन वालों के दो से अढ़ाइ लाख रूपये किस्तों में जमा कराते हैं. 20-30 फीसदी कमीशन के लालच में आकर कई जीरो या सैलरी एकाउंटधारी अपने एकाउंटों में काला धन जमा भी कराने के लिए राजी हो रहे हैं. इस तरीके से काला धन सादा करने का यह अनोखा खेल पूरे देश के साथ ही सिलीगुड़ी व पूरे उत्तर बंगाल में हो रहा है. कई वित्तीय विशेषज्ञ काले धन को सादा करने के इस खेल को पूरी तरह गैर-कानूनी करार दे रहे हैं. आर्थिक मामलों से जुड़े ऐसे विशेषज्ञों का मानना है कि काला धन और भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने पूरी तैयारी के साथ नोटों पर सर्जिकल स्ट्राइक की है. एक आर्थिक सलाहकार राजीव कुमार का कहना है कि बैंक में लेन-देन को लेकर केवल बड़ी मछलियों पर ही सरकार की नजर रहेगी और छोटी मछलियों पर कोई ध्यान नहीं रहेगा ऐसा सोचनेवाले गलतफहमी में हैं. मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी के एलान के पहले ही रिजर्व बैंक व आयकर विभाग को सर्कुलर जारी कर दिया गया था कि जिन बैंक उपभोक्ताओं का जीरो बैलेंस व सैलरी एकाउंट हैं उनके लेन-देन पर भी कड़ी नजर रखने की जरूरत है.
ऐसे जीरो बैलेंस एकाउंट में बैंक से लेन-देन औसत के तुलना में काफी कम होता है. वहीं सैलरी एकाउंट धारी वाले खातों में भी महीने की निर्धारित सैलरी के अलावा अन्य तरह से लेन-देन नहीं के बराबर ही होता है. आठ नवंबर को नोटबंदी के एलान के बाद कई जीरो बैलेंस व सैलरी एकाउंट धारक खातों में अचानक लाख-दो लाख रुपये जमा होने लगे हैं. इतना ही नहीं कई चालाकी दिखाकर 25-50 हजार रूपये के किस्तों में अपने एकाउंटों में जमा कराकर सरकार को धोखा देने की फिराक में हैं. श्री कुमार का कहना है कि सरकार के निर्देश पर रिजर्व बैंक ने ऐसा सिस्टम कर दिया है कि आठ नवंबर के बाद से हरेक बैंक एकाउंट के लेन-देन पर नजर है वह चाहे बड़े उद्योगपति व कारोबारी का एकाउंट हो या फिर जीरो या सैलरी एकाउंट धारी. आरोप सिद्ध होनेपर दोनों पार्टियों को ही जेल की हवा खानी पड़ सकती है और जुर्माना भी चुकाना पड़ सकता है.
वहीं, अन्य वित्तीय सलाहकारों का मानना है कि यह केवल लोगों को आतंकित करने की सरकार की सोची-समझी चाल है. बैंकों से दो-अढ़ाइ लाख रुपये के लेन-देन पर सरकार या फिर आयकर विभाग कुछ नहीं कर सकती. आयकर विभाग के सिलीगुड़ी विंग के एक अधिकारी ने अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर कहा कि नोटबंदी के मद्देनजर केंद्र व रिजर्व बैंक से जो सर्कुलर जारी हुआ है उसके तहत बैंकों से हर तरह के लेन-देन पर नजर रखी जा रही है. संदिग्ध एकाउंट धारकों पर पहले विभागीय जांच-पड़ताल होगी. काले धन को सादा करने के प्रयास होने की पुष्टि होने पर रूपये इस्तेमाल करनेवाले दोनों पार्टियों के विरूद्ध कानून के तहत सख्त कार्रवाई होगी. दोनों ही आरोपी पार्टियों पर अवैध तरीके से काला धन को सादा करने का मामला दायर होगा और दोनों पर ही न्यूनतम सात साल की सजा और लेन-देन के हिसाब से जुर्माना भी लगेगा.