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रेल हादसे से ताजा हुए जख्म

हावड़ा़ : रविवार सुबह में इंदौर-पटना एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर मिलते ही सलकिया निवासी एक परिवार सहम उठा. टीवी पर शवों का ढेर देख 15 साल की किशोरी के आंखों में आंसू छलक उठे. उसे अपने पिता की याद सताने लगी. उसकी मां, दादा-दादी की भी आंखें नम हो गयीं, क्योंकि इस हादसे […]

हावड़ा़ : रविवार सुबह में इंदौर-पटना एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर मिलते ही सलकिया निवासी एक परिवार सहम उठा. टीवी पर शवों का ढेर देख 15 साल की किशोरी के आंखों में आंसू छलक उठे. उसे अपने पिता की याद सताने लगी. उसकी मां, दादा-दादी की भी आंखें नम हो गयीं, क्योंकि इस हादसे ने उनके पुराने जख्म ताजा कर दिये थे.
सलकिया के बाबूडांगा निवासी जुतिका अट्टा आज से छह वर्ष पहले हुए एक ट्रेन हादसे में अपने पति प्रसेनजीत अट्टा को खो चुकी हैं. अब तक प्रसेनजीत का शव नहीं मिला. जुतिका ने कहा कि मुआवजा मिला था, लेकिन उससे जिंदगी नहीं चलती है. सरकार ने नौकरी देने का आश्वासन दिया था. छह साल से राज्य सरकार और रेलवे अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर लगा रही है लेकिन नौकरी नहीं मिली. परिवार चलाने के लिए जुतिका के 70 वर्षीय ससुर को काम करना पड़ता है.
नहीं भूल सकती वह रात…
प्रसेनजीत रेलवे कांट्रेक्टर था. काम के लिए भुसावल जाना था. 28 मई 2010 की रात नौ बजे हावड़ा स्टेशन से खुलने वाली ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पकड़ने के लिए घर से निकले. लेकिन क्या पता था यह प्रसेनजीत के जीवन का अाखिरी सफर होगा. ट्रेन 10:55 बजे खुली.
रात करीब 12 बजे ट्रेन की 10 से अधिक बोगियां झाड़ग्राम के पास बेपटरी हो गयीं. इस घटना में 150 से अधिक यात्री मारे गये थे, जिसमें प्रसेनजीत भी शामिल था. जुतिका ने बताया कि प्रसेनजीत आरक्षित डिब्बे में सफर कर रहा था, इसलिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से मुआवजा मिला था. लेकिन अब तक नौकरी नहीं मिली. जुतिका ने कहा: पति का शव नहीं मिला, लेकिन सरकार नौकरी देने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र मांग रही है. मैं कहां से मृत्यु प्रमाण पत्र लाऊं.

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