जलपाईगुड़ी. कालिम्पोंग महकमा के रंगू में 10 साल से होमस्टे बने हुए हैं, लेकिन रास्ता नहीं होने के कारण अब यहां कोई पर्यटक नहीं आ रहा. इसका नतीजा यह है कि इलाके के अधिकतर होमस्टे बंद हो गये हैं. जो बचे भी हैं, उन्होंने भी अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है. रास्ता नहीं होने के चलते सिर्फ पर्यटन कारोबार प्रभावित नहीं हो रहा, बल्कि स्थानीय नागरिकों को अनेक समस्याएं भी झेलनी पड़ रही हैं. लोगों ने प्रशासन के सामने कई बार क्षोभ प्रदर्शन किया, लेकिन आजतक रास्ते की मरम्मत नहीं हुई.
ब्लॉक प्रशासन ने इसे जीटीए की जिम्मेदारी बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया. वहीं जीटीए प्रशासन राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है. सभी एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं और इसका दुष्परिणाम रंगू के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. यह इलाका प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, लेकिन रास्ता नहीं होने के कारण पर्यटन उद्योग यहां आगे नहीं बढ़ पा रहा.
इलाके के निवासी तथा एक होमस्टे के मालिक अनिल टेरेजा ने कहा कि मैंने यहां बीते 10 सालों से होमस्टे खोल रखा है. लेकिन अब यहां कोई पर्यटक नहीं आता. इसकी वजह यह है कि झालंग से यहां तक आने के लिए 10 किलोमीटर की दूरी तय करना मुश्किल काम है. यह रास्ता गाड़ियों के चलने लायक नहीं रह गया है. यहां पर पर्यटकों के लिए कई व्यू प्वाइंट हैं.
लेकिन खराब रास्ते के चलते पर्यटक आने का साहस नहीं कर पाते. हमने बार-बार जीटीए प्रशासन से सड़क मरम्मत की मांग की. जीटीए ने कुछ काम कराया भी, लेकिन खराब गुणवत्ता के कारण जल्द ही रास्ता फिर से टूट गया. कई लोगों ने अपना पैसा लगाकर होमस्टे शुरू किया था, लेकिन अब उन्होंने कारोबार समेट लिया है. हमें भी जल्द ही पर्यटन कारोबार छोड़ना पड़ सकता है.
माल बाजार के एक रिसॉर्ट मालिक राजेन प्रधान ने कहा कि खराब रास्ते के चलते उन्हें रंगू में अपना रिसॉर्ट बंद करना पड़ा. एक अन्य स्थानीय निवासी कर्मा भुटिया ने बताया कि इलाज और अन्य जरूरी कामों के लिए हमें नीचे उतरना पड़ता है, लेकिन रास्ता खराब होने के कारण कोई गाड़ी वाला यहां आना नहीं चाहता. इलाके के तृणमूल नेता उर्गेन शेरपा ने कहा कि अगर जीटीए प्रशासन ठीक से काम करता, तो सड़क की यह दशा नहीं होती. गोरूबथान के बीडीओ वीरेन्द्र नाथ मंडल ने कहा कि रंगू जीटीए का इलाका है और सड़क ठीक करने की जिम्मेदारी उसी की है. वहीं जीटीए सभासद कल्याण दीवान ने कहा कि जीटीए को राज्य और केन्द्र सरकार से ठीक तरह से आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है. ऐसे में जीटीए भला कैसे काम करे.
रंगू इलाका नागराकाटा के एनएच-31 पर स्थित खुनिया मोड़ से मात्र 35 किलोमीटर दूर गोरूबथान ब्लॉक में है. 5500 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके में सूर्यास्त और सूर्योदय देखने लायक होता है. इसके अलावा यहां एक प्राचीन बौद्ध मंदिर भी है. रंगू में संतरे के बागान भी हैं. साथ ही भूटान के पहाड़ों को भी देखा जा सकता है. कोई चाहे तो एक दिन में ही घूम कर यहां से लौट सकता है. लेकिन खराब रास्ते के कारण ऐसा करना असंभव सा हो गया है. रास्ते के चलते इलाके के करीब 20 हजार लोग हर रोज मुसीबत झेल रहे हैं.