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असुर संप्रदाय में भी परिवर्तन की लहर

जलपाईगुड़ी. अ? ब परिवर्तन की लहर महिषासुर के भक्त असुर सम्प्रदाय में भी चल पड़ी है. उत्तर बंगाल के कुछ चाय बागान में ऐसे बागान श्रमिक है जिनका दावा है कि वे महिषासुर के वंशज है. पिछले वर्ष तक इस सम्प्रदाय के लोग बंगाल के सबसे बड़ा उत्सव दुर्गा पूजा के दौरान अपने घरों से […]

जलपाईगुड़ी. अ? ब परिवर्तन की लहर महिषासुर के भक्त असुर सम्प्रदाय में भी चल पड़ी है. उत्तर बंगाल के कुछ चाय बागान में ऐसे बागान श्रमिक है जिनका दावा है कि वे महिषासुर के वंशज है. पिछले वर्ष तक इस सम्प्रदाय के लोग बंगाल के सबसे बड़ा उत्सव दुर्गा पूजा के दौरान अपने घरों से नहीं निकलते थे. लेकिन इस वर्ष इस सम्प्रदाय के लोगों को भी महिषासुर नासिनी मां दुर्गा की पूजा में शामिल होते देखा गया.

उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी जिला स्थित नागराकाटा के कैरन व गुरजंगझोड़ा, अलीपुरद्वार जिले के माझोरडावरी, निम्तीझोड़ा और सिलीगुड़ी के नक्सलबाड़ी चाय बागान इलामें में कुल छह सौ लोग असुर सम्प्रदाय के हैं. माझोरडावरी चाय बागान के आनंद असुर ने बताया कि वे लोग महिषासुर के वंशज हैं. देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध किये जाने की वजह से दो वर्ष पहले तक पंचमी से ही इस सम्प्रदाय के सभी सदस्य अपने-अपने घरों में बंद रहते थे. यह सम्प्रदाय का कोइ भी सदस्य दुर्गा पूजा के किसी भी अनुष्ठान में शामिल तक नहीं होता था.

कैरन चाय बागान निवासी असुर सम्प्रदाय के व्यस्क सदस्य गिदाल असुर ने बताया कि अब धीरे-धीरे समय बदल रहा है. असुर सम्प्रदाय की नयी पीढ़ी शिक्षा ग्रहण कर रही है. काम के सिलसिले में चाय बागान से निकलकर देश-विदेश का भ्रमण कर रही है. असुर सम्प्रदाय के व्यस्क सदस्य आज भी दुर्गा पूजा में अपने घर से नहीं निकलते हैं. लेकिन युवा पीढ़ी दुर्गोत्सव में शामिल हो रही है. असुर समाज के युवा सदस्य देवी को पुष्प भी अर्पित कर रहे हैं. इस बार दुर्गा पूजा की षष्ठी तिथि को सनातन धर्मावलंबियों के साथ इन्हें भी देवी की आराधना में शामिल होते देखा गया.

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