सभी हाथी तो नदी पार कर गये, लेकिन एक हाथी अचानक जल स्तर बढ़ जाने की वजह से नदी के बीच में ही फंस गया. वह कई घंटे तक घीस नदी में फंसा रहा. स्थानीय प्रेम बहादुर कार्की ने बताया कि सुबह छह बजे नदी के बीच एक हाथी को फंसा देख वन विभाग को खबर दी गयी. काठमबाड़ी रेंज के वन अधिकारी प्रदीप बारूई ने बताया है कि हाथी करीब 10 बजे तक नदी के बीच ही फंसा हुआ था.
बाद में जलस्तर कम होने से हाथी धीरे-धीरे घीस नदी पार कर जंगल की ओर चला गया. इस दौरान भारी संख्या में स्थानीय लोगों की भीड़ नदी किनारे इकट्ठी हो गयी थी. स्थिति को संभालने के लिए अपालचंद कठामबाड़ी, माल, बैकुंठपुर वन्य प्राणी विभाग व वन विभाग रेंज के वनकर्मी मौके पर सुबह सात बजे ही पहुंच गये. हाथी के नदी में डूबने का भी खतरा था.
तीस्ता नदी से पानी छोड़कर हाथी को धीरे-धीरे किनारे लाया गया. उसके बाद हाथी जंगल की ओर लौट गया. इस बीच, हाथियों के नदी में फंस जाने की दो घटनाओं ने वन विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ा दी है. बरसात के इस मौसम में अधिकांश नदियां उफान पर हैं. तीस्ता, चेल, लिस, घीस नदी के संलग्न इलाके हाथियों के कोरीडोर के रूप में परिचित हैं. वन्य प्राणी विभाग के वनपाल सुनीता घटक ने बताया है कि हाथी नदी की ओर नहीं जाये, इसके लिए वन विभाग द्वारा पहरेदारी बढ़ा दी गयी है.