श्री बनिक ने कहा कि वर्ष 2011 में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी ने पांच नये जिलों की घोषणा है. जबकि ममता बनर्जी से सिलीगुड़ी के लोगों की भी काफी अपेक्षाएं थी. उन्होंने कहा कि जब ढ़ाई लाख की आबादी वाला शहर कालिंपोंग को जिला बनाया जा सकता है तो करीब 15 लाख की आबादी वाले शहर सिलीगुड़ी को जिला क्यों नहीं बनाया जा सकता. आज के पत्रकार सम्मेलन में रतन बनिक, नागरिक मंच के अध्यक्ष सुनील सरकार सहित अन्य कई उपस्थित थे.
उल्लेखनीय है कि बृहत्तर सिलीगुड़ी नागरिक मंच द्वारा वर्ष 2012 से सिलीगुड़ी को जिला बनाने की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. नागरिक मंच के इस आंदोलन का करीब चार वर्ष बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से आज तक सकारात्मक संकेत नहीं मिले हैं. हालांकि इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल में पांच नये जिलों की घोषणा की. ममता बनर्जी द्वारा कालिंपोंग को जिला घोषित किये जाने के बाद सिलीगुड़ी के नागरिकों की उम्मीद काफी बढ़ गयी थी. कइ लोगों का यह भी मानना है कि राजनीतिक फायदे के लिये कालिंपोंग को जिला घोषित किया गया.
जबकि बृहत्तर सिलीगुड़ी नागरिक मंच ने अब तक दीदी पर से भरोसा नहीं खोया है. बृहत्तर सिलीगुड़ी नागरिक मंच की मांग है कि दार्जिलिंग जिला के वर्तमान छह विधानसभा सीटों में से समतल के तीन सिलीगुड़ी, माटिगाड़ा-नकस्लबाड़ी और फांसीदेवा सहित जलपाईगुड़ी जिले के डाबग्राम-फूलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र को लेकर एक अलग जिला बनाया जाना चाहिए. इसके अतिरिक्त भक्तिनगर थाने को सिलीगुड़ी जिला अदालत के दायरे में लाने के लिये भी इनकी लड़ाई जारी है. अपने इन दो मांगो को लेकर नागरिक मंच ने हस्ताक्षर अभियान चलाया था.