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विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी विधानसभा सीट से इस बार भी माकपा उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार बाइचुंग भुटिया के साथ है. पेश है उसी बातचीत के मुख्य अंश- प्रश्न : इस बार के चुनाव में वाम मोरचा का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा क्या है? उत्तर : इस […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी विधानसभा सीट से इस बार भी माकपा उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार बाइचुंग भुटिया के साथ है. पेश है उसी बातचीत के मुख्य अंश-
प्रश्न : इस बार के चुनाव में वाम मोरचा का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा क्या है?
उत्तर : इस बार के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा भ्रष्टाचार है. इससे पहले बंगाल विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं था. सिर्फ बंगाल ही नहीं, देश के चुनाव में भी यदि दो मौकों को छोड़ दें तो भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा नहीं बना. देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय बोफोर्स तोप घोटाला एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना था. इसके अलावा पिछले लोकसभा चुनाव में यूपीए-2 सरकार में हुए घोटाले को भी मुद्दा बनाया गया. जहां तक पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का सवाल है, तो भ्रष्टाचार कभी कोई मुद्दा ही नहीं रहा. पहली बार इस मुद्दे ने मतदाताओं को झकझोर दिया है.
प्रश्न : आप कैसे कह सकते हैं कि तृणमूल सरकार में घोटाले हुए?
उत्तर : इसमें कहना क्या है, लोग देख रहे हैं. नारद स्टिंग कांड में तृणमूल कांग्रेस के तमाम आला नेताओं को लोगों ने रुपये लेते हुए देखा है. तृणमूल के अभी भी एक मंत्री मदन मित्रा भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं. सारधा से जो घोटाला शुरू हुआ, वह नारदा तक जारी है.
माकपा इस बार नारदा, सारधा और एसजेडीए घोटाले को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना रही है. तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार मुकुल राय, फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी आदि खुलेआम पैसे लेते देखे जा रहे हैं. इस बात की जांच होनी चाहिए कि वह लोग किस बात के पैसे ले रहे हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह इस मामले की जांच के आदेश दें. सिलीगुड़ी में 200 करोड़ रुपये का एसजेडीए घोटाला हुआ. सीबीआई जांच की मांग के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई. राज्य सरकार पूरी तरह से कोताही बरतने में लगी रही. सारधा घोटाले का मामला जब सामने आया था तब लोगों ने तृणमूल सरकार के घोटाले के बारे में सुना. नारदा कांड में लोगों ने घोटाले को देख लिया.
प्रश्न : तृणमूल उम्मीदवार बाइचुंग भुटिया को आप अपने लिए कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं?
उत्तर : बाइचुंग भुटिया मेरे लिए कोई चुनौती नहीं हैं. वह लोकसभा चुनाव हार चुके हैं और इस बार विधानसभा चुनाव भी हारेंगे. 2011 में वह मेरे लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे और इस बार मेरे खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. उनका सिलीगुड़ी के लोगों से कोई लेना-देना नहीं है. लोकसभा चुनाव हारने के बाद वह सिलीगुड़ी से गायब हो गये थे. अब विधानसभा चुनाव में वह फिर दिखने लगे हैं. बाइचुंग भुटिया एक खिलाड़ी के तौर पर बड़े नाम हैं. खिलाड़ी होने की वजह से मै भी उनकी इज्जत करता हूं.
मैं जब मंत्री था, तो उन्हें कोलकाता में पांच कट्ठा जमीन घर बनाने के लिए दिया था.
प्रश्न : बाइचुंग कहते हैं कि वह सिलीगुड़ी को एक स्पोर्ट्स सिटी बनायेंगे?
उत्तर : बाइचुंग चुनाव में जीतेंगे तभी तो कुछ करेंगे. जहां तक सिलीगुड़ी को स्पोर्ट्स सिटी बनाने की बात है, तो मैं जब मंत्री था तभी सिलीगुड़ी का नाम खेल में स्थापित कर दिया था.
मैंने कंचनजंगा स्टेडियम का कायाकल्प करवाया. मेरे समय में इंडोर स्टेडियम का निर्माण हुआ. टेबल टेनिस को बढ़ावा देने का काम मैंने किया. रंजी ट्राफी मैच मैंने करायी. पांच वर्ष से तृणमूल की सरकार है. उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव यहां के अघोषित मुख्यमंत्री हैं. वह बतायें कि उन्होंने पांच साल में खेल के विकास के लिए क्या किया है.
प्रश्न : चुनाव में आपको कैसा समर्थन मिल रहा है?
उत्तर : इस बार का विधानसभा चुनाव परिणाम काफी चौंकाने वाला होगा. राज्य में ममता बनर्जी सरकार की विदायी तय है.
मैं जहां कहीं भी चुनाव प्रचार के लिए जाता हूं, लोग तृणमूल के कार्यकर्ताओं एवं नेताओं की शिकायत करते हैं. पूरे प्रदेश में आतंक का माहौल कायम है. सिलीगुड़ी एवं उत्तर बंगाल भी तृणमूल के आतंक से अछूता नहीं है. पुलिस भेदभाव करती है. मुझे सभी वर्ग के लोगों का समर्थन मिल रहा है.
प्रश्न : कांग्रेस के साथ गंठबंधन का लाभ किसको अधिक होगा. वाम मोरचा या कांग्रेस को?
उत्तर : गठबंधन का लाभ दोनों ही पार्टियों को होगा. यह गठबंधन दोनों पार्टियों के नेताओं ने नहीं किया है. गठबंधन का फैसला आम लोगों का है. यही वजह है कि माकपा एवं कांग्रेस के संयुक्त चुनाव प्रचार में भारी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं.
प्रश्न : कोलकाता में पुल गिरने के मामले में आपको भी लपेटा जा रहा है. आप क्या कहेंगे?
उत्तर : कोलकाता में पुल गिरने के लिए जिम्मेदार पूरी तरह से राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दूसरे पर दोष मढ़ कर अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकतीं. यह सही है कि मैं जब तत्कालीन वाम मोरचा सरकार में शहरी विकास मंत्री था तब इस पुल को बनाने की मंजूरी दी थी. पुल बनाने का काम ममता बनर्जी की सत्ता में आने के बाद शुरू हुआ.
जिस कंपनी को मैंने पुल बनाने का काम आवंटित किया था तब यह कंपनी काफी बड़ी थी. कंपनी के शेयर के दाम तब 200 रुपये से भी अधिक थे. पुल बनाने के लिए कुल 19 कंपनियों ने टेंडर दिया था, जिसमें से चार कंपनियों का नाम छांटा गया. बाद में हैदराबाद की कंपनी को जिम्मेदारी दी गई. ममता बनर्जी 2011 में सत्ता में आयीं और पुल बनाने का काम शुरू हुआ. तब तक कंपनी की हालत खराब होनी शुरू हो गई थी. ममता बनर्जी को ठेका रद्द कर देना चाहिए था. 200 रुपये के शेयर वाली कंपनी के शेयरों का भाव लगातार गिरता गया.
2012-13 में इस कंपनी के शेयर 20 रुपये तक आ गये. वर्तमान में यह आंकड़ा पांच रुपये का है. उसके बाद भी ममता बनर्जी ने इस कंपनी को काम पर बनाये रखा. दरअसल इसमें भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है.
प्रश्न : आप चुनाव प्रचार के लिए राज्य में अन्य स्थानों पर क्यों नहीं जा रहे हैं. क्या पार्टी आपको उतना महत्व नहीं दे रही है जितने के आप हकदार हैं?
उत्तर : ऐसा नहीं है. पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में मेरा भी नाम है. मैं सिलीगुड़ी से उम्मीदवार हूं, इसलिए अन्य स्थानों पर चुनाव प्रचार करने नहीं जा रहा हूं. फिर भी उत्तर बंगाल में मैं मालदा तथा कूचबिहार आदि स्थानों में चुनाव प्रचार कर चुका हूं. 17 तारीख को सिलीगुड़ी में मतदान है. उसके बाद मैं बर्दमान तथा दक्षिण बंगाल के अन्य स्थानों पर चुनाव प्रचार के लिए जाऊंगा.
प्रश्न : टीवी चैनलों के ओपिनियन पोल में तो आपके लिए खुश होने जैसा कुछ नहीं है. तृणमूल के आगे गठबंधन कहीं भी नहीं टिक रही है. ऐसे में आप चुनाव में जीत के दावे कैसे कर सकते हैं.
उत्तर : टीवी चैनलों का ओपिनियन पोल काफी पहले का है. चुनाव कई चरण में हो रहे हैं और आम मतदाताओं के रूझान में भी परिवर्तन हो रहा है. आपको यदि बिहार विधानसभा चुनाव में हुए ओपिनियन पोल के आंकड़े याद हों तो तब सभी टीवी चैनलों ने भाजपा की जीत का दावा किया था. नरेन्द्र मोदी के पक्ष में चार प्रतिशत से भी अधिक वोट की बढ़त थी. चुनाव आते-आते इसमें लगातार कमी होती गई. जब चुनाव परिणाम सामने आया, तो भाजपा और नरेन्द्र मोदी की करारी हार हुई थी.
प्रश्न : तो आपके कहने का मतलब क्या है? बिहार जैसे ही परिणाम क्या यहां होंगे?
उत्तर : निश्चित रूप से. 19 मई को राज्य से तृणमूल सरकार की विदाई तय है. तृणमूल सरकार के साथ ही भाजपा की भी इस राज्य से प्रासंगिकता खत्म हो जायेगी. भाजपा तो ऐसे भी रेस में कहीं नहीं है.

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