इस बीच, उनके इस्तीफे से अलीपुरद्वार जिला परिषद की स्थिति काफी विकट हो गई है. जिला परिषद में तृणमूल बोर्ड के अस्तित्व को संकट पैदा हो गया है. यहां उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस ने कालचीनी विधानसभा सीट से विल्सन चम्प्रामारी को अपना उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले श्री चम्प्रामारी यहां से गोजमुमो के समर्थन पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल कर चुके हैं. बाद में वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये. उसके बाद ममता बनर्जी ने इस सीट से विल्सन चम्प्रामारी को ही चुनावी टिकट थमा दिया. उसके बाद से ही अतुल सुब्बा ने विद्रोही तेवर अपना लिया है. श्री सुब्बा ने से विल्सन चम्प्रामारी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
उन्होंने कहा है कि जब वह कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में शामिल हुए थे, तब उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में कालचीनी विधानसभा सीट से टिकट देने का वादा किया गया था. इसके साथ ही जयगांव विकास परिषद विकास प्राधिकरण के चेयरमैन बनाने की बात भी कही गई थी. उसके बाद पार्टी अचानक अपने वादे से मुकर गई. इसी वजह से उन्होंने निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
श्री सुब्बा ने भाजपा के साथ ही गोजमुमो तथा झामुमो के भी समर्थन का दावा किया है. इस बीच, पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अतुला सुब्बा को मनाने की कोशिश की जा रही है. हालांकि कालचीनी का टिकट देने का आश्वासन नहीं दिया गया है. इस बीच, अतुल सुब्बा ने अलीपुरद्वार जिला परिषद को भंग करने की भी धमकी दी है. अलीपुरद्वार जिला परिषद में तृणमूल के पास दस, तथा वाम मोरचा के पास आठ सीटें हैं. अब अतुल सुब्बा ने तृणमूल कांग्रेस से अपना इस्तीफा दे दिया है. स्वाभाविक रूप से तृणमूल सदस्यों की संख्या कम हो गई है. श्री सुब्बा ने अपना इस्तीफा जलपाईगुड़ी के जिला अध्यक्ष सौरभ चक्रवर्ती को भेज दिया है.