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बाहरी लोगों पर सीएम का भरोसा
सियासी समर. टिकट के लिए ताकते रह गये पार्टी के कई दिग्गज सिलीगुड़ी : लीगुड़ी सहित दार्जिलिंग जिले के सात विधानसभा सीटों में से सभी पर पार्टी से बाहरी नेताओं को ममता बनर्जी ने तरजीह दी है. तृणमूल कांग्रेस द्वारा जो उम्मीदवार घोषित किये गये हैं उसमें से सभी ऐसे हैं जो किसी ना किसी […]
सियासी समर. टिकट के लिए ताकते रह गये पार्टी के कई दिग्गज
सिलीगुड़ी : लीगुड़ी सहित दार्जिलिंग जिले के सात विधानसभा सीटों में से सभी पर पार्टी से बाहरी नेताओं को ममता बनर्जी ने तरजीह दी है. तृणमूल कांग्रेस द्वारा जो उम्मीदवार घोषित किये गये हैं उसमें से सभी ऐसे हैं जो किसी ना किसी पार्टी को छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं.
जिला नेताओं की पूरी तरह से उपेक्षा की गई है. न केवल दार्जिलिंग हिल्स तृणमूल कांग्रेस अपितु दार्जिलिंग समतल तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेता भी टिकट के लिए राह ताकते रह गये. जब तक तृणमूल कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की थी, तब तक सिलीगुड़ी में नान्टू पाल, कृष्णचन्द्र पाल, जिला अध्यक्ष रंजन सरकार आदि जैसे नेताओं को टिकट का दावेदार माना जा रहा था. उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद न केवल यह सभी नेता, बल्कि दार्जिलिंग जिले के आम लोग भी हैरान हैं. माना जा रहा था कि जिला अध्यक्ष रंजन सरकार सिलीगुड़ी अथवा माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. सिलीगुड़ी के वर्तमान विधायक रूद्रनाथ भट्टाचार्य को टिकट नहीं मिलना करीब-करीब तय था.
जब से एसजेडीए घोटाले में उनका नाम आया है तभी से दोबारा चुनाव लड़ने की उनकी दावेदारी क्षीण हो गई थी. रूद्रनाथ भट्टाचार्य के स्थान पर नान्टू पाल तथा कृष्णचन्द्र पाल टिकट पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए थे. इन दोनों नेताओं की कौन कहे, टिकट पाने में जिला अध्यक्ष रंजन सरकार भी विफल रहे. जबकि उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कई जिला अध्यक्षों को पार्टी ने टिकट दिया है.
कूचबिहार से पार्टी के जिला अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ घोष एक बार फिर से उम्मीदवारी हासिल करने में सफल रहे हैं.और तो और, कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल जलपाईगुड़ी के जिला अध्यक्ष सौरभ चक्रवर्ती को अलीपुरद्वार से पार्टी ने टिकट पकड़ाया है. इसके अलावा मालदा के जिला अध्यक्ष मुअज्जम हुसैन भी मालतीपुर से टिकट पाने में सफल रहे.
दार्जिलिंग जिले की बात करें तो दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के तीन सीटों में से दार्जिलिंग अथवा कर्सियांग से हिल्स तृणमूल अध्यक्ष राजेन मुखिया टिकट के दावेदार थे. गोजमुमो के बागी नेता तथा अपनी नयी पार्टी बनाने वाले हर्क बहादुर छेत्री का कालिम्पोंग से फिर से चुनाव लड़ना तय था.
माना जा रहा था कि ममता बनर्जी कालिम्पोंग से तृणमूल का उम्मीदवार न देकर हर्क बहादुर छेत्री का समर्थन करेंगी. अब आलम यह है कि हर्क बहादुर छेत्री तृणमूल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. कल तक गोजमुमो के प्रमुख नेता रहे हर्क बहादुर छेत्री अब तृणमूल के नेता बन गये. पहाड़ पर राजेन मुखिया के साथ ही बिन्नी शर्मा को भी झटका लगा है.
दार्जिलिंग से पार्टी ने हिल तृणमूल महिला कांग्रेस अध्यक्ष शारदा राई को टिकट दिया है. शारदा राई कभी गोरामुमो में हुआ करती थीं. ऐसे तो राजेन मुखिया भी कभी गोरामुमो में हुआ करते थे, लेकिन वह कई वर्षों पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये थे. इसके अलावा बिन्नी शर्मा भी पहाड़ पर शुरू से ही तृणमूल के बड़े नेता रहे हैं. पार्टी प्रमुख के खिलाफ मुंह खोलना इन लोगों के लिए संभव नहीं है. माना जा रहा है कि अंदर ही अंदर यह सभी पार्टी सुप्रीमो के खिलाफ मोरचा खोलने की तैयारी में लगे हुए हैं.
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र की एक अन्य सीट कर्सियांग की बात करें तो यहां भी ममता बनर्जी ने बाहरी उम्मीदवार पर भरोसा जताया है. पिछले वर्ष गोरामुमो से तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुई शांता छेत्री को पार्टी ने टिकट पकड़ा दिया है. शांता छेत्री गोरामुमो की ओर से यहां से 15 साल तक विधायक थी. दार्जिलिंग जिले की एक अन्य सीट माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी की बात करें तो यहां भी बाहरी उम्मीदवार पर ममता बनर्जी ने भरोसा जताया है. उन्हें कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में शामिल होने का पुरस्कार ममता बनर्जी ने प्रदान किया है. जिले की एक अन्य सीट फांसीदेवा की भी कमोबेश यही स्थिति है. यहां भी ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़कर आने वाले कार्लोस लाकड़ा को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है.
सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र की यदि बात करें तो यहां से तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा में पराजित अपने उम्मीदवार पूर्व भारतीय फुटबॉलर वाइचुंग भुटिया को टिकट दिया है. वाइचुंग भुटिया कभी भी तृणमूल के सक्रिय नेता नहीं रहे. दो साल पहले हुए लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें दार्जिलिंग संसदीय सीट से अचानक मैदान में उतार दिया था.
चुनाव हारने के बाद वह तृणमूल कांग्रेस के कार्यक्रमों में कम ही देखे गये. अचानक उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट पकड़ा दिया गया है. इस सीट पर वाइचुंग भुटिया का सिलीगुड़ी के मेयर तथा 20 वर्षों तक वाम मोरचा सरकार में मंत्री रहे अशोक भट्टाचार्य से होना तय माना जा रहा है. वाम मोरचा ने अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है.
लेकिन सिलीगुड़ी से अशोक भट्टाचार्य का लड़ना तय है. यहां सबसे मजेदार तथ्य यह है कि वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में वाइचुंग भुटिया ने तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अशोक भट्टाचार्य का चुनाव प्रचार किया था.
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