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दर्जनों घर-दुकानें उजाड़ी, कई घरों को तोड़ा
तांडव. जंगली हाथी के चिंघाड़ ने सिलीगुड़ी के लोगों की उड़ायी नींद, शहर के रिहायशी इलाकों में धमा चौकड़ी सैकड़ों बाइक और कारों को रौंदा, हाथी ने शहर में नौ घंटे तक जमकर मचाया तांडव सिलीगुड़ी : जंगली हाथी के चिंघाड़ ने बुधवार को सिलीगुड़ी के लोगों की नींद उड़ा दी. एक हाथी ने शहर […]
तांडव. जंगली हाथी के चिंघाड़ ने सिलीगुड़ी के लोगों की उड़ायी नींद, शहर के रिहायशी इलाकों में धमा चौकड़ी
सैकड़ों बाइक और कारों को रौंदा, हाथी ने शहर में नौ घंटे तक जमकर मचाया तांडव
सिलीगुड़ी : जंगली हाथी के चिंघाड़ ने बुधवार को सिलीगुड़ी के लोगों की नींद उड़ा दी. एक हाथी ने शहर में जमकर उधम मचाया़ आशंका जतायी जा रही है कि हाथियों के झुंड से बिछुड़ कर यह हाथी जंगल से शहर में निकल आया. तड़के शहर में प्रवेश कर, रिहायशी इलाकों में हाथी घुमता रहा.
इस दौरान हाथी को देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और लोगों से आतंकित होकर हाथी जिधर से भी गुजरा, तांडव मचाता चला गया. हाथी ने दर्जनों घर-दुकान उजाड़े दिये और सैकड़ों बाइक-कारों को कहीं पैर तले रौंद डाला, तो कहीं वाहनों को फूटबॉल की तरह हवा में उड़ा डाला. कइ इलाकों के चार दिवारियों को भी तहस-नहस कर दिया.
हालांकि खबर लिखे जाने तक कहीं से भी किसी के जख्मी होने की पुष्टि नहीं हुई है. बैकुंठपुर फॉरेस्ट डिवीजन के फाफड़ी जंगल से शहर में निकले हाथी ने करीब नौ घंटे तक तांडव मचाया. हाथी को सबसे पहले भक्तिनगर थाना क्षेत्र के इस्टर्न बायपास के नरेश मोड़, चयनपाड़ा इलाके में देखा गया. इसके बाद वह एकटियासाल बाजार होते हुए शहर के 40 नंबर वार्ड के हैदरपाड़ा, अशरफनगर, अंचल मोड़ इस्कॉन मंदिर रोड होते हुए सुबह 10 बजे हार्ट ऑफ सिटी सेवक रोड चला आया. यहां पायल थियेटर के पास स्थित हीरो बाइक के गोदाम कैंपस का दरवाजा तोड़कर 20-25 नयी बाइकों को तहस-नहस कर दिया. कैंपस के चारदिवारी को भी तीन जगहों पर तोड़ डाला. अचानक कैंपस में हाथी देख गोदाम कर्मचारी बौखला उठे.
उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि करें, तो क्या करें. गोदाम प्रभारी बिजू बरूवा ने बताया कि जब हाथी दरवाजा तोड़कर कैंपस में आया तो यहां उनके अलावा काजल चक्रवर्ती, शेखर दास, किशोर सरकार व नरेश पासवान मौजूद थे. बिजू का कहना है कि अचानक कैंपस में हाथी देख सभी काफी आतंकित हो उठे. दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें. बाद में हाथी बाइकों और चार दिवारी को तहस-नहस कर अपने-आप कैंपस से बाहर निकल गया. हाथी के बाहर निकलते ही सभी ने चैन की सांस ली.
हाथी घर हिला रहा था, लगा भूचाल आ गया
सबसे पहले हाथी को पूर्व चयनपाड़ा की रहनेवाली एक महिला असीता पाल ने तड़के करीब तीन बजे देखा. वह अचानक हाथी देख इतनी भयभीत हो उठी कि उसके मुंह से बोल ही नहीं निकल पा रहे थे.
बाद में जब हाथी अपने-आप वहां से गुजर गया, तब करीब घंटे भर बाद उसके मुंह से आवाज निकली. असीता ने मीडिया को बताया कि उसका टीन का घर है, वह गहरी नींद में थी. अचानक उसे भूचाल आने जैसा महसूस हुआ. घर काफी आवाज के साथ हिल रहा था. वह भागती हुई घर से बाहर निकली तो पाया कि उसका रसोई घर तहस-नहस हो गया.
उसे ऐसा लगा कि एकबार फिर जोर का भूचाल आया है. वह घर के अन्य सदस्यों को बाहर निकलने के लिए चित्कार करती, तभी घर के पीछे से हाथी को निकलते देख उसकी घिग्घी बंध गयी और चिल्लाने पर भी मुंह से आवाज नहीं निकली. ऐसा ही कुछ एकटियासाल निवासी देवू साहा का था. उन्होंने कहा कि इलाके में हाथी की बात जानकर उत्सुकता वश वह अपने परिवार के साथ घर से बाहर निकला. कुछ देर बाद ही हाथी कई घरों-दुकानों व दिवालों को तहस-नहस करते हुए, उसके घर की ओर रूख कर गया और देखते-ही-देखते उसके पक्के मकान को ताश के पत्तों की तरह उजाड़ दिया.
बेकाबू हाथी के सामने वन विभाग विवश
बेकाबू हाथी के सामने वन विभाग पूरी तरह विवश दिखा. एक हाथी को काबू करने में विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को नौ घंटा से भी अधिक का समय लग गया. एक हाथी ने बैकुंठपुर फॉरेस्ट डिवीजन में अनुभवी अधिकारियों, कर्मचारियों और ढांचागत सुविधाओं एवं संशाधनों की कमी का पोल खोल दिया.
पहले से ही बुरी तरह जख्मी हाथी को काबू में करने के लिए विभागीय अधिकारियों को बेहाश करनेवाली पांच-पांच गोलियां दागनी पड़ी. वन्य-प्राणी प्रेमियों की माने तो जख्मी हाथी पर पांच-पांच इंजेक्शन लगाना उसके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है. वन्य-प्राणी संगठन एनिमल लिंक के श्यामल चौधरी उर्फ बाका दा का कहना है कि अगर समय पर हाथी का सही इलाज शुरू नहीं हुआ तो बेहोशी के दवा की ओवरडोज की वजह से हाथी की मौत भी हो सकती है.
वन अधिकारी की सफाई
बैकुंठपुर फॉरेस्ट के वन अधिकारी (सीसीएफओ) एनएस मुरली ने अपनी सफाई में कहा कि जंगली-जानवरों को काबू करने के लिए विभाग के संशाधनों की कोई कमी नहीं है. कमी है तो आम लोगों में जागरूकता की. बौखलाये हाथी के साथ फोटो खिंचवाने और हाथी के सामने ही इकट्ठा होने का लोगों ने जो बेवकूफी दिखायी, अगर वन विभाग की टीम सब-समय साथ न होती तो, सिलीगुड़ी में बड़ा हादसा हो सकता था. कई लोगों की जानें जा सकती थी. श्री मुरली ने कहा कि वैसे तो हाथी को जंगल में खदड़ने के लिए वन कर्मचारियों की टीम सुबह से ही लगी हुई थी लेकिन सेवक रोड में 10 बजे हाथी के पहुंचने की खबर लगने के साथ ही वह दल-बल के साथ मौके पर पहुंच गये. पुलिस अधिकारियों एवं सिलीगुड़ी अग्निशमन विभाग को भी सूचित करने के साथ ही सभी हाथोंहाथ पहुंच गये.
श्री मुरली ने कहा कि बीच शहर में हाथी के चले आने और उसे जल्द काबू करने की वजह से ही हाथी को पांच इंजेक्शन दागना पड़ा. हाथी को कई जगह चोटें लगी है उसका पहले इलाज किया जायेगा और पूरी तरह स्वस्थ होने पर ही सुकना जंगल में छोड़ा जायेगा. हाथी को बेहोश करने के बाद दो क्रेनों के सहयोग से एक ट्रक पर लाद कर इलाज के लिए सुकना वन दफ्तर स्थित पशु स्वास्थय केंद्र भेज दिया गया.
पुलिस ने चटकायी लाठियां और पानी की बौछार
सेवक रोड स्थित सिटी प्लाजा के सामने हाथी को देखने की उत्सुक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जहां पुलिस को लाठियां चटकानी पड़ी, वहीं दमकल कर्मियों को पानी का बौछार कर भीड़ को तितर-बितर करना पड़ा. इस दौरान आधे दर्जन लोग आंशिक रूप से जख्मी हो गये.
इस बाबत पुलिस आयुक्त (सीपी) मनोज वर्मा का कहना है कि अगर ऐसा न किया जाता तो हाथी को काबू करना ही मुश्किल हो जाता. लोगों से बार-बार दूर हटने की गुजारिश करने के बावजूद भीड़ बार-बार हाथी के पास आ रही थी. पुलिस को कड़ा रूख इख्तियार करने के लिए भीड़ ने ही उकसाया और ऐसा न किया जाता तो हाथी बौखलाकर बड़ी अनहोनी खड़ा कर सकता था.
सेवक रोड के कई रूटों पर पुलिस ने लगाया बेरिकेड
एक ओर बौखलाये हाथी ने जहां जमकर धमा-चौकड़ी मचा कर पूरे नौ घंटे शहर को अस्त-व्यस्त कर दिया, वहीं हाथी को काबू करने एवं लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस ने सेवक रोड के कई रूटों पर बेरीकेड लगा कर यातायात को दो घंटे के लिए अवरोध कर दिया. सीपी मनोज वर्मा ने बताया कि सेवक रोड के सिटी प्लाजा की ओर जाने वाली सेवक मोड़, हाशमी चौक, चेकपोस्ट एवं इस्कॉन मंदिर रूट की सड़कों को बंद कर यातायात अचल करना पड़ा. इस वजह से सेवक रोड ही नहीं बल्कि पॉकेट सड़के और पूरा शहर अस्त-व्यस्त हो गया. हाथी को दिन के 12 बजे ट्रक में लादकर ले जाने के बाद शहर को जाम मुक्त करने में इस ठंड में भी पसीना छूट गया.
पांच वर्षों में चार बार रिहायशी इलाकों में आ रहे हैं जंगली-जानवर
बार-बार जंगली जानवरों के जंगल छोड़कर शहर के रिहायशी इलाकों में प्रवेश करने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए समाजसेवी सुशील रामपुरिया का कहना है कि इसके लिए हम इंसान ही दोषी हैं.
हम अपने भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटायी कर रहे है और इस वजह से जंगलों में जानवरों के लिए खाने की भी कमी हो रही है. इसलिए बार-बार जंगली जानवर शहर की ओर रूख करते हैं. उन्होंने बताया की बीते पांच वर्षों में चार बार जंगली-जानवर सिलीगुड़ी के रिहायशी इलाकों में घुस चुके हैं. पहली बार 2011 में बागडोगरा के रास्ते माटीगाड़ा होते हुए शहर के शक्तिगढ़ के आवासीय इलाके में हाथी आया था.
इसके बाद 2012 में 42 नंबर वार्ड के भक्तिनगर थाना के सामने लिंबू बस्ती में तेंदुआ आया था. इसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शहर में मौजूद थी और पिंटेल विलेज में केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में जीटीए समझौते पर हस्ताक्षर हो रहा था.
तीसरी बार, तेंदुआ शहर के हाकिमपाड़ा के रिहायशी इलाके में आ गया था और कई लोगों को जख्मी भी कर दिया था. वन अधिकारियों ने इसे कड़ी मशक्कत के बाद एक मकान के कमरे से काबू करने में सफलता पायी थी. इत्तेफाक से इस दिन भी ममता सिलीगुड़ी में मौजूद थी और उत्तर बंग उत्सव कार्यक्रम में शिरकत कर रही थी.
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