यह मामला सामने आते ही प्रभात खबर का प्रतिनिधि जब खबर के तह तक गया तो कई चौंकाने वाला रहस्य सामने आया. बांग्लादेशी किन्नर केवल लड़कों को जबरन किन्नर ही नहीं बना रहे बल्कि ढोलक के आड़ में गांजा, ड्रग्स व अन्य मादक पदार्थों का बांग्लादेश तस्करी धड़ल्ले से कर रहे हैं. इन मादक पदार्थों को बड़े शातिर तरीके से ढोलक के भीतर छुपा कर रखा जाता है.
ये बांग्लादेशी किन्नर रेल स्टेशनों, ट्रेनों, आवासीय इलाकों, बाजारों में ढोलक बजाकर भी मादक पदार्थों के इस गोरखधंधे को खुलेआम अंजाम देते हैं. इतना ही नहीं ये बांग्लादेशी किन्नर चाय बागानों या अन्य क्षेत्रों की भोली-भाली लड़कियों को भी काम, नौकरी का प्रलोभन देकर जबरदस्ती वेश्यावृति में धकेल दे रहे हैं. इन लड़कियों को केवल उत्तर बंगाल के रेड लाइटों में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश के भी रेड लाइटों में तस्करी की जा रही है. भारतीय किन्नरों का आरोप है कि ये बांग्लादेशी किन्नर पैसे एवं रूतबे के बल पर भारतीय सीमा में अवैध तरीके से प्रवेश कर, जन्मजात भारतीय किन्नरों पर भी दादागिरि दिखाने से बाज नहीं आते. इनका जाल अब पूरे उत्तर बंगाल में फैल गया है.
ये किन्नर खासकर एनजेपी, जलपाईगुड़ी, अलिपुरद्वार, कूचबिहार, बालुरघाट, हिली, मालदा इलाकों में अधिक सक्रिय हैं. जन्मजात किन्नर काजल राय ने प्रभात खबर को बताया कि इन बांग्लादेशी किन्नरों के अवैध कार्यों की लिखित शिकायत कई बार शासन-प्रशासन से की जा चुकी है लेकिन कोई कार्रवायी नहीं हो रही. काजल ने बताया कि कई थानों के अलावा रेलवे जीआरपी एवं आरपीएफ में भी शिकायत की जा चुकी है. उसने बताया कि इनके सर पर बड़े लोगों का हाथ है. इस वजह से आज इन्हें अवैध तरीके से भारतीय नागरिकता भी प्राप्त हो चुकी है. इनके पास भारतीय पहचान-पत्र, राशन कार्ड, जन्म प्रमाण-पत्र के अलावा अन्य जरूरी सभी भारतीय दस्तावेज मौजूद हैं. जबकि हम भारतीय किन्नरों में अधिकांश के पास ही ये जरूरी दस्तावेज नहीं है. ये दस्तावेज बनाने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते-लगाते चप्पल घिस जाते हैं लेकिन दस्तावेज नहीं बनाया जाता. काजल ने बताया कि बांग्लादेशी किन्नरों की मुख्य सरगना पिपासा हाजी है. जिसकी बहुत उंची पहुंच है और उसके गिरोह में पांच सौ से भी अधिक बांग्लादेशी किन्नर हैं. यूं तो इनका उत्तर बंगाल के सभी जिलों व जगहों पर अड्डा है लेकिन मुख्य अड्डा जलपाईगुड़ी रोड, कूचबिहार व अलिपुरद्वार है.
श्रेया कूचबिहार जिले के तूफानगंज की रहने वाली है. उसने बताया कि पढ़ने में काफी तेज था लेकिन घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से 11वीं के बाद पढ़ायी बीच में ही छोड़नी पड़ी. करीब डेढ़ वर्ष पहले काम की तलाश में घर से निकला और रेलवे स्टेशन पर बाहर जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहा था. तभी पिपासा नाम की किन्नर अपने कई साथियों के साथ मेरे सामने आ गयी और काम का झांसा देकर जलपाइगुड़ी रोड स्थित अपने घर ले गयी. वहां मुझसे घर का काम-काज कराने लगी. कई दिनों के बाद जब पैसा मांगता तो वह गाली-गलौज और मार-पीट पर उतारू हो जाती. करीब सात महीने पहले एक दिन घर जाने की बात कहने पर उसने खाने में कुछ मिला कर दिया, जिससे वह बेहोश हो गया और जब आधे घंटे बाद उसकी चेतना आयी, तो पाया की उसका गुप्तांग काट कर, महिलाओं जैसी बना दी गयी है. वह वहां से किसी तरह भागकर तूफानगंज अपने घर लौटा और अपनी आपबीती घरवालों को बतायी तो परिवार ने अपनाने से इंकार कर दिया. अब वह काजल दीदी के संरक्षण में रह रही है. इसी से मिलता जूलता एक और कहानी डायना का है.
डायना कूचबिहार जिले के कालियागंज के बलियाबाड़ी का रहनेवाला है. वह भी पढ़ा-लिखा युवक है. उसके साथ दर्दभरी कहानी दो साल पहले शुरू हुई. वह जब काम की तलाश में घर से निकला तो काम के बदले उंची रकम के लालच में पिपासा के चुंगल में फंस गया. पिपासा उसे अपने साथ कई बार बांग्लादेश भी ले गयी. और उससे अवैध कार्य कराती. उससे जब पैसे मांगता तो शारीरिक एवं मानसिक अत्याचार करती. करीब एक वर्ष पहले बांग्लादेश में उसे अचेत कर दिया गया और जब होश आया तो देखा कि उसका गुप्तांग काट दिया गया है. भारत लौटने पर वह पिपासा के चुंगल से फरार होकर घर लौटा, लेकिन परिजनों ने उसे भी अपनाने से इंकार कर दिया और आज मजबूरन एनजेपी में काजल दीदी के पास रहने को मजबूर है.