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चुनाव में बदलेगा पहाड़ का समीकरण
सियासत : गोजमुमो के गढ़ में ताकत दिखा गये हर्क बहादुर, तृंका का मिला अप्रत्यक्ष रूप से साथ गोरखालैंड आंदोलन का मुद्दा होगा गौण सिलीगुड़ी : कभी विमल गुरूंग के काफी नजदीक रहे गोजमुमो के बागी नेता तथा कालिम्पोंग के विधायक डॉ हर्क बहादुर छेत्री ने पहाड़ के बाद अब समतल पर भी अपनी शक्ति […]
सियासत : गोजमुमो के गढ़ में ताकत दिखा गये हर्क बहादुर, तृंका का मिला अप्रत्यक्ष रूप से साथ
गोरखालैंड आंदोलन का मुद्दा होगा गौण
सिलीगुड़ी : कभी विमल गुरूंग के काफी नजदीक रहे गोजमुमो के बागी नेता तथा कालिम्पोंग के विधायक डॉ हर्क बहादुर छेत्री ने पहाड़ के बाद अब समतल पर भी अपनी शक्ति दिखा दी है.
सिलीगुड़ी के निकट गोजमुमो के गढ़ सुकना में हर्क बहादुर ने एक बड़ी जनसभा कर अपनी ताकत दिखा दी है. सुकना में गोजमुमो का अपना एक बड़ा संगठन है. अब तक कभी भी विरोधी पार्टी के नेता यहां अपनी जनसभा नहीं कर पाते थे. 2007 में गोजमुमो के गठन के बाद से सुकना में किसी भी विरोधी पार्टी ने इतनी बड़ी जनसभा नहीं की थी.
शनिवार की इस जनसभा में हर्क बहादुर को एक तरह राज्य सरकार तथा सत्तारूढ़ तृणमूल पार्टी का भी अप्रत्यक्ष समर्थन मिला. सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किये गये थे. भारी संख्या में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गयी थी. इतना ही नहीं, एक राजनीतिक कार्यक्रम होने के बावजदू मंच को नीले एवं सफेद रंग में बनाया गया था. यह रंग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पसंदीदा रंग है. पश्चिम बंगाल में तमाम सरकारी भवनों को इसी रंग में या तो रंग दिया गया है या फिर रंगने का काम किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी जब किसी सरकारी कार्यक्रम में शामिल होती हैं तो मंच नीले और सफेद रंग से ही सुसज्जित किया जाता है.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस ने आनेवाले विधानसभा चुनाव में गोजमुमो को चुनौती देने के लिए हर्क बहादुर को सामने रख दिया है.
ममता बनर्जी उनको सामने रखकर ही पहाड़ की तीनों विधानसभा सीटों दार्जिलिंग, कार्सियांग तथा कालिम्पोंग में अपनी पार्टी का परचम लहराना चाहती हैं. पहले माना जा रहा था कि गोजमुमो से बगावत करने के बाद हर्क बहादुर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो जायेंगे. लेकिन वह तृणमूल में शामिल न होकर अपनी नयी पार्टी बना रहे हैं. 27 जनवरी को कालिम्पोंग में वह अपनी नयी पार्टी का एलान करेंगे.
सुकना में आज की जनसभा से यह भी स्पष्ट हो गया है कि पहाड़ पर एक नया राजनीतिक समीकरण बनने जा रहा है. वर्ष 2007 के बाद से पहली बार गोजमुमो को कोई चुनौती देता दिख रहा है. हर्क बहादुर के साथ महेंद्र पिलामा तथा अभागोली नेता स्व मदन तामांग के भाई अमर लामा भी हैं. राजनीतिक विश्लेषक इसी को एक नया समीकरण मान रहे हैं.
महेंद्र पिलामा दार्जिलिंग पहाड़ तथा डुवार्स के कुछ इलाकों को मिलाकर अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन करते रहे हैं. वह 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़े थे और तब वह दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से काफी वोट लाने में सफल रहे थे. मदन तामांग के भाई अमर लामा गोजमुमो के गठन के बाद से ही विमल गुरूंग के साथ थे.
उनके भाई की हत्या होने के बाद वह गोजमुमो से अलग हुए और अभी हर्क बहादुर छेत्री के साथ हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आनेवाले दिनों में हर्क बहादुर मन घीसिंग के नेतृत्ववाली गोरामुमो के साथ भी तालमेल कर विधानसभा चुनाव में कदम रख सकते हैं. पिछले दिनों हर्क बहादुर छेत्री ने सुभाष घीसिंग को गोरखाओं का महान नेता बताया था और कहा था कि उन्हें उनके संबंध में गलत जानकारी दी गयी थी.
राजनीतिक विश्लेषकों ने आगे कहा कि विधानसभा चुनाव में गोजमुमो विरोधी एक बड़ा गंठजोड़ बन सकता है. इसमें हर्क बहादुर की पार्टी के अलावा तृणमूल कांग्रेस तथा गोरामुमो के शामिल होने की संभावना जतायी जा रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों ने यह भी बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव में अलग गोरखालैंड राज्य का मुद्दा गौण हो सकता है.
गोजमुमो भले ही इस मुद्दे को लेकर विधानसभा चुनाव में उतरेगी, लेकिन हर्क बहादुर छेत्री तथा उनके साथ जुड़े अन्य दलों के लिए यह कोई अहम मुद्दा नहीं होगा. हर्क बहादुर स्वयं भी इस मुद्दे को छोड़ चुके हैं. आज सुकना की जनसभा में भी उन्होंने साफ-साफ कहा कि पहाड़ के लिए विकास जरूरी है, गोरखालैंड राज्य नहीं. गोरखालैंड मुद्दे पर आंदोलन करनेवाले महेंद्र पिलामा तथा अमर लामा ने भी इस मुद्दे पर खामोशी बरत ली है.
तृणमूल कांग्रेस तो पहले से ही गोरखालैंड राज्य बनाने की विरोधी रही है. गोजमुमो की सहयोगी भाजपा भी गोरखालैंड राज्य से पल्ला छुड़ाती दिख रही है. विमल गुरूंग ने कई बार दिल्ली के चक्कर काटे, पर केंद्र सरकार और भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से उन्हें कुछ ठोस आश्वासन नहीं मिला.
जीटीए को पूर्वोत्तर परिषद में शामिल करने की मांग
हर्क बहादुर छेत्री ने जीटीए क्षेत्र को पूर्वोत्तर काउंसिल में शामिल करने की मांग की है. सुकना में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ-साफ कहा कि पहाड़ के लोगों के लिए अलग राज्य नहीं, बल्कि विकास जरूरी है. जीटीए क्षेत्र के विकास के लिए यह जरूरी है कि पूरे पर्वतीय क्षेत्र को पूर्वोत्तर परिषद में शामिल किया जाये. इससे यहां कल-कारखाने लगेंगे और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. वह इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार से भी बातचीत करेंगे.
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