कालिम्पोंग के मुकाबले सिलीगुड़ी की आबादी अधिक है और यहां की ढांचागत सुविधाएं भी कालिम्पोंग के मुकाबले कई गुणा अधिक है. इसके अलावा सिलीगुड़ी को जिला बनाने की मांग काफी वर्षों से होती रही है. दूसरी तरफ गोजमुमो से अलग होने के बाद कालिम्पोंग के विधायक हर्क बहादुर छेत्री ने गोरखालैंड के स्थान पर कालिम्पोंग को जिला बनाने की मांग शुरू की. सिलीगुड़ी में रविवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में श्री छेत्री ने स्वयं कहा कि उन्होंने तीन महीने पहले इस मांग को उठाया और कालिम्पोंग को जिला बनाने में उन्हें सफलता मिल गई. स्वाभाविक तौर पर सिलीगुड़ी के लोग राजनीतिक कारणों से कालिम्पोंग को जिला बनाये जाने की बात कर रहे हैं.
पिछले वर्ष जब जलपाईगुड़ी से अलग कर अलीपुरद्वार जिले का गठन हुआ था, तब भी सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाने की मांग हुई थी. कालिम्पोंग इस मामले में दूर-दूर तक कहीं नहीं था. इस बीच, राज्य सरकार की इस उपेक्षा के खिलाफ सिलीगुड़ी के लोगों ने आंदोलन की तैयारी कर ली है. सिलीगुड़ी वृहतर नागरिक मंच के बैनरतले आज महकमा शासक राजनवीर सिंह कपूर को एक ज्ञापन देकर सिलीगुड़ी को अलग से जिला बनाने की मांग की गई. ज्ञापन देने वालों में संगठन के अध्यक्ष रतन बनिक, सचिव सुनील सरकार तथा सलाहकार समिति के सदस्य सोमनाथ चटर्जी शामिल थे. श्री चटर्जी ने बताया है कि इस मुद्दे को लेकर शीघ्र ही शहर में एक नागरिक सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा. इस सम्मेलन में राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन की रूप-रेखा तय की जायेगी.
श्री चटर्जी ने कहा कि कालिम्पोंग को अगर अलग से जिला बनाया गया है, इस बात का उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. राज्य सरकार को सिलीगुड़ी को भी अलग से जिला बनाना चाहिए था. दूसरी तरफ कई राजनीतिक दलों ने भी सिलीगुड़ी को जिला बनाने की मांग का समर्थन किया है. माकपा नेता तथा सिलीगुड़ी के मेयर अशोक भट्टाचार्य का कहना है कि कालिम्पोंग को जिला बनाने से उन्हें खुशी हुई है. इसके साथ ही सिलीगुड़ी को भी जिला बनाया जाना चाहिए. कांग्रेस नेता शंकर मालाकार ने भी कालिम्पोंग को जिला बनाने का स्वागत किया है, लेकिन इसके साथ ही सिलीगुड़ी को भी अलग से जिला बनाने की मांग की है.