यह बातें पंडित श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज ने कही.वह सिलिगुडी में आयोजित तीन दिवसीय भव्य श्री कृष्ण कथा के दूसरे दिन भक्तों के बीच प्रवचन कर रहे थे.इस कथा का आयोजन विश्व शांति सेवा समिति की सिलीगुड़ी इकाइ द्वारा किया गया है.उन्होंने कहा कि आज हम पढते हैं कमाने के लिये, कमाते हैं हैं खाने के लिये, खाते हैं जीने के लिये, लेकिन जीते किसलिए हैं कभी यह नही सोचते.सारी जिंदगी खाने,कमाने और सोने मे निकाल देते हैं.पंडित जी ने आगे कहा कि खाने और सोने का काम तो पशु भी कर लेते हैं लेकिन हम पशु नहीं हैं.प्रभु ने हमे यह मानव जीवन अपने धर्म के प्रचार प्रसार और भक्ति के लिये दिया है.
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मानव जीवन का सबसे बड़ा सच मृत्यु : पंडित देवकीनंदन
सिलीगुड़ी. जिनको काम प्रिय है वे प्रभु की कथा को नही सुन सकते और जिनको श्याम प्रिय है वे अपना सारा काम छोडकर प्रभु की कथा सुनने के लिए पहुंचते हैं.मानव जीवन का एक सच है और उस सच का नाम है मृत्यु.जब हमें पता है की हमारी मृत्यु निश्चित है हम खाली हाथ आये […]
सिलीगुड़ी. जिनको काम प्रिय है वे प्रभु की कथा को नही सुन सकते और जिनको श्याम प्रिय है वे अपना सारा काम छोडकर प्रभु की कथा सुनने के लिए पहुंचते हैं.मानव जीवन का एक सच है और उस सच का नाम है मृत्यु.जब हमें पता है की हमारी मृत्यु निश्चित है हम खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जायेंगे तो क्यों न हम इस जीवन को धर्म के कार्यों में लगायें, ताकि मरने के बाद जब हम ऊपर जाएं तो प्रभु हमें पहचान सकें.
उन्होंने कहा कि क्या हमारे पास अपने आत्म कल्याण के लिए समय नहीं है. हम जानते हैं की हमें अपने आत्म कल्याण के लिए क्या करना चाहिए. अब भी अगर हम नहीं सुधरे तो जिन्दगी हम पर हंसेगी. उन्होंने कहा कि परमात्मा ने विशेष कृपा कर के ये मानव शरीर दिया है,इसका हमें सदुपयोग करना है दुरूपयोग नहीं.अगर हमने दुरूपयोग किया तो फिर हमे ये मौका दोबारा नहीं मिलेगा.आज कथा के दूसरे दिन भी यहां भक्तों की काफी भीड़ थी.
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