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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महानगर दौरे से पहले भाजपा ने किया साफ, तृणमूल के साथ मैत्री की खबरें राजनीतिक मसाला
कोलकाता/नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोलकाता यात्र से पहले भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के साथ भाजपा की नयी ‘मैत्री’ की खबरों को ‘राजनीतिक मसाला’ करार दिया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि ‘राजनीतिक समीकरणों के लिए लोगों के कल्याण का सौदा नहीं किया जा सकता.’ ममता बनर्जी के नेतृत्ववाले संगठन से […]
कोलकाता/नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोलकाता यात्र से पहले भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के साथ भाजपा की नयी ‘मैत्री’ की खबरों को ‘राजनीतिक मसाला’ करार दिया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि ‘राजनीतिक समीकरणों के लिए लोगों के कल्याण का सौदा नहीं किया जा सकता.’ ममता बनर्जी के नेतृत्ववाले संगठन से राजनीतिक लड़ाई जारी रखने की बात पर जोर देते हुए भाजपा ने सारधा घोटाले के बहाने उनकी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोगों को अब चिटफंड योजनाओं पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं रहेगी.
बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा समझौते और जीएसटी विधेयक पर संसद में तृणमूल कांग्रेस के सरकार को समर्थन देने से इन कयासों को हवा मिल गयी थी कि ममता बनर्जी की पार्टी संसद में भाजपा सरकार का लगातार विरोध करने के बाद अब भगवा पार्टी के साथ निकटता बढ़ा रही है. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और बंगाल के प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एक बयान में कहा : मीडिया और विपक्षी सदस्यों के एक धड़े के लोग यह कयास लगा रहे हैं कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच एक नयी मैत्री बन गयी है. दुर्भाग्य से, उनका ध्यान सामाजिक तौर पर वंचित करोड़ों भारतीयों तक भविष्य में पहुंचनेवाले लाभ पर जाने के बजाय राजनीतिक मसाले पर जा रहा है. हम ये बेबुनियाद कयास उनके विवेक पर छोड़ेंगे.
श्री सिंह ने कहा : तृणमूल कांग्रेस के साथ राजनीतिक लड़ाइयां लड़ी जायेंगी और ये लड़ी जानी भी चाहिए, लेकिन राजनीतिक समीकरणों के लिए जनता के कल्याण के साथ सौदा नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि 12 करोड़ लोगों ने जन धन योजना के तहत खाते खोले हैं और अब लोगों को माकपा शासन के दौरान पैदा हुईं और तृणमूल कार्यकाल के दौरान फूलने-फलनेवाली चिट फंड कंपनियों ‘पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है.’
मोदी सरकार के आलोचकों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग, ‘सूट-बूट, मां-माटी, कार्ल मार्क्स और समाजवाद पर पेटेंट’ का दावा कर रहे हैं, उन्हें यह जवाब देना चाहिए कि देश को मोदी द्वारा शुरू की गयी इन सार्वभौमिक गरीब-समर्थक योजनाओं के लिए इतने साल इंतजार क्यों करना पड़ा? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा कोलकाता में योजना शुरू करने और बाद में राज्य में एक स्टील संयंत्र का उदघाटन करने का फैसला यह संदेश देता है कि केंद्र ‘सहयोगात्मक संघवाद’ में यकीन रखता है.
सरकार देशभर में नौ मई को सामाजिक सुरक्षा की तीन योजनाएं शुरू कर रही हैं. कोलकाता में इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी करेंगे, जबकि अन्य शहरों में इन योजनाओं का उदघाटन उनके सहयोगी मंत्री करेंगे.
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