सिक्किम के नाथुला के इस रूट से कैलाश यात्रा अब कब शुरू होगी, इसकी तारीख अभी तक आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है. इस बावद अभी तक सिक्किम पर्यटन दफ्तर व संबंधित विभाग के अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है. यात्रा के मद्देनजर अब तीर्थ यात्रियों में भी आशंका व्याप्त है. भारत सरकार ने कुछ दिन पहले ही सिक्किम के नाथुला से कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए 16 जून की तारीख निर्धारित की थी. कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए विकल्प रास्ता के तौर पर सिक्किम के नाथुला से ही प्रथम यात्रा शुरू किये जाने की बात की. निर्धारित यात्रा सूची के अनुसार ही 16 जून को तीर्थ यात्रियों का पहला जत्था दिल्ली से रवाना होना था. दिल्ली से तीर्थ यात्री हवाई व सड़क मार्ग से सिक्किम के गंगतोक पहुंचते. नाथुला से कैलाश-मानसरोवर यात्रा की बुकिंग का काम भी अब शेष हो गया है.
10 अप्रैल बुकिंग की अंतिम दिन था. कैलाश यात्रा के लिए तीर्थ यात्रियों की तालिका की तैयारी भी अब प्राय अंतिम चरण में है. यह तालिका भारत सरकार के विदेश मंत्रलय द्वारा तैयार की जा रही है. सिक्किम के पर्यटन दफ्तर के सहायक मीडिया कंसल्टेंट अवंतिका रजालिम का कहना है कि दिल्ली के साथ-साथ सिक्किम में भी कैलाश यात्रा के लिए अग्रिम सूचना की जायेगी. केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा इस यात्रा का शुरूआत किये जाने की बात है. वहीं 18 जून को सिक्किम में भी झंडा लहरा कर कैलाश यात्रा का शुभारंभ किये जाने की जानकारी मिली है.
इस कैलाश यात्रा के साथ जुड़ी एक संस्था से मिली जानकारी के अनुसार, इस यात्रा के लिए करीब 250 तीर्थ यात्रियों ने आवेदन किया है. तीर्थयात्र के लिए सरकार द्वारा निर्धारित तारिख में अगर फेर-बदल नहीं किया गया तो आवेदन के आधार पर जिन यात्रियों को इस धार्मिक यात्रा का सुयोग मिला है, वे पहले गंगतोक में एक रात बीताकर पूर्व सिक्किम के 17 माइल के रास्ते कैलाश यात्रा के लिए रवाना होंगे. 17 माइल की समुद्र तल से उंचाई 10,400 फिट है. इस उंचे पहाड़ी इलाके के जलवायु, मौसम व आवोहवा से अभ्यस्त कराने के लिए यात्रियों को यहां दो दिन रखा जायेगा. यहां से तीर्थयात्री और भी उंचाई पर स्थित छांगू लेक के नजदीक सेराथांग पहुंचेंगे. सेराथांग की समुद्र तल से उंचाई 13,500 फिट है. यहां दो रात बिताने के बाद भारतीय तीर्थयात्रियों का जत्था 22 जून को भारत सीमा पार कर चीन सीमा में प्रवेश करेगा. कैलाश-मानसरोवर यात्रा कुल 23 दिन की है.
वापस इसी रुट से ही तीर्थयात्री लौटेंगे. संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि नेपाल के भूकं प का प्रभाव भी कैलाश यात्रा पर पड़ा है. अप्रैल-मई में ही इस यात्रा को स्थगित कर दिया गया. जून महीने में भी नाथूला मार्ग से कै लाश यात्रा पर आशंका के बादल मंडरा रहे हैं. फलस्वरुप जूलाई महीने में नेपाल के काठमांडू के रास्ते कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए अभी से ही विभिन्न संस्थाओं ने बूकिंग करनी शुरु कर दी है. विदित हो कि उत्तराखंड के लिपूलेख के बाद सिक्किम के नाथूला मार्ग को कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए विकल्प मार्ग के रु प में देखा जा रहा था.