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अशोक भट्टाचार्य को घेरने में जुटी तृणमूल
चुनाव प्रचार में जुटे दिग्गज, सितारों का लग रहा जमावड़ा आलम खान ने बढ़ायी चिंता सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी नगर निगम के छह नंबर वार्ड में वाम मोरचा के हैवीवेट उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य को निपटाने में तृणमूल कांग्रेस कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. तृणमूल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नगर निगम चुनाव में […]
चुनाव प्रचार में जुटे दिग्गज, सितारों का लग रहा जमावड़ा
आलम खान ने बढ़ायी चिंता
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी नगर निगम के छह नंबर वार्ड में वाम मोरचा के हैवीवेट उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य को निपटाने में तृणमूल कांग्रेस कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. तृणमूल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नगर निगम चुनाव में अशोक भट्टाचार्य हार जायें,
इसकी हर संभव कोशिश पार्टी की ओर से की जा रही है. चुनाव प्रचार में बड़े-बड़े दिग्गजों को झोंका जा रहा है.
उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव दूसरे वार्डो के मुकाबले 6 नंबर वार्ड में ज्यादा चुनाव प्रचार कर रहे हैं. अब तक वह कई बार इस वार्ड में पदयात्रा और रोड शो कर चुके हैं.
इसके अलावा हाल ही में तृणमूल सांसद दोला सेन भी तृणमूल उम्मीदवार अरुप रतन घोष के लिए यहां प्रचार कर चुकी हैं. यह वार्ड न केवल विभिन्न राजनीतिक दलों, बल्कि आम लोगों के भी दिलचस्पी का केन्द्र बना हुआ है. सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव प्रचार बृहस्पतिवार की शाम को खत्म हो जायेगा.
तृणमूल सूत्रों के अनुसार, अगले दो दिनों में वार्ड नंबर 6 में तूफानी चुनाव प्रचार किया जायेगा. मंत्री फिरहाद हकीम के साथ-साथ वाइचुंग भुटिया एवं अभिनेता देव इस वार्ड में रोड शो करेंगे. राजनीतिक विश्लेषकों का इस संबंध में कहना है कि इस बार सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव में किसी के पक्ष में कोई हवा नहीं है. ऐसे में हो सकता है कि किसी भी पार्टी को बहुमत न मिले और वर्ष 2009 जैसी स्थिति बन जाये. अगर ऐसी स्थिति बनती है तो तूणमूल कांग्रेस जोड़-तोड़ कर बोर्ड बनाने की संभावना तलाशेगी.
राजनीतिक विश्लेषकों ने आगे बताया कि अशोक भट्टाचार्य के जीतने के बाद वाम काउंसिलरों को तोड़पाना आसान नहीं होगा. तृणमूल कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद जिस तरह से विभिन्न नगरपालिकाओं में विरोधी दलों के पार्षदों को तोड़ कर अपना कब्जा जमाया है, उससे जाहिर है कि सिलीगुड़ी नगर निगम के चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में पार्टी चुप नहीं बैठेगी. वाम मोरचा अशोक भट्टाचार्य को मेयर पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लड़ रहा है. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस अशोक भट्टाचार्य को हराने के लिए हर रणनीति पर काम कर रही है.
अशोक भट्टाचार्य वार्ड नंबर 6 नहीं रहते हैं, इस बात को प्रमुख मु्द्दा बनाकर चुनाव प्रचार किया जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार अरूप रतन घोष तथा अन्य नेता अशोक भट्टाचार्य को बाहरी बताने में जुटे हुए हैं. विकास को हथियार बना कर अशोक भट्टाचार्य जैसे वाम मोरचा के एक हैवीवेट नेता को क्या शासक दल हरा पायेगा? यह सवाल सभी के मन में है. तृणमूल उम्मीदवार अरुप रतन घोष ने बताया कि वार्ड में जल निकासी, पेयजल व कचरों की समस्या है.
मंत्री ने आश्वासन दिया है कि सत्ता में आने के बाद वह जल्द समस्याओं का समाधान कर देंगे. तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार अरुप रतन घोष का कहना है कि वह खुद भी इसी इलाके के निवासी हैं. अगर वार्ड में कोई समस्या आती है, तो हमारे विपक्षी उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य को ढूढ़ने के लिए 20 नंबर वार्ड में सुभाषपल्ली में उनके घर में जाना होगा. घर में जाने के बाद मुलाकात होने पर समस्या से उन्हें अवगत कराना संभव होगा. मैं इसी वार्ड में रहता हूं. स्थानीय लोग जब चाहे मुझसे मिल सकते हैं, बात कर सकते हैं.
तृणमूल कांग्रेस भले ही अशोक भट्टाचार्य को हराने की रणनीति पर काम कर रही हो, लेकिन यह सबकुछ इतना आसान नहीं है. वार्ड नंबर 6 में इस बार मुकाबला दिलचस्प है. तीन निर्दलीय सहित कुल 7 उम्मीदवार मैदान में हैं. वाम मोरचा की ओर से अशोक भट्टाचार्च, तृणमूल कांग्र्रेस की ओर से अरुप रतन घोष, कांग्रेस की ओर से रूमा नाथ, भाजपा की ओर से राजू गुप्ता मैदान में हैं.
इसके अलावा तीन निर्दलीय उम्मीदवार आलम खान, जहांगीर इस्लाम तथा मोहम्मद मोजामील हक भी चुनाव मैदान में अपनी किश्मत आजमा रहे हैं. बाकी दो निर्दलियों से तो उतना फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आलम खान तृणमूल कांग्रेस के लिए चिंता के सबब हैं.
आलम खान वार्ड नंबर 6 में तृणमूल कांग्रेस की ओर से टिकट के प्रबल दावेदार थे. उत्तर बंगाल विकास मंत्री तथा दाजिर्लिंग जिला तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष गौतम देव ने आलम खान को टिकट देने का वादा किया था, लेकिन अंतिम क्षणों में अरुण रतन घोष को उम्मीदवार बना दिया गया. इससे आलम खान काफी भड़के हुए हैं. पार्टी ने हालांकि उनके खिलाफ कार्रवाई की है.
आलम खान निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे हैं. तृणमूल कांग्रेस बस इसी मुद्दे को लेकर परेशान है. आलम खान की पदयात्रा तथा जनसभाओं में भारी भीड़ हो रही है. तृणमूल कांग्रेस के कई नेता उन पर नजर बनाये हुए हैं.
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि आलम खान भले ही स्वयं न जीत पायें, लेकिन तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार को कहीं हरा न दें. इसी वजह से तृणमूल कांग्रेस ने इस वार्ड में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. अब चुनाव परिणाम क्या निकलता है, यह तो चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही पता चल सकेगा.
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