सिलीगुड़ी. राज्य में विभिन्न स्थानों पर नगर निगम चुनाव को लेकर टिकट न मिलने से नाराज तृणमूल कांग्रेस के कई नेता बागी हो गये हैं. सिलीगुड़ी तथा जलपाईगुड़ी में इसका खासा असर देखा गया है. कई लोग निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे लोगों को सबक सीखाने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने उन सभी को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया है. पिछले दिनों उत्तर बंगाल विकास मंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष गौतम देव ने सिलीगुड़ी के कई बागियों को पार्टी से निकाल दिया था. दो दिन पहले जलपाईगुड़ी में भी 7 बागी नेता तृणमूल कांग्रेस से निकाल दिये गये हैं.
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जिन लोगों को तृणमूल कांग्रेस से निकाला गया है, उन लोगों ने एक अलग मोरचा बनाने की तैयारी कर ली है. सिलीगुड़ी नगर निगम तथा जलपाईगुड़ी नगरपालिका चुनाव के बाद यह सभी कोलकाता जाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने की कोशिश करेंगे. इन लोगों का कहना है कि वह लोग पिछले कई वर्षो से ममता बनर्जी को सामने रखकर तृणमूल कांग्रेस की सेवा कर रहे थे. अब दूसरे दलों से आये नेताओं ने पार्टी पर कब्जा कर लिया है और तृणमूल कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं को नीचा दिखा रहे हैं. विरोध करने पर पार्टी से निकाल दिया जा रहा है या फिर निकालने की धमकी दी जाती है. जलपाईगुड़ी में पार्टी से निकाली गई तृणमूल कांग्रेस की नेता तथा जिला कमेटी की सदस्य सागरिका सेन की तेवर काफी तल्ख हैं. उन्होंने जिला अध्यक्ष सौरभ चक्रवर्ती के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. उन्होंने कहा है कि सौरभ चक्रवर्ती कुछ महीने पहले ही कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं और अब वह तृणमूल कांग्रेस के पुराने नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकाल रहे हैं.
सागरिका सेन ने आगे कहा कि सौरभ चक्रवर्ती को किसी को भी पार्टी से निकालने का कोई हक नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि जलपाईगुड़ी नगरपालिका का चुनाव खत्म होने के बाद वह कोलकाता जायेंगी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने अपना पक्ष रखेंगी. यहां उल्लेखनीय है कि जलपाईगुड़ी में सागरिका सेन के अलावा अपर्णा भट्टाचार्य, दीपा घोष, मीना बनिक, मदन छेत्री, कृष्णा दत्त तथा स्वपन सरकार को तृणमूल ने पार्टी से निकाल दिया है. उसके बाद से ही यह सभी लोग भड़के हुए हैं.
सूत्रों ने बताया है कि इन लोगों ने सिलीगुड़ी के भी निष्कासित नेताओं से संपर्क साधा है. इन लोगों के बीच कोलकाता जाकर ममता बनर्जी के सामने अपना-अपना पक्ष रखने की सहमति बन गई है. दूसरी तरफ उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव अभी भी अपने कड़े तेवर पर अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि जो भी सदस्य पार्टी अनुशासन को भंग करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. चाहे वह पार्टी में कितना बड़ा नेता भी क्यों न हों. दूसरी तरफ जलपाईगुड़ी जिला अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने किसी को भी पार्टी से नहीं निकाला है. पार्टी से निकालने का निर्णय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने लिया है.