यह मामला पिछले एक वर्ष से लटका हुआ था और 20 तारीख को मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में हुई त्रिपक्षीय बैठक के बाद समस्या का फिलहाल समाधान हो गया है. त्रिपक्षीय बैठक में चाय श्रमिकों की मजदूरी तीन वर्ष में 37 रुपये 50 पैसे बढ़ाने पर सहमति हुई है. पहले वर्ष श्रमिकों की मजदूरी में 17 रुपये 50 पैसे की वृद्धि होगी और उसके बाद अगले दो वर्षो तक 10-10 रुपये बढ़ाये जाएंगे. इस मजदूरी समझौते के बाद चाय श्रमिकों की मजदूरी फिलहाल 90 रुपये से बढ़कर 107 रुपये 50 पैसे हो जायेंगे. यह मजदूरी पिछले वर्ष से मान्य होगी और स्वाभाविक तौर पर मजदूरों को बढ़ी हुई मजदूरी का भुगतान किया जायेगा. हालांकि चाय बागान श्रमिक संगठनों के संयुक्त फोरम के नेता न्यूनतम मजदूरी 225 रुपये करने की मांग कर रहे थे. फिलहाल इतनी मजदूरी वृद्धि पर भी सभी संतुष्ट हैं.
संयुक्त फोरम के नेताओं को लगता है कि त्रिपक्षीय बैठक में मजदूरी वृद्धि के साथ-साथ न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के लिए जिस कमेटी के गठन का निर्णय लिया गया है, वह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. चाय श्रमिक नेताओं का मानना है कि देर सबेर चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने में भी सफलता मिलेगी. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के उत्तर बंगाल क्षेत्र के सचिव इन्द्रनील भट्टाचार्य ने कहा है कि एक बार मजदूरी समझौता हो जाने के बाद अब अगला लक्ष्य न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करवाना होगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, उसी हिसाब से सरकारी नियमानुसार चाय श्रमिकों को भी डीए आदि की सुविधा मिलनी चाहिए. उन्होंने चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 324 रुपये प्रतिदिन करने की मांग की.
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण को लेकर फिलहाल आंदोलन करने का कोई इरादा नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि न्यूनतम मजदूरी को निर्धारित करने के मुद्दे को भी लटकाया गया, तो आने वाले दिनों में आंदोलन की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि उन लोगों का मुख्य लक्ष्य यथाशीघ्र मजदूरी समझौते को मूर्त रूप देना था. इस मुद्दे को लेकर काफी आंदोलन किये जाने के बाद संयुक्त फोरम को यह सफलता मिली है. विजय उत्सव के संबंध में श्री भट्टाचार्य ने कहा कि तराई के साथ-साथ डुवार्स के भी विभिन्न चाय बागानों में विजय उत्सव मनाये जा रहे हैं.
21 तारीख के बाद से ही विजय उत्सव मनाने का दौर चालू है और यह अगले एक सप्ताह तक जारी रहेगा. इस बीच, न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने को लेकर त्रिपक्षीय बैठक में जिस कमेटी का गठन किया गया है, उसकी बैठक कब होगी, यह अभी कुछ तय नहीं हुआ है. इस कमेटी में चाय श्रमिक संगठन के नेता, चाय बागान मालिक तथा राज्य सरकार के श्रम विभाग के अधिकारी शामिल हैं. श्री भट्टाचार्य ने आगे कहा कि वर्तमान में जो मजदूरी समझौता हुआ है, वह चाय श्रमिकों के लिए अंतरिम राहत है. चाय श्रमिकों की असली जीत तब होगी, जब उनकी न्यूनतम मजदूरी 324 रुपये प्रतिदिन निर्धारित हो जायेगी.