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बाघ संरक्षण को तोदे-तांगता में बीट ऑफिस बनाने की योजना

जलपाईगुड़ी : नेउड़ा वैली में बाघों के अस्तित्व का ठोस प्रमाण मिलते ही गोरुमारा वन्य प्राणी डिवीजन ने कालिम्पोंग डिवीजन के रोका फॉरेस्ट के समीप तोदे-तांगता में बीट ऑफिस बनाने के लिये जमीन की तलाश शुरु कर दी है. वन्य प्राणी डिवीजन कालिम्पोंग के इस दुर्गम पहाड़ी इलाके में दो बीट ऑफिस और फॉरेस्ट बैरक […]

जलपाईगुड़ी : नेउड़ा वैली में बाघों के अस्तित्व का ठोस प्रमाण मिलते ही गोरुमारा वन्य प्राणी डिवीजन ने कालिम्पोंग डिवीजन के रोका फॉरेस्ट के समीप तोदे-तांगता में बीट ऑफिस बनाने के लिये जमीन की तलाश शुरु कर दी है. वन्य प्राणी डिवीजन कालिम्पोंग के इस दुर्गम पहाड़ी इलाके में दो बीट ऑफिस और फॉरेस्ट बैरक बनाने की योजना ली है.

लेकिन जमीन के अभाव में यह काम रुका हुआ है. वनकर्मियों का कहना है कि तोदे-तांगता में वन विभाग की डेढ़ एकड़ से अधिक जमीन थी. इसके अलावा एक फॉरेस्ट बंगलो था जो 80 के दशक में हुए आंदोलन के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था. बाद में वन उन्नयन निगम की जमीन के नेउड़ा वैली नेशनल पार्क के साथ जुड़ जाने से पुरानी जमीन का अता-पता नहीं मिल रहा है.
उल्लेखनीय है कि वाहन चालक के कैमरे के अलावा शुक्रवार को वन विभाग के ट्रैप कैमरे में रॉयल बेंगॉल टाइगर की तस्वीर कैद होने से वन्य प्राणी डिवीजन ने बीट ऑफिस निर्माण की अपनी तत्परता बढ़ा दी है. वन विभाग ने पहले ही दावा किया था कि नेउड़ा वैली में एक से दो बाघ हैं. बीते साल दिसंबर में भी ट्रैप कैमरे में बाघ की तस्वीर कैद हुई थी.
वन विभागीय सूत्र के अनुसार नेउड़ा वैली में बाघों पर निगरानी रखने समेत शिकारियों के जंगल में प्रवेश को रोकने और पेड़ों की अवैध कटाई को रोकने के लिये बीट ऑफिस की योजना ली गयी है. सूत्र के अनुसार वन विभाग और भूमि एवं भूमि राजस्व विभाग के संयुक्त सर्वे में पुराने दस्तावेज खंगालने पर जमीन का पता चला है. हालांकि फिलहाल यह जमीन वन विभाग के स्वामित्व में नहीं होने से परेशानी का सबब बन रही है. गौरतलब है कि तोदे-तांगता के काम काज सामसिंग से की जाती है.
तोदे में वन विभाग की कोई ऑफिस नहीं है. इसलिये यहां का काम काज सामसिंग से ही किया जाता है. तोदे-तांगता गहन वनांचल है. इसके निकट ही है रोका फॉरेस्ट जहां से होकर बाघ भूटान तक आवाजाही करते हैं. वनकर्मियों का कहना है कि सामसिंग से तोदे-तांगता पर निगरानी रखना कई कारणों से संभव नहीं होता है. एक तो सड़कें खराब हालत में हैं और मोबाइल नेटवर्क ठीक नहीं रहता है. भूटान के नेटवर्क पर निर्भर करना पड़ता है.
गोरुमारा वन्य प्राणी डिवीजन की डीएफओ निशा गोस्वामी ने बताया कि हमने कालिम्पोंग के जिला प्रशासन को इसकी जानकारी दी है. वन विभाग की जमीन पहले थी या नहीं इसकी रिकार्ड को खंगालकर देखने के लिये कहा गया है. नहीं मिलने पर विकल्प जमीन की भी तलाश चल रही है.

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