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प्रीमेच्योर ट्रिप्लेट्स को मिली नयी जिंदगी

एक-एक किलो व 670 ग्राम के बच्चे डॉ गोपाल खेमका के इलाज से बचाये गये सिलीगुड़ी :तीन प्रीमेच्योर ट्रिप्लेट्स को बचाकर डॉ गोपाल खेमका ने नवजात शिशुओं की चिकित्सा को एक नयी दिशा दी है. नवजात की मां व परिवार के सदस्यों ने बच्चों को बचाने के लिए चिकित्सक के प्रति कृतज्ञता जतायी है. एक […]

एक-एक किलो व 670 ग्राम के बच्चे डॉ गोपाल खेमका के इलाज से बचाये गये

सिलीगुड़ी :तीन प्रीमेच्योर ट्रिप्लेट्स को बचाकर डॉ गोपाल खेमका ने नवजात शिशुओं की चिकित्सा को एक नयी दिशा दी है. नवजात की मां व परिवार के सदस्यों ने बच्चों को बचाने के लिए चिकित्सक के प्रति कृतज्ञता जतायी है. एक बच्चे को तरस रही मां एकसाथ तीन बच्चे पाकर बेहद खुश है. बांझपन का इलाज करा रही किशनगंज की एक महिला के गर्भ में एक साथ तीन भ्रूण आये. बड़ी जटिलता तब पैदा हुई जब गर्भधारण के 28 सप्ताह (सातवें महीने) में प्रसव पीड़ा शुरू हो गया.
सिलीगुड़ी के न्यू रामकृष्ण सेवा सदन में डॉ. जीबी दास की देखरेख में प्रसव कराया गया. लेकिन नवजात शिशुओं का वजन काफी कम था. दो बच्चों का वजन एक-एक किलो था, जबकि तीसरे बच्चे का महज 670 ग्राम. इस स्थिति में बच्चों को जिंदा बचा पाने की उम्मीद लगभग खत्म होने लगी. उस समय शहर के विशिष्ट शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल खेमका (एमडी) ने इन बच्चों की जिम्मेदारी ली. उन्होंने न्यू रामकृष्ण सेवा सदन स्थित नवजातों के विशेष परिसेवा केंद्र (एनआइसीयू) में इलाज शुरू किया.
आखिरकार चिकित्सक के प्रयास और एनआइसीयू की नर्सों की मेहनत रंग लायी. डॉक्टर तीनों बच्चों को बचा पाने में सफल रहे. उन्होंने एक बच्चे के लिए तरसती मां को तीन बच्चे सौंपकर उसके चेहरे पर हंसी लौटायी. बच्चों के पूरे परिवार ने चिकित्सक व नर्सिंग होम का धन्यवाद किया है.

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