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सिलीगुड़ी : मेडिकल कॉलेज में किसी का भी रह पाना संभव नहीं, सभी प्रतीक्षालय कचरा घर में तब्दील

मरीजों के परिजन हो रहे परेशान अस्पताल के कोरीडोर को बनाया डेरा सिलीगुड़ी : करोड़ो रूपए खर्च कर राज्य स्वास्थ विभाग ने मरीजों के परिजनों की सुविधा के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में आठ प्रतीक्षालय का निर्माण कराया था. लेकिन इन प्रतीक्षालयों का रोगी के परिजनों को काई लाभी नहीं हो रहा है. दरअसल […]

  • मरीजों के परिजन हो रहे परेशान
  • अस्पताल के कोरीडोर को बनाया डेरा
सिलीगुड़ी : करोड़ो रूपए खर्च कर राज्य स्वास्थ विभाग ने मरीजों के परिजनों की सुविधा के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में आठ प्रतीक्षालय का निर्माण कराया था. लेकिन इन प्रतीक्षालयों का रोगी के परिजनों को काई लाभी नहीं हो रहा है. दरअसल यहां इतनी गंदगी है कि कोई बैठ ही नहीं सकता. सभी प्रतीक्षालय कचरा घर में तब्दील हो गये हैं.
जिसकी वजह से मरीजों के परिजन ठंढ़ के इस मौसम में भी खुले आसमान के नीचे या कोरीडोर में रात गुजारने को मजबूर है. प्रभात खबर से जानकारी मिलने के बाद उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन ने सभी प्रतीक्षालयों की साफ-सफाई कराने का आश्वासन दिया है.
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल उत्तर बंगाल का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज है. सिलीगुड़ी तथा इसके आस-पास के इलाके के साथ ही उत्तर बंगाल के विभिन्न इलाकों के अलावा पड़ोसी राज्य सिक्किम, बिहार के रोगी भी इलाज के लिए आते हैं.इतना ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल, भूटान व बांग्लादेश के मरीज भी इलाज के लिए आते हैं.
अधिकांशत मरीज के साथ एक या एक से अधिक परिजन होते हैं. किसी आवश्यकता या आपातकाल के लिए कम से कम परिवार का एक सदस्य मेडिकल कॉलेज में ही रहता है. बल्कि दूर दराज से आये रोगियों के परिजन वहीं डेरा जमाते हैं. पहले कोरीडोर या खुले आसमान के नीचे ही लोग रात बिताते थे.
रात के समय रोगियों के परिजनों को होने वाली समस्या को ध्यान में रखकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रबंधन ने आठ प्रतीक्षालयों का निर्माण कराया. करोड़ो रूपए की लागत से प्रतीक्षालयों का निर्माण कराया गया. एक प्रतीक्षालय में कम से कम 50 लोग रात गुजार सकते हैं. इसके अतिरिक्त पे एंड यूज सिस्मट में भी और चार प्रतीक्षालय हैं.
लेकिन पिछले कई दिनों से मुफ्त प्रतीक्षालयों में कचरों का अंबार लगा हुआ है. जिसे साफ करने वाला कोई नहीं है. कई प्रतीक्षालयों में शराब की बोतलें तक पायी गयी है. मल-मूत्र भी त्यागने के लिए कई लोग इसी प्रतीक्षालयों का उपयोग करने लगे हैं. जिसके कारण रोगियों के परिजन प्रतीक्षालय क्या उसके आस-पास भी नहीं भटक रहे हैं. बिहार के कटिहार जिले से एनबीएमसीएच में इलाज कराने अकेले आये किशन लाल राय ने बताया कि वे पिछले एक महीने से यहां इलाज करा रहे है.
रात के समय वे मेडिकल कॉलेज परिसर में ही रहते हैं. प्रतीक्षालयों में इतनी गंदगी है कि वहां रहना मुश्किल है. रात के समय उन्हें जहां स्थान मिल जाता है वहीं सो जाया करते हैं. गंदगी की वजह से मच्छरों का उत्पात इतना बढ़ गया है. दिन के समय ही मच्छरदानी लगाकर बैठना पड़ता है. वहीं उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर से अपने बच्चे का इलाज कराने पहुंचे तपन सिंह, अपनी पत्नी के प्रसव के लिए चोपड़ा से आये धनंजय सिंह ने बताया कि प्रतीक्षालयों में काफी गंदगी है. साफ-सफाई किये जाने पर खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वालों को भी ठंढ में राहत होती.
प्रतीक्षालयों में कचरे का अंबार लगने की बात जानकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन डॉ. रूद्रनाथ भट्टाचार्य मौन रह गये. हांलाकि उन्होंने शीघ्र साफ-सफाई का भरोसा दिया है.

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