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उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज ने भी ली मल्लिका से सीख

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी की 15 वर्षीय बेटी मल्लिका मजूमदार सिर्फ अपने शहर या राज्य को नहीं बल्कि पूरे देश को अंग दान कर मरणोपरांत भी जिंदा रहने की सीख दे गयी. मल्लिका से सीख लेकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रबंधन ने राज्य में दूसरा अंग प्रत्यारोपण केंद्र खोलने की कवायद शुरू कर दी […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी की 15 वर्षीय बेटी मल्लिका मजूमदार सिर्फ अपने शहर या राज्य को नहीं बल्कि पूरे देश को अंग दान कर मरणोपरांत भी जिंदा रहने की सीख दे गयी. मल्लिका से सीख लेकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रबंधन ने राज्य में दूसरा अंग प्रत्यारोपण केंद्र खोलने की कवायद शुरू कर दी है.
24 अगस्त को राज्य स्वास्थ विभाग की बैठक में इस मसले पर विचार-विमर्श करने का आश्वासन उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन डा. रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने दिया है. इसके साथ ही वर्षों से बंद पड़े आई बैंक चालू करने के साथ दुर्गा पूजा के पहले मेडिकल कॉलेज में कॉर्निया प्रत्यारोपण शुरूआत करने की कवायद तेज कर दी गयी है.
यहां उल्लेखनीय है कि उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल(एनबीएमसीएच) में एक आई बैंक था. जिसमें आंख के सभी भागों को अलग-अलग संरक्षित रखने की पूरी व्यवस्था थी. लेकिन किसी अनजान कारणों की वजह से एनबीएमसीएच का आई बैंक पिछले कई वर्षों से बंद पड़ा है. पूरे देश को अंग दान की शिक्षा देने वाली सिलीगुड़ी की मल्लिका से एनबीएमसीएच ने भी सीख ली है.
प्रबंधन ने वर्षों से बंद पड़े आई बैंक को खोलने व दुर्गा पूजा के पहले सुचारू करने का निर्णय लिया है. इसके अतिरिक्त शरीर के अन्य अंग दिल, लीवर और किडनी को संरक्षित तरीके से ग्रीन कोरीडोर व वायु मार्ग द्वारा कोलकाता के पीजी अस्पताल तक पहुंचाने की व्यवस्था करने की भी कवायद शुरू कर दी गयी है.
परिवारवालों ने दिया मानवता का परिचय
सोमवार को एनबीएमसीएच के रोगी कल्याण समिति की बैठक में इस मसले पर गहन चर्चा की गयी. बैठक के बाद समिति के चेयरमैन डा. रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने बताया कि हर मौत दुखद है, लेकिन सिलीगुड़ी की मल्लिका मजूमदार मरणोपरांत भी जीवित रहने की सीख पूरे देश को दे गयी. मल्लिका व उसके परिवार वालों ने मानवता का जो परिचय दिया है, उससे सभी को सीख लेनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि एनबीएमसीएच का आई बैंक फिर से सुचारू करने पर आज की बैठक में सहमति बनी है. आगामी दुर्गा पूजा के पहले यहां के आई बैंक व कॉर्निया प्रत्यारोपण चालू करने का निर्णय हमने लिया है. इस संबंध में 24 अगस्त को स्वास्थ भवन में आयोजित बैठक में चर्चा की जायेगी.
ब्रेन डेथ कमेटी बनायी जायेगी
इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि एनबीएमसीएच में शव को संरक्षित रखने की पूरी व्यवस्था है. लेकिन मानव अंग किडनी, लीवर व दिल को संरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं है. बल्कि मानव देह से उसे निकालने के लिए विशेषज्ञ डाक्टर व आवश्यक बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है. एनबीएमसीएच में मानव अंगो को निकालने व उसे संरक्षित रखने की व्यवस्था का प्रस्ताव भी राज्य स्वास्थ विभाग को दिया जायेगा.
उसके बाद यहां से अंगो को प्रत्यारोपण के लिए निहित समय के भीतर ग्रीन कोरीडोर या वायु मार्ग द्वारा कोलकाता भेजने की व्यवस्था भी की जायेगी. बाद में राज्य सरकार के सहयोग से अंग प्रत्यारोपण की व्यवस्था भी एनबीएमसीएच में करायी जायेगी. उन्होंने आगे बताया कि सबका नहीं बल्कि ब्रेन डेथ करने वाले मरीज का ही अंग प्रत्यारोण करना उचित है. इसके लिए एनबीएमसीएच में एक ब्रेन डेथ कमिटी भी बनायी जायेगी, जो मरीज की ठीक से जांच कर ब्रेन डेथ की घोषणा करेगी.

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