कोलकाता: गरियाहाट इलाके में वर्ष 2007 में हुए एक डकैती के मामले में पीड़िता की मौत के दो वर्ष बाद उन्हें व उनके परिवार वालों को न्याय मिला. इस मामले की सुनवाई करते हुए अलीपुर के द्वितीय फास्र्ट ट्रैक कोर्ट ने गिरफ्तार पांच आरोपियों को दोषी करार देते हुए सभी को सात वर्ष की सजा व 10 हजार रुपये जुर्माना देने का निर्देश दिया. जुर्माना अदा न करने पर दो महीने अतिरिक्त जेल में रहने का निर्देश दिया.
मामले की जानकारी देते हुए संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) पल्लव कांति घोष ने बताया कि गरियाहाट इलाके के कॉनफिल्ड लेन में इंदिरा रानी (55) नाम की एक महिला घर में अकेली रहती थी.
वर्ष 2007 के 13 मई की रात को दरवाजा खुला देख कर चार लोग घर में आ धमके और महिला को घायल कर उसके घर से 80 हजार रुपये नगदी और 300 ग्राम सोना ले कर भाग निकले. इस दौरान घर की नौकरानी पद्मा दास (33) भी उस घर में मौजूद थी. गरियाहाट थाने में इसकी शिकायत दर्ज करायी गयी. जिसके बाद लाल बाजार के डकैती विभाग की टीम ने मामले की जांच करते हुए नौकरानी पद्मा से पूछताछ की. सख्ती से पूछताछ करने में वह टूट गयी. उसने पूरे साजिश रचने का खुलासा किया.
जिसके बाद दक्षिण 24 परगना के विभिन्न हिस्सों से पुलिस ने दीपक पुरकायत (22), अमिय भूषण हल्दार (33), देव रंजन गायन (33) और सुबोल मंडल (45) को गिरफ्तार किया था. इनके पास से डकैती का सारा माल पुलिस ने बरामद कर लिया था, लेकिन सुनवाई के दौरान बयान देने के कुछ महीने के भीतर दो वर्ष पहले पीड़िता की मौत हो गयी थी. उनके मौत के बाद उन्हें न्याय मिला.