वीरपाड़ा : चाय बागान बंद हैं तो क्या हुआ, जीने की कई दूसरी वजह भी हो सकती है. इसी भावना के साथ डुवार्स के बंद चाय बागानों की महिलाएं इन दिनों कुटीर उद्योग के जरिये हैंड वाश और फिनाइल का उत्पादन कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं. मंगलवार को यह दृश्य बंद ढेकलापाड़ा और बंदापानी चाय बागान के स्वनिर्भर दल की महिलाओं को काम करते हुए देखा गया. इन सृजनशील महिलाओं की सहायता मदारीहाट की स्वाभिमान नामक संस्था कर रही है.
उल्लेखनीय है कि यह उद्यम शुरु करने से पहले जलपाईगुड़ी डीआरडीसी और मदारीहाट-वीरपाड़ा ब्लॉक मिशन मैनेजमेंट यूनिट की ओर से इन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया था. बंदापानी महिला विकास एक्टीविस्ट क्लस्टर की अध्यक्ष राजमनी किन्डो, सचिव सुनीता थापा, कोषाध्यक्ष निशा छेत्री ने बताया कि दोनों चाय बागानों के बंद हो जाने से ये महिलाएं बेसहारा हो गयीं थीं. उसके बाद स्वाभिमान संस्था की मदद से ढेकलापाड़ा के दो, जयवीरपाड़ा के एक, रेती बस्ती के एक और बंदापानी को मिलाकर सात स्वनिर्भर दलों की महिलाओं को लेकर बंदापानी महिला विकास एक्टीविस्ट क्लस्टर नामक महासंघ का गठन कर यह उद्यम शुरु किया गया.
उत्पादन शुरु करने के बाद वीरपाड़ा ब्लॉक के 92 एमएसके और एसएसके से पहली बार 10 लीटर हैंड वाश का ऑर्डर मिला है. बैंक से कर्ज लेकर दो लाख रुपए से यह प्लांट बैठाया गया है. इस काम में स्वाभिमान संस्था के अलावा लैब टेस्ट और मार्केटिंग में प्रशासनिक रुप से सहयोग मिल रहा है.ब्लॉक नोडल ऑफिसर जयरंजन दत्त ने उम्मीद जतायी है कि 35 महिलाओं द्वारा स्वावलंबी होने से अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा मिलेगी. जल्द ही इनके उत्पाद बाजार में भी उपलब्ध होंगे.