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जलपाईगुड़ी : तृणमूल में जाने का प्रस्ताव ठुकराया

जलपाईगुड़ी : डुवार्स के चाय बागान क्षेत्र में भाजपा के जीतने की संभावनाओं को नष्ट करने के लिए ही उन्हें पुराने मामलों में गिरफ्तार किया गया है. क्षेत्र के कद्दावर आदिवासी श्रमिक नेता जॉन बारला ने अपनी गिरफ्तारी पर गुरुवार को यही पहली प्रतिक्रिया दी. उल्लेखनीय है कि जॉन बारला को 2009 के जयगांव थाना […]

जलपाईगुड़ी : डुवार्स के चाय बागान क्षेत्र में भाजपा के जीतने की संभावनाओं को नष्ट करने के लिए ही उन्हें पुराने मामलों में गिरफ्तार किया गया है. क्षेत्र के कद्दावर आदिवासी श्रमिक नेता जॉन बारला ने अपनी गिरफ्तारी पर गुरुवार को यही पहली प्रतिक्रिया दी.
उल्लेखनीय है कि जॉन बारला को 2009 के जयगांव थाना और 2015 के वीरपाड़ा थाना में दर्ज मामलों में बुधवार को बानरहाट थाना अंतर्गत मोराघाट चौपथी से पुलिस ने गिरफ्तार किया है. गुरुवार को उन्हें जलपाईगुड़ी सदर महकमा मजिस्ट्रेट शुभंकर राय की अदालत से ट्रांजिट रिमांड पर अलीपुरद्वार के एसीजेएम अदालत में पेशी के लिए पुलिस ले गई. उसी दौरान जॉन बारला ने कहा कि तृणमूल उन्हें अपने दल में शामिल करना चाहती थी. लेकिन जब उन्होंने ऐसा करना स्वीकार नहीं किया, तो कुछ पुरानी रंजिश के चलते उन्हें गिरफ्तार करवाया है. विक्षुब्ध नेता के रूप में काम करते रहे.
विगौतम देव और सौरभ मिले थे
उल्लेखनीय है कि पिछले साल 21 जुलाई को मंत्री गौतम देव और तृणमूल के जिलाध्यक्ष सौरभ चक्रवर्ती ने लक्खीपाड़ा स्थित जॉन के निवास पर उनसे भेंट की. जॉन का कहना है कि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें तृणमूल में शामिल होने के लिए अनुरोध किया जिससे उन्होंने स्पष्ट तौर पर इंकार कर दिया. जॉन का आरोप है कि भाजपा में टिके रहने के चलते ही उन्हें कानूनी पेंच में फंसाया जा रहा है. वरना क्या बात है कि 2009 और 2015 के पुराने मामलों में उन्हें गिरफ्तार किया गया है. अगर उनके खिलाफ मामला बनता था तो उन्हें उसी समय क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया. जॉन ने कहा कि चायवलय में तृणमूल का कोई जनाधार नहीं है. डुवार्स के अधिकतर आदिवासी उनके साथ हैं. इसीलिए राज्य सरकार उनसे डरी हुई है. क्या कहना है भाजपा का
उधर, भाजपा के उत्तर बंगाल जोन के उप-संयोजक दीपेन प्रमाणिक ने बताया कि 2016 में उक्त सभी मामलों में जॉन बारला को अदालत से क्लीनचिट मिल गयी थी. उसके बाद ही वे विधानसभा का चुनाव लड़ सके. उन्होंने बताया कि पार्टी वकीलों से कानूनी मशविरा कर रही है.
विधानसभा का लड़ चुके हैं चुनाव
उसके बाद 2015 में जॉन बारला भाजपा के संपर्क में आये. उन्होंने भाजपा के टिकट पर 2016 में नागराकाटा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. हालांकि उस चुनाव में जॉन जीते नहीं, लेकिन उन्हें अच्छे-खासे वोट मिले. 57 हजार 307 वोट के साथ तृणमूल के सुकरा मुंडा विजयी रहे. दूसरे नंबर पर कांग्रेस के जोसेफ मुंडा को 54 हजार 78 वोट मिले, जबकि 47 हजार 535 वोटों के साथ जॉन तीसरे नंबर पर रहे. इससे जॉन के मजबूत जनाधार का पता तृणमूल के आला नेताओं को चला. उसके बाद ही भाजपा ने जॉन बारला को राज्य कमेटी का सदस्य बनाया.
किन धाराओं में मुकदमा
बारला के वकील की जानकारी अनुसार उक्त दोनों मामलों में पुलिस ने जॉन के खिलाफ आइपीसी की धारा 143, 145, 188, 120बी, 307, एनएच की धारा 25, आइपीसी की धारा 353 के तहत दोनों थानों में मामले दर्ज थे. सूत्र के अनुसार, अलीपुरद्वार के एसीजेएम अदालत से जॉन के नाम से गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ था. लेकिन उस समय जॉन अदालत में हाजिर नहीं हुए. जिले के एसपी अमिताभ माइती ने बताया कि अदालत के निर्देश पर ही जॉन बारला को गिरफ्तार किया गया है.
गोरखालैंड आंदोलन के दौरान हुआ था मुकदमा
2008 में डुवार्स क्षेत्र को गोरखालैंड में शामिल करने के लिए विमल गुरूंग के आंदोलन के विरोध में आदिवासी विकास परिषद के डुवार्स तराई के अध्यक्ष जॉन बारला और दिवंगत राजेश लाकड़ा के नेतृत्व में आंदोलन और सड़क अवरोध किया गया था. उसके बाद 2011 में विमल गुरूंग के साथ जॉन बारला के रिश्ते बेहतर होने लगे. गोजमुमो नेता रोशन गिरि के साथ बारला की बैठक हुई. उस बैठक के फलस्वरूप दोनों ने गोरखालैंड ऐंड आदिवासी टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन के प्रस्ताव पर सहमति जतायी. उसके बाद ही जॉन बारला को आदिवासी विकास परिषद से निष्कासित कर दिया गया. हालांकि काफी दिनों तक वे विकास परिषद के विक्षुब्ध नेता के रूप में काम करते रहे.

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