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1500 करोड़ के निवेश प्रस्ताव पर शक : अशोक
राज्य में नहीं है उद्योग लगाने का माहौल पहले के कल-कारखानों के काम भी चौपट उत्तर बंगाल में चाय उद्योग भारी संकट में सिलीगुड़ी. पश्चिम बंगाल विधान सभा के उद्योग व व्यापार स्टैडिंग कमिटी के चेयरमैन व सिलीगुड़ी के विधायक सह मेयर अशोक भट्टाचार्य ने हिल बिजनस समिट की सफलता पर संदेह व्यक्त किया है. […]
राज्य में नहीं है उद्योग लगाने का माहौल
पहले के कल-कारखानों के काम भी चौपट
उत्तर बंगाल में चाय उद्योग भारी संकट में
सिलीगुड़ी. पश्चिम बंगाल विधान सभा के उद्योग व व्यापार स्टैडिंग कमिटी के चेयरमैन व सिलीगुड़ी के विधायक सह मेयर अशोक भट्टाचार्य ने हिल बिजनस समिट की सफलता पर संदेह व्यक्त किया है. राज्य सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 के बाद राज्य में एक भी नया उद्योग नहीं आया है.
बल्कि यहां पहले के उद्योगों की स्थिति और डांवाडोल हो गयी है. उत्तर बंगाल में उद्योग व व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने एक अलग नीति बनाने व पूंजीपतियों को हर संभव सहायता देने की मांग की है. वहीं दूसरी तरफ राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में बुधवार को हिल बिजनेस समिट का सामापन हो गया. मुख्यमंत्री ने इस बिजनेस मीट में 15 सौ करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव मिलने की घोषणा की है.
यहां बता दें कि वित्तीय वर्ष 2016-17 व 2017-18 के लिए पश्चिम बंगाल विधान सभा की उद्योग व व्यापार स्टैडिंग कमेटी का चेयरमैन सिलीगुड़ी के विधायक अशोक भट्टाचार्य को बनाया गया है. इन दो वर्षों में इन्होंने दक्षिण 24 परगना, हल्दिया, धुलागढ़, हावड़ा, सिलीगुड़ी व उत्तर बंगाल के कई हिस्सों का दौरा किया. इस क्रम में पूंजीपतियों ने राज्य में नई परियोजना को लाने व उद्योगों को बढ़ावा देने में हो रही समस्याओं से उनको अवगत कराया है.
बुधवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री भट्टाचार्य ने बताया कि दो वर्षों के बाद विधानसभा को स्टैडिंग कमिटी ने रिपोर्ट सौंप दिया है. रिपोर्ट के संबंध में उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 के बाद राज्य में एक भी नया उद्योग नहीं लगा है. बल्कि बसे उद्योग पर खतरा मंडराने लगा है. इसके लिए उन्होंने राज्य में बढ़ रहे सिंडिकेट राज को दोषी ठहराया है. उन्होंने बताया कि हल्दिया में उद्योग के लिए जमीन खरीदने की भारी समस्या है. एक उद्योगपति के आने की खबर मिलते ही चारों तरफ से सिर्फ रूपया मांगा जाता है.
इसके अतिरिक्त वहां बिजली की कीमत काफी अधिक है. खारा जल अधिक पाया जाता है. इसी तरह की समस्या दक्षिण बंगाल के विभिन्न हिस्सों के साथ सिलीगुड़ी व पूरे उत्तर बंगाल में हैं. उन्होंने आगे कहा कि सिलीगुड़ी व इसके आस-पास टी पार्क, फूड पार्क, पाइन,पल डेवलपमेंट सेंटर, कारगो सेंटर, फूलबाड़ी ट्रेड रूट , ड्राइ पोर्ट आदि है.
लेकिन सिंडीकेट राज व राज्य सरकार की कुछ खामियों की वजह से सभी परियोजनाएं अधर में लटकी है. टी पार्क उत्तर बंगाल का सबसे बड़ा हब बन कर उभर सकता है. पाइनएपल डेवलपमेंट सेंटर, ड्राई पोर्ट आदि में करोड़ों रूपये की मशीनरी नष्ट हो रही है. सिंडीकेट राज, जमीन व लीज की समस्या से पूंजीपतियों को बैंक से कर्ज लेने में भारी परेशानी होती है.
उन्होंने आगे कहा कि हिल बिजनेस मीट में मुख्यमंत्री करोड़ो रूपए निवेश का प्रस्ताव मिलने का दावा ठोंक रही है. इससे पहले भी मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में 15 सौ करोड़ रूपए निवेश का प्रस्ताव मिलने की घोषणा मुख्यमंत्री कर चुकी है.
लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ. उत्तर बंगाल का सबसे बड़े चाय उद्योग का भविष्य अंधकार में है. आईटी से जुड़े उद्योग के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधा तक नहीं है. सिलीगुड़ी में शिक्षा व स्वास्थ के जरिए पर्यटन व्यवसाय को काफी बढ़ाया जा सकता है.
लेकिन उद्योग के लिए सिलीगुड़ी व पहाड़ पर बुनियादी ढांचागत व्यवस्था का काफी अभाव है. उत्तर बंगाल में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार को जमीन से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान करना होगा. बुनियादी सुविधा के अभाव की वजह से उद्योगपति निवेश से कतरा रहे हैं. उद्योग को बढ़ावा देने के लिए स्टैडिंग कमिटी की ओर से उन्होंने कुछ मांगे सरकार के समक्ष रखी है.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर भारत में उद्योग के लिए अलग से नॉर्थ इस्ट काउंसिल बना रखा है. पूर्वोत्तर में उद्योग के लिए अलग से नीति है. उसी प्रकार राज्य सरकार को भी उत्तर बंगाल के लिए अलग से बोर्ड व नीति बनाना आवश्यक है.
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