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रजिस्ट्रार डॉ सरकार ने संभाला कामकाज

सिलीगुड़ी : आर्थिक घोटाले के आरोप को झूठा साबित कर उत्तरबंग विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ दिलीप कुमार सरकार पूरी मर्यादा के साथ अपने स्थान पर वापस आ गये हैं. हांलाकि इस लड़ाई में उन्हें आठ वर्ष लग गये. रिटायरमेंट का मात्र 10 महीना बचा है. श्री सरकार ने पूरे जोश के साथ सोमवार को अपना […]

सिलीगुड़ी : आर्थिक घोटाले के आरोप को झूठा साबित कर उत्तरबंग विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ दिलीप कुमार सरकार पूरी मर्यादा के साथ अपने स्थान पर वापस आ गये हैं. हांलाकि इस लड़ाई में उन्हें आठ वर्ष लग गये.
रिटायरमेंट का मात्र 10 महीना बचा है. श्री सरकार ने पूरे जोश के साथ सोमवार को अपना पदभार ग्रहण किया है. उन्होंने कहा कि किसी के साथ उनकी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. विश्वविद्यालय की प्रशासनिक गतिविधि को जारी रखने में वे सक्रिय भूमिका निभायेंगे. हांलाकि उनके वापस आने से विरोधी पक्ष में खलबली तेज हो गयी है.
उल्लेखनीय है कि करीब आठ वर्ष पहले उनपर आर्थिक घोटाले का आरोप लगा था. उनके परीक्षा कंट्रोलर रहने के दौरान आर्थिक घोटाले होने की बात सामने आयी थी. मामला सामने आने के बाद एक आंतरिक कमिटी बनाकर तत्कालीन उपाचार्य अरूणाव बसु मजुमदार ने जांच करायी थी. हांलाकि मजे की बात यह है कि आर्थिक घोटाले के इस मामले में रूपए का कोई आंकड़ा पेश नहीं किया गया.
विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से हाइकोर्ट में मामला गया. जहां से यह मामला डिवीजन बेंच से होकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम ने जांच कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर उचित निर्णय लेने का निर्देश प्रबंधन को दिया. सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने तक विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कमिटी की रिपोर्ट को देखा तक नहीं था.
इसके बाद उत्तरबंग विश्विविद्यालय के तत्कालीन वाइस चांसलर अरूणाव बसु मजूमदार ने दिलीप कुमार सरकार के खिलाफ आर्थिक असहयोग का आरोप लगाकर 30 मार्च 2010 को माटीगाड़ा थाने में मामला दर्ज कराया. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जांच कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने दिलीप सरकार को निलंबित कर दिया. उसके बाद श्री सरकार ने फिर से हाइकोर्ट में मामला किया.
इसके बाद उन्होंने राज्यपाल व विश्वविद्यालय के चांसलर केसरी नाथ त्रिपाठी से उचित जांच की मांग की. राज्यपाल ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को एक कमेटी गठित कर मामले की जांच कराने का निर्देश दिया. तीन सदस्यों की कमेटी ने बहुमत से दिलीप कुमार सरकार को निर्दोष पाया.
हांलाकि इस प्रक्रिया में पूरे आठ वर्ष बीत गये. इतने समय में उत्तरबंग विश्विविद्यालय के दो वाइस चांसलर का कार्यकाल समाप्त हो गया. अरूणाव बसु मजुमदार के बाद, डॉ. सोमनाथ घोष भी 31 जनवरी को उत्तरबंग विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर का कार्यकाल समाप्त कर चले गये.
इधर,दूसरी तरफ कमेटी ने दिलीप कुमार सरकार को क्लीनचिट देते हुए अविलंब उन्हें कार्य पर लौटाने का निर्देश विश्वविद्यालय प्रबंधन को दिया. पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन के चेयरमैन डा. सुबीरेश भट्टाचार्य ने फरवरी महीने में उत्तरबंग विश्वविद्यालय के उपाचार्य का पदभार ग्रहण किया है.
पदभार संभालने के बाद बीते शनिवार को वाइस चांसलर सुबीरेश भट्टाचार्य ने पहली बार प्रबंधन के साथ बैठक कर पांच दिन के भीतर दिलीप कुमार सरकार को रजिस्ट्रार के पद पर लौटाने का निर्देश जारी किया.
उनके निर्देशानुसार दिलीप कुमार सरकार को अगले पांच दिनों में अपना पदभार ग्रहण करने के लिए आवेदन किया गया. सोमवार सुबह दस बजे दिलीप कुमार सरकार ने पूरे जोश के साथ पदभार ग्रहण कर लिया. विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में पहुंचते ही विभागीय सहकर्मियों में एक हर्ष देखने को मिला. सभी ने गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिलीप कुमार सरकार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से उनके खिलाफ विश्वविद्यालय प्रबंधन की गतिविधियों से वे आश्चर्यचकित हैं. अदालत व ट्रिब्यूनल के फैसले ने यह साफ कर दिया है कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाये गये थे, वह बेबुनियाद थे.
आज उन्होंने अपनी खोयी हुयी मर्यादा व सम्मान के साथ अपना पदभार ग्रहण किया है. हांलाकि अब उनका कार्यकाल मात्र 10 महीने ही बचा है. लेकिन फिर भी वे पूरी लगन के साथ विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था को कायम करने का काम करेगें.
उन्होंने कहा कि एक रजिस्ट्रार सिद्धांत का निष्पादन नहीं करता बल्कि वाइस चांसलर व प्रबंधन द्वारा बनाये गये सिद्धांतो को कार्यान्वित करने का काम करता है.

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