पहल. डेंगू व अन्य बुखार से कारगर ढंग से निबटने की तैयारी
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न्यू अलीपुरद्वार में जल्द खुलेगा संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र
पहल. डेंगू व अन्य बुखार से कारगर ढंग से निबटने की तैयारी सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी सहित पूरे उत्तर बंगाल में हर साल डेंगू के बढ़ते प्रकोप से सभी चिंतित हैं. आमलोगों के साथ ही राज्य स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी हर साल इस बीमारी से होने वाली तबाही को लेकर परेशान हैं. इसी साल […]
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी सहित पूरे उत्तर बंगाल में हर साल डेंगू के बढ़ते प्रकोप से सभी चिंतित हैं. आमलोगों के साथ ही राज्य स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी हर साल इस बीमारी से होने वाली तबाही को लेकर परेशान हैं. इसी साल डेंगू ने सिलीगुड़ी में बड़े पैमाने पर गदर मचाया था. सिर्फ सिलीगुड़ी महकमा इलाके में ही एक दर्जन से अधिक लोग डेंगू की बीमारी से मारे गए थे और 1500 से अधिक लोग पीड़ित थे. हांलाकि फिलहाल डेंगू का प्रकोप पूरी तरह से समाप्त हो गया है. आमलोगों को राहत मिली है,
लेकिन अगले साल फिर से डेंगू के पनपने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसके अलवा डेंगू, एंसेफ्लाइटिस, मलेरिया आदि बुखार से भी उत्तर बंगाल के लोग पीड़ित होते हैं. इस बीच उत्तर बंगाल के लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. न्यू अलीपुरद्वार में जल्द ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च डिब्रूगढ़ शाखा के सहयोग से संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र खुलने जा रहा है. इसके लिए तैयारी लगभग पूरी हो गयी है. चूंकि यह केंद्र सरकार की योजना है, इसलिए राज्य सरकार की आधिकारिक मंजूरी के बाद ही इस परियोजना को अमली जामा पहनाया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर भारत में केवल डिब्रुगढ़ में ही आईसीएमआर का केंद्र है. इस अनुसंधान केंद्र के लिये आईसीएमआर अलीपुरद्वार जिला स्वास्थ्य विभाग को 40 लाख रुपए का अनुदान देगा.
जानकारों के मुताबिक चूंकि डुवार्स संक्रामक रोगों का बेहद प्रभावित क्षेत्र रहा है इसलिये अलीपुरद्वार को इस केंद्र के लिये सर्वाधिक उपयुक्त स्थान मानकर इसका चयन किया गया है. डुवार्स के चाय बागान क्षेत्र आजादी के पहले से ही मलेरिया और कालाज्वर के लिये जाना जाता है. हालांकि अब कालाज्वर का प्रकोप नहीं है.
अलीपुरद्वार जिले के उप मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी-2 ने बताया कि राज्य के प्रत्येक जिले में फिलहाल एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ नियुक्त हैं. लेकिन कोलकाता के बाहर कहीं भी संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र नहीं है. इसलिये इस तरह के केंद्र की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी. उन्होंने बताया कि चूंकि यह केंद्र सरकार की योजना है इसलिये इसके लिये राज्य सरकार के अनापत्तिपत्र की जरूरत है. ज्ञात हो कि स्वास्थ्य पूरी तरह से राज्य का विषय है जिसके लिये अनुमोदन की जरूरत पड़ती है. अनुमोदन के लिये राज्य सरकार के पास पत्र दिया गया है.
जिला स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार न्यू अलीपुरद्वार में नगरपालिका के मातृसदन के बगल में सीएमओ का कार्यालय है. उसी कार्यालय की उपरी मंजिल पर 140 वर्गफीट जगह में अनुसंधान केंद्र खोला जायेगा. स्वास्थ्य विभाग ने इस बीच अनुसंधान केंद्र के लिये माइक्रोस्कोप खरीदने के लिये ऑर्डर भी दे दिये हैं. गौरतलब है कि सिलीगुड़ी के साथ ही जलपाईगुड़ी,अलीपुरद्वार एवं डुवार्स में मच्छरों से संक्रमित होने वाले जापानी एंसेफ्लाइटिस यानी मस्तिष्क ज्वर, चिकनगुनिया, मलेरिया, और डेंगू के विषाणुओं की प्रवणता है. हालांकि अभी तक इस जिले में कालाज्वर का कोई मामला सामने नहीं आया है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार राज्य में केवल अलीपुरद्वार में ही स्क्रब टाइफस ज्वर के मामले मिले हैं. चालू वर्ष में इस ज्वर के प्रकोप से एक मरीज की मृत्यु हुई है जबकि पांच मरीज पीड़ित रहे. हालांकि अब वे पांचों स्वस्थ हैं. सूत्र ने बताया कि जिले में किस इलाके में किस तरह के मच्छरों की अधिकता है इसका पता लगाने के लिये केंद्र के टेक्निशियन इस इलाके से मच्छरों का संग्रह करवायेंगे. मच्छर संग्रह के लिये कर्मचारी नियुक्त किये जायेंगे. इसके लिये डिब्रुगढ़ केंद्र के वैज्ञानिक जरूरी जानकारी मुहैया करायेंगे. मच्छों के अध्ययन से पता चलेगा कि किस इलाके में कौन से रोग वहन करने वाले मच्छरों का प्राचुर्य है. इससे दिन में और रात में काटने वाले मच्छरों का प्रायोगिक अध्ययन किया जायेगा. कौन से मच्छर किस कीटनाशक से मरते हैं इसका भी पता लगाकर मच्छर उन्मूलन में इस तथ्य का उपयोग किया जायेगा.
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