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अपने ही निकले बेगाने, दूसरों से मदद की उम्मीद, इलाज के बहाने मेडिकल में भर्ती करा परिजन गायब

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी. बीमारी के बहाने कुछ वृद्ध व शारीरिक र??ूप से कमजोर लोगों को परिवारवालों ने इलाज के नाम पर अस्पताल में भर्ती कराया और दोबारा झांकने तक नहीं आये. बीमारी ठीक होने के बाद भी परिवारवाले इनको घर नहीं ले गये. एक तरह से इनसे अपना नाता तक तोड़ दिया है. इनसे मिलने भी […]

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी. बीमारी के बहाने कुछ वृद्ध व शारीरिक र??ूप से कमजोर लोगों को परिवारवालों ने इलाज के नाम पर अस्पताल में भर्ती कराया और दोबारा झांकने तक नहीं आये. बीमारी ठीक होने के बाद भी परिवारवाले इनको घर नहीं ले गये. एक तरह से इनसे अपना नाता तक तोड़ दिया है.

इनसे मिलने भी कोई नहीं आता. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रबंधन ने अब इन सभी को उनके घर भेजने या कोई और ठिकाना देने का निर्णय लिया है. पहले भी इस दिशा में पहल की गयी थी, लेकिन मामला अधर में लटक गया था. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में ऐसे 22 लोग हैं, जिन्हें अपनों ने ही बेगाना कर दिया है. इनकी सूची बना ली गयी है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज इस साल अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है. कॉलेज परिसर के अलावा सभी वार्ड, कॉरिडोर आदि की सफाई की जा रही है.

इसी क्रम में 22 लोग ऐसे मिले जिन्हें परिवार ने वापस नही अपनाया. एक समय किसी न किसी बीमारी के इलाज के लिए इन्हें मेडिकल कॉलेज लाया गया था. परिवार के सदस्य बीच-बीच मे इनसे मिलने आया करते थे. लेकिन बीमारी ठीक होने के बाद कोई इन्हें लेने नही आया.

कोई बरामदे में तो कोई कॉरिडोर में और कोई सीढ़ी के नीचे अपना अस्थाई ठिकाना बना कर रह रहा है. अस्पताल के डॉक्टर, नर्स व अन्य कर्मचारियों की दया पर ये पल रहे हैं. कभी अस्पताल के कर्मचारी तो कभी अन्य रोगी के परिजन इन्हें खाने को कुछ दे देते हैं. कभी कुछ समाज कर्मी इन्हें चादर, कंबल व वस्त्र प्रदान कर दिया करते हैं. ल?ेकिन सवाल ये है कि और कितने दिन मेडिकल कॉलेज इनका सहारा बनेगा. कोई 5 साल तो कोई दस से भी अधिक समय से यहां अपना डेरा जमाया हुआ है. कोई शारीरिक तौर से कमजोर है तो कोई अपनो द्वारा छोड़े जाने के गम में मानसिक रूप से बीमार हो गया है. गंदगी व मेडिकल कॉलेज में रहने की वजह से कुछ के शरीर मे कई रोगों ने घर बना लिया है. कुछ समय पहले उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में ऐसे मरीजों की संख्या काफी थी. उनमे से कुछ अपने परिजनों के आने का लंबा इंतज़ार के बाद कहीं अन्यत्र चले गए. जबकि ये 22 लोग अब भी अपनों का इंतजार कर रहे हैं.
अस्पताल प्रबंधन स्थायी बसेरा देने की कोशिश में
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज ने इन सभी को उनके घर या एक स्थायी ठिकाना देने का निर्णय लिया है. जहां उनकी ठीक से देखभाल हो सके. परंतु इनमें से कुछ तो अपना ठिकाना भूल गए हैं, जबकि कुछ अब घर जाना नही चाहते हैं. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने ऐसे मरीजों की एक तालिका बनाई है. जिसमे 22 मरीजो के नाम दर्ज हुए हैं. मेडिकल कॉलेज को ही अपना घर बनाने वाले ऐसे मरीजों को लेकर प्रबंधन ने विचार-विमर्श किया है. रोगी कल्याण समिति की बैठक में इस सम्बंध में चर्चा हुई है. पुराने रिकॉर्ड के जरिये इनका ठिकाना ढूंढने का प्रयास शुरू हुआ है.
15 लोग नहीं बता पा रहे हैं अपना पता
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन व राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने कहा कि सात लोगों को ठिकाना मिल गया है.उनको परिवार वालों के पास भेजने की कवायद की जा रही है. 15 लोग अब व बचे हैं, जो अपना पता नहीं बता सकते. इन सभी को स्थायी ठिकाना दिया जायेगा. परिवार वालों ने इन्हें ठुकरा दिया है, इसका मतलब यह नही की हम भी इन्हें ठुकरा दें. मेडिकल कॉलेज परिसर में इनका रहना ठीक नही. इनके लिए वृद्धाश्रम व इनके परिवार वालों से भी संपर्क करने की कवायद तेज कर गयी है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल अधीक्षक मैत्रेयी कर ने बताया कि वे सभी कॉरिडोर, सीढ़ी के नीचे, वार्ड के बाहर, यहां तक कि मुर्दाघर व पोस्टमार्टम रूम के तरफ भी रहते है. जिसका इनके स्वास्थ पर भी असर पड़ता है. इसलिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इन्हें स्थाई ठिकाना देने का निर्णय लिया है.

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