गोजमुमो प्रमुख ने तीन माह के आंदोलन का ठीकरा एक बार फिर विनय तमांग पर फोड़ते हुए कहा कि आंदोलन के लिए विनय ने ही उकसाया था. उन्हें अब यकीन हो चला है कि विनय तमांग की राज्य सरकार के साथ पहले से ही सांठगांठ थी. वह (विनय तमांग) तो केवल नवान्न के आदेशों का अनुपालन कर रहे थे.
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विमल गुरुंग ने लगाया आरोप विनय की पहले से थी सरकार से मिलीभगत
दार्जिलिंग. गोजमुमो अध्यक्ष विमल गुरुंग ने मंगलवार को किसी अज्ञात स्थान से प्रेस बयान जारी करते हुए एक साथ बंगाल सरकार और विनय तमांग पर शब्दवाण छोड़े. उन्होंने कहा है कि तीन माह के आंदोलन से स्पष्ट हो गया है कि पर्वतीय क्षेत्र के लोग बंगाल में रहना नहीं चाहते हैं. उन्होंने राज्य सरकार पर […]
दार्जिलिंग. गोजमुमो अध्यक्ष विमल गुरुंग ने मंगलवार को किसी अज्ञात स्थान से प्रेस बयान जारी करते हुए एक साथ बंगाल सरकार और विनय तमांग पर शब्दवाण छोड़े. उन्होंने कहा है कि तीन माह के आंदोलन से स्पष्ट हो गया है कि पर्वतीय क्षेत्र के लोग बंगाल में रहना नहीं चाहते हैं. उन्होंने राज्य सरकार पर पहाड़ के साथ तराई और डुआर्स में चल रहे लोकतांत्रिक और संवैधानिक आंदोलन को कुचलने का आरोप लगाते हुए बागी नेता तथा जीटीए के प्रशासकीय बोर्ड के चेयरमैन विनय तमांग को बंगाल सरकार का पिछलग्गू बताया.
उन्होंने कहा है कि 8 अगस्त को विनय तमांग ने आंदोलन का ऐलान करने के बाद दस रोज बाद ही 18 अगस्त को दार्जिलिंग शहर में आधी रात को पहला बम फटा.
यह निरा संयोग नहीं था कि उनके और अन्य गोजमुमो के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ बंगाल पुलिस ने यूएपीए की धाराओं के तहत मामले दर्ज किये. जबकि जिस विनय तमांग ने आंदोलन को शुरू किया था उसके खिलाफ कोई मामले दर्ज नहीं किये गये. इसी से साबित होता है कि इस पूरे मामले में बंगाल सरकार की विनय तमांग गुट के साथ गहरी सांठगांठ रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि आंदोलन के दौरान लगातार हुए बम विस्फोटों के चलते पहाड़ के लोगों में भय व असुरक्षा का माहौल था. उसके बाद ही उनके खिलाफ बम विस्फोट के 5 फर्जी मामले 19 अगस्त से 25 अगस्त के बीच दर्ज किये गये. एक तरफ जहां उनके खिलाफ मामले दर्ज किये गये, वहीं विनय तमांग ने 23 अगस्त को खुद को गोजमुमो का मुख्य संयोजक घोषित कर दिया.
हालांकि इस संबंध में उन्होंने न तो अध्यक्ष से और न ही केंद्रीय कमेटी से किसी तरह की सलाह ली. उन्होंने कहा कि अपने कार्यकर्ताओं की जमीनी रिपोर्ट के आधार पर वे निश्चित हैं कि आंदोलन के दौरान जितनी हिंसा, आगजनी और दंगे हुए वे सभी विनय तमांग और अनित तमांग की देखरेख में बंगाल सरकार के साथ मिलीभगत से हुए.
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