सूत्र के अनुसार बरसात शुरु होते ही अर्थात अगस्त से ही पक्षियों का आगमन शुरु हो जाता है. उसके बाद मार्च तक ये स्वदेश चले जाते हैं. यहां के अनुकूल जलवायु और परिवेश के चलते इन पक्षियों का यह पसंदीदा आश्रयस्थल है. वन विभाग के जिला प्रभारी द्विपर्ण दत्त ने बताया कि भौगोलिक और अनुकूल जलवायु के चलते यहां पक्षी आते हैं. वनकर्मी इन पक्षियों की समुचित तरीके से देखभाल करते हैं. इस बार पिछले साल की तुलना में सात हजार पक्षी अधिक आये हैं.
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प्रवासी पक्षियों की संख्या एक लाख के पार
रायगंज. शहर के निकट कुलिक पक्षी निवास देश विदेश के पक्षी प्रेमियों के लिए विशेष महत्व रखता है. यहां हर साल बरसात के आखिर में विदेशों से लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं. यहां के पक्षियों की गणना का काम 12 अक्तूबर को शुरु किया गया था. उस गणना से पता चला है […]
रायगंज. शहर के निकट कुलिक पक्षी निवास देश विदेश के पक्षी प्रेमियों के लिए विशेष महत्व रखता है. यहां हर साल बरसात के आखिर में विदेशों से लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं. यहां के पक्षियों की गणना का काम 12 अक्तूबर को शुरु किया गया था. उस गणना से पता चला है कि प्रवासी पक्षियों की तादाद एक लाख के करीब पहुंच गई है. यह पिछले साल की तुलना में 7000 अधिक है. इस तथ्य से पक्षी प्रेमी और पक्षियों पर शोध करने वालों के लिये उत्साहजनक है.
जिला वन विभाग के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार पक्षी पानकौड़ी, नाइट हेरन, लिटिल इगरेट और बिल स्टॉर्क की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. गणना के काम में वन्य प्राणी डिवीजन के कर्मचारियों के साथ ही वन्य प्रेमी स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ता भी शामिल हुए थे. उल्लेखनीय है कि 1.30 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले कुलिक पक्षी निवास लगभग 165 प्रजातियों के पक्षी हर साल विभिन्न देशों से आकर यहां बसेरा बनाते हैं, प्रजनन करते हैं और फिर जाड़ा समाप्त होते ही स्वदेश लौट जाते हैं.
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