श्री सिंह का कहना है कि पूजा और मुहर्रम दोनों ही त्योहारों में यहां का जो माहौल उन्होंने अनुभव किया वैसा माहौल उन्हें और कहीं भी देखने को नहीं मिला. उन्होंने सिलीगुड़ी में अब-तक जितने भी पर्व-त्योहार वह चाहे मुस्लिम धर्म का ईद,बकरीद,मुहर्रम हो या हिंदुओं की गणेश चतुर्थी, विश्वकर्मा पूजा, दुर्गा पूजा, या फूलपाती उत्सव, दशैं-टीका या सिख धर्म का त्योहार या फिर इसाई धर्म का अनुष्ठान. यहां सभी संप्रदाय के लोग एक-दूसरे के पर्व-त्योहारों में पूरी सिद्दत के साथ शिरकत करते हैं.
यही वजह है कि सिलीगुड़ी में किसी भी पर्व-त्योहार में पुलिस को खास जद्दो जहद नहीं करती पड़ती. बल्कि पुलिस के काम में भी यहां के लोग पूरा सहयोग करते हैं. इसके लिए उन्होंने पूरे पुलिस प्रशासन की ओर से शहरवासियों का शुक्रिया अदा किया. इस मौके पर उनके साथ मंच पर मौजूद हर धर्म के धर्मगुरु इस्कॉन मंदिर के प्रवक्ता प्रभु नाम कृष्ण दास, करबला मस्जिद के मौलवी के रहमान, सिलीगुड़ी जामा मस्जिद (छोटा मस्जिद) के प्रवक्ता हाजी मुमताज हुसैन, सिलीगुड़ी गुरुद्वारा के जगविंदर सिंह, सनत सिंह, बौद्ध धर्मगुरु सालुगाड़ा बौद्ध मंदिर के जंबल लामा, भानुभक्त समिति प्रधाननगर इकाई के कृष्णा लामा, हिल्स तणमूल कांग्रेस (तृकां) नेता बिन्नी शर्मा, विनोद गटानी, डॉन बोस्को स्कूल के फादर बीटी जोस, दर्पण पब्लिकेशन के निदेशक कुलदीप चौधरी, समाजसेवी संजय टिबड़ेवाल, ओमप्रकाश अग्रवाल, देवज्योति बर्मन, युवा पत्रकार प्रसेनजीत राहा, वरिष्ठ पत्रकार किशोर साहा व अन्य सभी ने भी दुर्गा पूजा और मुहर्रम के दौरान शहर की अमन-चैन, सुरक्षा और जाम मुक्ति के लिए पूरे पुलिस प्रशासन की काफी तारीफ की. साथ ही सबों ने शहर की सामाजिक सद्भावना के लिए बंगाल की संस्कृति और मिट्टी में ही एकता की खुशबू महकने की बात कही. इस मौके पर मंच पर मौजूद आर्म्ड पुलिस उत्तर बंगाल इकाई के आइजी महबूब रहमान, एसएस सीआइडी अजय प्रसाद, एसएस आइबी ओजी पाल, सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के डीसीपी (ट्रॉफिक) सुनील यादव, डीसीपी (हेडक्वार्टर) गौरव लाल, तरुण हलदार जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी समारोह को संबोधित कर सभी सम्मान प्राप्त पूजा आयोजक कमेटियों और मुहर्रम कमेटियों की हौसला आफजायी की. सम्मान समारोह की शुरुआत मंगलवार को ड्यूटी के दौरान ही अकस्मात निधन हुए एनजेपी थाना के कांस्टेबल परिमल चंद्र पाल की आत्मा की शांति के लिए एक मिनट मौन धारण और रवींद्र संगीत से हुई.