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उपराष्ट्रपति चुनाव पर भी गोरखालैंड आंदोलन का साया

सिलीगुड़ी. सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग के बाद शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) ने भी दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग का समर्थन किया है. उसके बाद से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तल्खी एनसीपी के साथ भी बढ़ गयी है. आलम यह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी […]

सिलीगुड़ी. सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग के बाद शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) ने भी दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग का समर्थन किया है. उसके बाद से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तल्खी एनसीपी के साथ भी बढ़ गयी है. आलम यह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनसीपी के इस कदम को विपक्षी एकता में खतरा बताया है और आनेवाले उप-राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी का समर्थन नहीं कर निष्पक्ष रहने की धमकी दी है. यह जानकारी एनसीपी सूत्रों से मिली है.
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एनसीपी न केवल गोरखालैंड आंदोलन का समर्थन कर रही है, बल्कि इस मुद्दे को लोकसभा में उठाने का भी निर्णय लिया है. इसके साथ ही दार्जिलिंग जिला एनसीपी के आला नेता गोरखालैंड मूवमेंट कोर्डिनेशन कमेटी (जीएमसीसी) की बैठक में शामिल भी हो रहे हैं. कालिम्पोंग में मंगलवार को जीएमसीसी की बैठक में एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष फैजल अहमद शामिल हुए थे. सूत्रों के अनुसार बैठक पर ममता बनर्जी की निगाहें टिकी हुई थीं. राज्य सरकार के खुफिया विभाग के तमाम आला अधिकारी बैठक पर नजरें गड़ाये हुए थे. मुख्यमंत्री को बैठक की पल-पल की जानकारी दी जा रही थी. इस बैठक में शामिल एनसीपी नेताओं ने न केवल गोरखालैंड आंदोलन का समर्थन किया, बल्कि बैठक के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी करारा हमला बोला.
दार्जिलिंग जिला एनसीपी नेताओं की इस प्रकार की गतिविधियों से मुख्यमंत्री बेहद नाराज हैं. सूत्रों ने बताया कि ममता बनर्जी ने कल ही एनसीपी प्रमुख तथा देश के पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार को फोन किया. कहा जाता है कि कई बार फोन कर उन्होंने शरद पवार से अपनी नाराजगी जतायी है. इसके अलावा उन्होंने शरद पवार से मिलने की भी ख्वाहिश जाहिर की है. सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जल्द ही कोलकाता से नयी दिल्ली जाने वाली हैं. वहीं शरद पवार के साथ उनकी बैठक होने वाली है.
सूत्रों के अनुसार फोन पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शरद पवार को साफ-साफ बता दिया है कि यदि वह गोरखालैंड आंदोलन का समर्थन करेंगे, तो वह उप-राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गठबंधन से अलग हो जायेंगी. उल्लेखनीय है कि उप-राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे गोपाल कृष्ण गांधी को अपना उम्मीदवार बनाया है. माना जाता है कि जब गोपाल कृष्ण गांधी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे तब भी उनका संपर्क मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से काफी अच्छा था. इस बार कांग्रेस ने जब उनको उप-राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया तो ममता बनर्जी तत्काल उनके नाम पर राजी हो गयीं. दूसरी ओर एनडीए के उम्मीदवार भाजपा के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू हैं. उप-राष्ट्रपति चुनाव में गोपाल कृष्ण गांधी का उन्हीं से मुकाबला है. इधर, ममता बनर्जी के इस रवैये को लेकर मोरचा नेता तथा जीएमसीसी के अध्यक्ष कल्याण देवान ने हमला बोला है. कल्याण देवान का कहना है कि ममता बनर्जी चाहे जितनी कोशिश कर लें, वह आंदोलन को नहीं दबा सकतीं.
क्या कहते हैं एनसीपी नेता
इस मामले में एनसीपी के दार्जिलिंग जिला कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष फैजल अहमद का कहना है कि यह गोरखा अस्मिता का सवाल है और उनकी पार्टी अलग गोरखालैंड राज्य मांग का समर्थन करती रहेगी. उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री चाहे जितना नाराज हो जायें, एनसीपी को इसकी कोई परवाह नहीं है.
क्या कहते हैं कल्याण देवान
गोरखालैंड मूवमेंट को-ऑर्डिनेशन कमेटी (जीएमसीसी) के अध्यक्ष तथा मोरचा नेता कल्याण देवान का कहना है कि शरद पवार देश के रक्षा मंत्री रहे हैं. उन्हें देश की सुरक्षा में गोरखाओं के अवदान की जानकारी है. इसीलिए वह गोरखालैंड आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने शरद पवार के प्रति अपना आभार भी प्रकट किया.

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