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बंगाल को बांटने की हो रही साजिश : आमरा बंगाली

सिलीगुड़ी. जागो बंगाली, जागो! गोरखालैंड के नाम पर विदेशी नेपाली बंगाल के पहाड़ पर साजिश रच रहे हैं. दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र को पश्चिम बंगाल से अलग करने की साजिश रची जा रही है. यह कहना है आमरा बंगाली नामक संगठन का.शनिवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित प्रेस-वार्ता के दौरान संगठन के केंद्रीय सचिव मुकुल […]

सिलीगुड़ी. जागो बंगाली, जागो! गोरखालैंड के नाम पर विदेशी नेपाली बंगाल के पहाड़ पर साजिश रच रहे हैं. दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र को पश्चिम बंगाल से अलग करने की साजिश रची जा रही है. यह कहना है आमरा बंगाली नामक संगठन का.शनिवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित प्रेस-वार्ता के दौरान संगठन के केंद्रीय सचिव मुकुल चंद्र राय ने पहाड़ पर अलग राज्य गोरखालैंड की मांग में हो रही हिंसक आंदोलन के लिए गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) सुप्रीमो विमल गुरूंग को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से विमल गुरूंग समेत अन्य मुख्य आरोपी नेताओं को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की.

साथ ही जीटीए को जल्द रद्द करने की अपील की. संगठन के दार्जीलिंग जिला सचिव बासुदेव साहा ने भी गोरखालैंड आंदोलनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि पहाड़ को बंगाल से किसी भी कीमत पर अलग करने नहीं दिया जायेगा. दार्जीलिंग पार्वतीय क्षेत्र बंगाल का मुकुट है और बंगालियों की मातृभूमि. पहाड़ के लिए बंगाली बलिदान दे देंगे, लेकिन बंगाल से अलग नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टिकोण से दार्जीलिंग जिला कई अंतरराष्ट्रीय सीमाओं नेपाल, चीन, भूटान से नजदीक है. यही वजह है कि दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र में भारतीय गोरखाओं के तुलना में विदेशियों की संख्या काफी अधिक है.


संगठन के जिला प्रमुख खुशीरंजन मंडल ने हाल ही में भाषा विवाद की टिप्पणी पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लताड़ते हुए कहा कि कोलकाता में ममता बंगाल में सभी समुदाय के विद्यार्थियों के लिए बांग्ला पढ़ना अनिवार्य करती हैं और पहाड़ पर पहुंचकर मोरचा आंदोलन के दबाव में सुर बदलते हुए टिप्पणी करती है कि हमने ऐसा कभी नहीं कहा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह टिप्पणी बंगाली समाज को आहत करनेवाला है. बंग्ला भाषा पश्चिम बंगाल की मातृभाषा है. यहां रहनेवाले हर किसी को बांग्ला भाषा पढ़ना, लिखना और बोलना सीखना ही होगा.

संगठन के अन्य नेताओं ने भी गोरखालैंड आंदोलनकारियों, केंद्र और राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर दार्जीलिंग जिले को बंगाल से अलग किया गया तो ‘आमरा बंगाली’ राज्य भर में बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा.

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