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स्कूलों की अतिरिक्त फीस पर नियंत्रण उचित

कोलकाता. बुधवार को निजी स्कूलों के साथ टाऊन हॉल में हुई मुख्यमंत्री की बैठक को शिक्षा जगत के लोग काफी सकारात्मक तरीके से देख रहे हैं. कई निजी स्कूल प्रबंधकों का मानना है कि अगर फीस, डोनेशन या स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नजर रखी जाती है, तो न केवल अभिभावकों की समस्या दूर होगी, बल्कि […]

कोलकाता. बुधवार को निजी स्कूलों के साथ टाऊन हॉल में हुई मुख्यमंत्री की बैठक को शिक्षा जगत के लोग काफी सकारात्मक तरीके से देख रहे हैं. कई निजी स्कूल प्रबंधकों का मानना है कि अगर फीस, डोनेशन या स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नजर रखी जाती है, तो न केवल अभिभावकों की समस्या दूर होगी, बल्कि शैक्षणिक गतिविधियों में पारदर्शिता भी बनी रहेगी. सेल्फ रेग्युलेटरी कमीशन बनने से स्कूलों का कामकाज नियंत्रण में रहेगा. साथ ही फीस की बढ़ोतरी का भी हिसाब रखा जायेगा.

इस विषय में बिरला हाइ स्कूल की प्रिंसिपल मुक्ता नैन ने कहा कि यह बैठक आगामी भविष्य में काफी सहायक सिद्ध होगी. जो स्कूल अतिरिक्त डोनेशन ले रहे हैं, उन पर नजर रखी जायेगी. सेल्फ रेग्युलेटरी कमीशन में शिक्षा सचिव, डीजी व सीपी का प्रतिनिधि रहेगा. इससे कामकाज में पारदर्शिता बनी रहेगी. बच्चों को क्षेत्रीय भाषा पढ़ाने की मुख्यमंत्री की बात भी काफी सही है, इससे छात्रों को दिक्कत नहीं होगी. एडेमास यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो समित राय ने कहा कि इस बैठक से शिक्षा जगत में एक बहस तो छिड़ी.

कई संस्थान अब अपने काम के प्रति ज्यादा जिम्मेदार होंगे. मुख्यमंत्री इस बैठक के जरिये शैक्षणिक संस्थानों के कामकाज में एक पारदर्शिता लाना चाहती है, यह एक अच्छा प्रयास है. जेआइएस ग्रुप के डायरेक्टर तरणजीत सिंह ने कहा कि निजी स्कूल के मालिकों व प्रबंधकों के साथ मुख्यमंत्री की इस बैठक से कई मुद्दों पर एक निर्णय तो हुआ. यह एक अच्छी बात है. देखा जाये तो उच्च शिक्षा के मुकाबले स्कूली शिक्षा (निजी स्कूल) ज्यादा महंगी है, इस पर लगाम तो लगनी चाहिए. मुख्यमंत्री का सोच एकदम सही है. सेंट्रल मॉडर्न स्कूल के प्रिंसिपल नवारुण दे का कहना है कि मुख्यमंत्री की इस बैठक से वे स्कूल अब ज्यादा सचेत होकर काम करेंगे, जो ज्यादा फीस या डोनेशन लेते हैं. ऐसे स्कूलों पर निगरानी होनी भी चाहिए. यह बहुत जरूरी था. राज्य में लगभग 12,000 निजी स्कूल हैं, मात्र 10-15 स्कूलों के डोनेशन लेने के कारण सभी स्कूलों के नाम खराब होते हैं. अगर मुख्यमंत्री की योजना पर सही से काम होता है, तो इससे काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. लोरेटो स्कूल की एक शिक्षिका ने कहा कि शिक्षाविदों के साथ मुख्यमंत्री की इस बैठक से कई मसलों पर आज खुलकर बात हुई है. निजी संस्थानों के विस्तार की मुख्यमंत्री ने बात की है, इसमें अगर सरकार किसी तरह का सहयोग करती है, तो यह बहुत अच्छी कोशिश है. इस बैठक से कुछ अच्छे नतीजे निकलेंगे, अगर इसकी नीतियों पर निजी स्कूल चलते हैं तो. यह एक अच्छा प्रयास है. कुछ शिक्षाविदों न कहा कि मुख्यमंत्री ने निजी स्कूलों को फीस पर अंकुश के साथ-साथ बच्चों के चरित्र निर्माण पर जोर देने की सीख दी, यह बहुत अच्छी कोशिश है. अब कोई भी निजी स्कूल मनमानी या गलत नीतियों से स्कूल नहीं चला पायेगा. यह प्रयास मुख्यमंत्री का सराहनीय है. डीपीएस, रूबी पार्क के सीनियर वाइस प्रिंसिपल प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य में अच्छी शिक्षा व बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मुख्यमंत्री की पहल सराहनीय है. कुछ निजी शिक्षा प्रबंधकों ने सेल्फ रेग्युलेटरी कमीशन बनने की पहल का भी स्वागत किया. उनका कहना है कि इसमें शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि के साथ पुलिस अधिकारी भी रहेंगे, जो कामकाज व फीस स्ट्रक्चर पर नजर रखेंगे. यह सही कदम है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसको क्या कहा
मुख्यमंत्री : ला मार्ट्स में सबसे ज्यादा 2 लाख 40 हजार फीस ली जाती है. प्रति वर्ष कितनी फीस यहां बढ़ायी जाती है?
रेवरन ए अधिकारी, बोर्ड सदस्य (ला मार्टिनीयर फॉर ब्वायज) : स्कूल में वन टाइम एडमिशन शुल्क के रूप में 2.47 लाख रुपये लिये जाते हैं. इस साल 11.9 प्रतिशत फीस में बढ़ोत्तरी की गयी है. हमारा स्कूल एक बहुत बड़ी राशि निर्धन बच्चों की शिक्षा पर भी खर्च करता है.
मुख्यमंत्री : मॉडर्न हाइस्कूल लड़कियों के लिए अच्छा स्कूल है. यहां कितनी फीस ली जाती है?
प्रतिनिधि, मॉडर्न हाइस्कूल : नर्सरी के एडमिशन में एक बार ही 75,000 रुपये फीस ली जाती है. इसके बाद सालाना मात्र 45,000 रुपये लिये जाते हैं. यहां लड़कियो के लिए क्वालिटी एजुकेशन के साथ कई सुविधाएं उपलब्ध हैं.
मुख्यमंत्री : साउथ प्वाइंट स्कूल में बच्चों से कितनी फीस ली जाती है?
के दम्मानी, ट्रस्टी, साउथ प्वाइंट हाइस्कूल : हमारे यहां प्रत्येक बच्चे से 3-4 हजार रुपये फीस ली जाती है. एक अभिभावक को अच्छी शिक्षा के लिए सालाना 40-48 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. एडमिशन फीस भी मात्र 30,000 रुपये है.
मुख्यमंत्री : सेंट जेवियर्स देश का नामी संस्थान है. यहां की शिक्षा भी एक्सीलेंट है, यहां किस तरह फीस ली जाती है?
वाइस चांसलर, फादर फिलिक्स राज (अब सेंट जेवियर्स यूनिवर्सिटी) : हमारा संस्थान निजी संस्थान है. यहां देश की पीढ़ी तैयार होती है. हम सेवाएं दे रहे हैं, कोई बिजनेस सेंटर नहीं चला रहे हैं. फीस का पूरा ब्योरा पारदर्शी है व वेबसाइट पर दिया हुआ है. फिल्म स्टडीज व मास कम्युनिकेशन के लिए ढाई लाख रुपये फीस है. फीस के हिसाब से छात्रों के लिए बेहतरीन सुविधाएं भी हैं.
मुख्यमंत्री : हेरिटेज से काैन आया है. यहां फीस स्ट्रक्चर कैसा है?
सीमा सप्रू, प्रिंसिपल, हेरिटेज स्कूल : हमारे स्कूल में क्लास-1 के लिए सालाना कुल 1 लाख 10,000 रुपये फीस ली जाती है. इसकी पूरी जानकारी वेबसाइट पर भी दी गयी है. सालाना 5 प्रतिशत फीस में बढ़ोत्तरी होती है. स्कूल में प्रत्येक छात्र से एडमिशन फीस केवल एक बार 90,000 रुपये ली जाती है. निजी संस्थान के रूप में बच्चों के लिए तीन मील, स्पोर्ट्स, एसी बस व तमाम कई सुविधाएं भी हैं. मुख्यमंत्री चाहती हैं कि हर बच्चे को राज्य में बेस्ट शिक्षा मिले, उनकी यह कोशिश व सोच सराहनीय है. इस बैठक से कुछ तो चीजें पोजेटिवली बदलेंगी.
प्रो समित राय, चांसलर एडेमास यूनिवर्सिटी : हमारे एडेमास स्कूल में डे स्कूल व बोर्डिंग स्कूल है. इस हिसाब से प्रति मास 21,00 फीस लेते हैं. बेहतरीन शिक्षा के लिए 30 प्रतिशत टीचर बाहर से लाये गये हैं. निजी शिक्षा के लिए खर्च तो काफी है, इसलिए फीस भी लेनी पड़ती है.
मुख्यमंत्री : बेंगलुरू या कहीं अन्य राज्य के शिक्षक बेहतर हैं, बंगाल के शिक्षक बेहतरीन नहीं हैं, इस बात से मैं संतुष्ट नहीं हूं. बंगाल का कोई जवाब नहीं. बंगाल बेंगलुरु को चलाता है, बेंगलुरु बंगाल को नहीं चला सकता है. अच्छी शिक्षा दें, लेकिन फीस का एक हिसाब व सीमा होनी चाहिए.

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