14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

धूम्रपान आंखों के लिए भी है हानिकारक

कोलकाता: धूम्रपान न केवल हृदय के लिए हानिकारक है, बल्कि आंखों के लिए भी हानिकारक है. धूम्रपान से दिल और फेफड़ों की बीमारी के संबंध में जनता में काफी हद तक जागरूकता है, लेकिन कई ये बात नहीं जानते कि धूम्रपान से निकलने वाला धुआं दृष्टि नुकसान भी पैदा कर सकता है. पैसिव स्मोकिंग यानि […]

कोलकाता: धूम्रपान न केवल हृदय के लिए हानिकारक है, बल्कि आंखों के लिए भी हानिकारक है. धूम्रपान से दिल और फेफड़ों की बीमारी के संबंध में जनता में काफी हद तक जागरूकता है, लेकिन कई ये बात नहीं जानते कि धूम्रपान से निकलने वाला धुआं दृष्टि नुकसान भी पैदा कर सकता है. पैसिव स्मोकिंग यानि निष्क्रिय धूम्रपान के जरिए इंसान धुआं सांस के जरिये अंदर ले लेता है, इसे सेकेंड हैंड स्मोक या एन्वायर्नमेंटल टोबैको स्मोक कहते हैं.

यह एक्टिव स्मोकर से अलग होता है. ऐसा तब होता है जब तंबाकू का सेवन करनेवाला इसका धुआं अपने आसपास के माहौल में छोड़ता है, जिसे अन्य लोग उसे ग्रहण कर लेते हैं. सेकेंड हैंड टोबैको स्मोक (धुआं) बीमारी, विकलांगता, अंधापन और मौत का कारण बनता है. यह जानकारी डाॅ स्वाति भट्टाचार्य, चिकित्सा निदेशक, डाॅ अग्रवाल आइ हॉस्पिटल, कोलकाता ने दी. उन्होंने आगे इस संबंध में कहा कि अध्ययनों से पता चला है कि धूम्रपान मोतियाबिंद, आयु से संबंधित मैक्यूलर डीजेनेरेशन, ग्लूकोमा, डायबेटिक रेटिनोपैथी, थायरायड संबंधित ऑप्थालमोपैथी, ऑप्टिक न्यूरोपैथी और ड्राई यानि सूखी आंखों का कारण बनता है.

ये रसायन सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से अपना प्रभाव डालते हैं. रेटिनल कोशिकाओं पर प्रत्यक्ष विषाक्त प्रभाव देखा जाता है. कैडमियम और आयरन जैसे हानिकारक तत्व सीधे लेंस में जमा होता है. डॉ भट्टाचार्य ने बताया कि भारत में लगभग 120 मिलियन लोग धूम्रपान करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में दुनिया के धूम्रपान करनेवालों का 12 फीसदी जनसंख्या होती है. गैट्स (ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे) 2009 -2010 इंडिया ने बताया था कि भारत के 14 फीसदी वयस्क स्मोकर्स में 24.3 फीसदी पुरुष और 2.9 फीसदी महिलाएं हैं. इसी अध्ययन में कहा गया है कि दस वयस्कों में से पांच (50 फीसदी) अपने घर में सेकेंड हैंड स्मोक के शिकार होते हैं और घर से बाहर यानि सार्वजनिक स्थानों पर, विशेष रूप से सार्वजनिक परिवहन और रेस्तरां में, 29 फीसदी स्मोकर्स सेकेंड हैंड स्मोक के शिकार होते हैं.

सिर और गर्दन के कैंसर का अकेला सबसे बड़ा कारण है तंबाकू
तंबाकू नामक महामारी आज दुनिया के समक्ष खड़े सबसे बड़े जनस्वास्थ्य खतरों में से एक है. इससे साल भर में लगभग सात मिलियन से अधिक लोगों की मौतें हुई हैं. इनमें से छह मिलियन से अधिक मौतें सीधे तंबाकू के चलते हुई हैं, जबकि 8,90,000 से अधिक मौतें अप्रत्यक्ष धूम्रपान के चलते हुई हैं. दुनिया भर में धूम्रपान करनेवाले एक बिलियन लोगों में से लगभग 80 प्रतिशत निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के हैं, जहां तंबाकू संबंधी बीमारी एवं मृत्यु के मामले सबसे अधिक हैं. यह जानकारी डाॅ शांतनु पांजा, वरिष्ठ सलाहकार, ईएनटी/हेड एवं नेक सर्जरी विभाग , अपोलो जेनिएगल्स हाॅस्पिटल, कोलकाता ने दी. उन्होंने बताया कि तंबाकू के उपयोग में सिगरेट पीना, सिगार या पाईप पीना, तंबाकू चबाना, और सूंघनी का प्रयोग शामिल है. यह सिर और गर्दन के कैंसर का अकेला सबसे बड़ा जोखिमपूर्ण कारक है. सिर और गर्दन के कैंसर के पच्चासी प्रतिशत मामले तंबाकू के उपयोग से जुड़े हैं, तंबाकू के उपयोग की मात्रा प्रोग्नोसिस को प्रभावित कर सकता है, जिसमें रिकवरी की संभावना होती है. इसके अलावा, अप्रत्यक्ष धूम्रपान के चलते सिर और गर्दन का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. डॉ पांजा ने बताया कि धूम्रपान करनेवालों की तुलना में धूम्रपान करनेवालों में मुंह का कैंसर होनी की संभावना 27 गुना अधिक और लैरिग्नियल कैंसर की संभावना 12 गुना अधिक है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें