दरअसल कांग्रेस चुनावों में मिल रही लगातार हार और पार्टी का दामन छोड़ कर जाते नेताओं के कारण अस्तित्व बचाने को संघर्ष कर रही है. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और ममता बनर्जी के बीच आगामी राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति पर चर्चा को लेकर 16 मई को नई दिल्ली में हुई बैठक ने राज्य के कांग्रेस नेतृत्व को खफा कर दिया है. राज्य के कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि तृणमूल के साथ किसी भी किस्म की दोस्ती उसके लिए घातक साबित हो सकती है, जो तृणमूल की दूसरे दल के विधायकों को अपने साथ लेने की नीति के चलते अपने समर्थक आधार को एकजुट करने के लिए कांग्रेस संघर्ष कर रही है. बंगाल कांग्रेस को यह भी डर है कि भाजपा इस मुद्दे का फायदा उठा कर राज्य में कांग्रेस के वोट काट देगी.
ऐसे समय जब तृणमूल हिंसा या विधायकों को तोड़ने जैसे तरीकों का इस्तेमाल करके राज्य में कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश कर रही है, तब तृणमूल और हमारे शीर्ष नेतृत्व के बीच मुलाकात से गलत संदेश जा रहा है. श्रीमती मुंशी ने कहा कि पार्टी के वे कार्यकर्ता जिनकी तृणमूल के गुंडों ने स्थानीय निकाय चुनाव के दिन पिटाई की थी, उन्हें यह विश्वास दिलाना बेहद मुश्किल है कि कोई समझौता नहीं होने जा रहा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने 13 मई को सोनिया गांधी को पत्र लिख कर कहा था कि राष्ट्रीय राजनीति में वह ऐसा कोई समीकरण ना बनायें, जिससे राज्य में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचता हो.