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होम्योपैथी का एडवांस्ड रिसर्च सेंटर खुलेगा

आइआइइएसटी कैंसर के प्रारंभिक डायग्नोसिस के लिए सेंटर में अनुसंधान कार्य होंगे कोलकाता. बदलती जीवन शैली के कारण लोगों में कैंसर जैसी बीमारी की संभावना बढ़ रही है. इस रोग की रोकथाम व समय पर सचेतनता के लिए इंडियन इन्सटीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आइआइईएसटी) ने एक विशेष पहल की है. इस संस्थान में […]

आइआइइएसटी
कैंसर के प्रारंभिक डायग्नोसिस के लिए सेंटर में अनुसंधान कार्य होंगे
कोलकाता. बदलती जीवन शैली के कारण लोगों में कैंसर जैसी बीमारी की संभावना बढ़ रही है. इस रोग की रोकथाम व समय पर सचेतनता के लिए इंडियन इन्सटीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आइआइईएसटी) ने एक विशेष पहल की है. इस संस्थान में मानव शरीर में कैंसर सेल का पहले ही डायग्नोसिस करने के लिए अनुसंधान करने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. इसके लिए कुछ स्कॉलर व विशेषज्ञों को नियुक्त किया गया है.
यह जानकारी आइआइईएसटी के निदेशक एके राय ने दी. उन्होंने बताया कि हमें इस बात की खुशी है कि आयूष मंत्रालय ने हमारे संस्थान को होम्योपैथी के एडवांस्ड रिसर्च केंद्र के रूप में चुना है. आइआइईएसटी को 11 करोड़ रुपये आयूष मंत्रालय द्वारा अनुदान के रूप में दिये गये हैं.
यह अनुदान होम्योपैथी में एडवांस्ड अनुसंधान करने के लिए भोलानाथ चक्रवर्ती सेंटर खोलने के लिए प्रदान किये गये हैं. इस केंद्र से छात्रों को भी नयी जानकारियां मिलेंगी. होम्पयोपैथी के एक विशेषज्ञ का कहना है कि देश के अधिकतर लोग एलोपैथी को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन होम्पयोपैथी के पीछे भी एक साइंस काम करती है, लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. राज्य में चिकित्सा अनुसंधान के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं.
एलोपैथिक उपचार के अलावा होम्योपैथी के क्षेत्र में भी नये प्रयोग व अनुसंधान किये जा रहे हैं. आइआइईएसटी को अनुदान की पहली किश्त मिल चुकी है. इस काम के लिए अनुसंधान की प्रक्रिया व प्रगति पर जाने-माने होम्योपैथ व हावड़ा के मेयर रथिन चक्रवर्ती द्वारा निगरानी की जायेगी. वे महान होम्पोपैथ भोलानाथ चक्रवर्ती के पुत्र हैं.
अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य यही है कि मानव शरीर में पैदा होने वाले कैंसर सेल की प्रारम्भिक जांच के लिए अनुसंधान करना, ताकि कैंसर सेल अन्य स्वस्थ सेल को नष्ट न कर सकें. उत्तेजक बीमारियों के लिए होमयोपैथिक दवाइयों का क्या असर पड़ता है, इसका भी अध्ययन केंद्र में किया जायेगा. कुछ लोगों की धारणा है कि जर्मन व अमेरीकन होम्योपैथिक ड्रग्स, भारतीय ड्रग्स से ज्यादा अच्छे हैं. हमारे अनुसंधान से कई क्वालिटी ड्रग्स भी बनाये जायेंगे.
होम्पयोपैथी के पीछे भी एक साइंस काम करती है. एक कैंसर विशेषज्ञ का कहना है कि एलाैपेथिक पर ज्यादा रिसर्च होनी चाहिए, क्योंकि लोग ज्यादा उसी से उपचार करवाते हैं. वहीं दूसरी ओर होम्योपैथ विशेषज्ञ रथीन चक्रवर्ती का कहना है कि मॉडर्न मेडिकल साइंस में अगर अनुसंधान किये जाएं तो होम्योपैथी भी कई बिंदु से महत्वपूर्ण व प्रासंगिक हो सकता है.

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