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शहर के नक्शे से गायब हो चुके कब्रिस्तान
रवींद्र सरोवर स्थित नजरूल मंच की जगह पहले कब्रिस्तान था कोलकाता देश के उन चंद गिने-चुने शहरों में से भी एक है, जहां केवल हिंदू, मुसलमान व इसाइयों के अंतिम संस्कार के स्थान ही नहीं, बल्कि यहूदियों, पारसियों, आर्मेनियन लोगों के कब्रिस्तान हैं. इनमें से कई ऐसे कब्रिस्तान व श्मशान भी हैं, जिनका आज नामोनिशान […]
रवींद्र सरोवर स्थित नजरूल मंच की जगह पहले कब्रिस्तान था
कोलकाता देश के उन चंद गिने-चुने शहरों में से भी एक है, जहां केवल हिंदू, मुसलमान व इसाइयों के अंतिम संस्कार के स्थान ही नहीं, बल्कि यहूदियों, पारसियों, आर्मेनियन लोगों के कब्रिस्तान हैं. इनमें से कई ऐसे कब्रिस्तान व श्मशान भी हैं, जिनका आज नामोनिशान तक खत्म हो गया है.
मुश्ताक खान
कोलकाता : कसियाबागान मुसलिम कब्रिस्तान पार्क सर्कस इलाके में कसियाबागान मुसलिम कब्रिस्तान भी शहर के नक्शे से गायब हो चुके कब्रिस्तान की तालिका में शामिल है. आज इस कब्रिस्तान का यहां कोई नामोनिशान नहीं है. कब्रिस्तान की जगह वुडबर्न पार्क व कलकत्ता साउथ क्लब वजूद में आ चुके हैं. हालांकि इस कब्रिस्तान का पूरा रिकॉर्ड मौजूद है. इसे 1858 में बंद कर दिया गया था.
नारकेलडांगा रेल ब्रिज मुसलिम कब्रिस्तान
नारकेलडांगा में रेल पुल के पास स्थित पीर बाबा की दरगाह सांप्रदायिक सौहार्द का एक जीता-जागता नमूना है. हिंदू व मुसलमान समेत सभी धर्म व समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मजार पर अपनी मुरादें ले कर आते हैं. शहर के पुराने नक्शे बताते हैं कि आज जहां पर रेल की पटरियां हैं, वहां कभी एक मुसलिम कब्रिस्तान था, पर आज इस मजार को छोड़ कर वहां कब्रिस्तान का कोई नामोनिशान नहीं है.
हरिनाथ दे रोड मुसलिम कब्रिस्तान
उत्तर कोलकाता के हरिनाथ दे रोड में भी कभी एक मुसलिम कब्रिस्तान था. पर अब यहां कब्रिस्तान के नाम पर केवल हजरत मेहताब अली शाह बाबा का मजार बाकी रह गया है. स्थानीय मुसलमानों को भी यह पता है कि एक समय यहां पर एक कब्रिस्तान था, पर इसे साबित करने के लिए उनके पास कोई प्रमाण नहीं है.
कोलूटोला स्ट्रीट यहूदियों का कब्रिस्तान
1847-49 में हुए एक सर्वे के दौरान बने एक नक्शे में कोलुटोला स्ट्रीट स्थित यहूदियों के इस कब्रिस्तान का जिक्र मिलता है. पर वर्तमान में यहा एक इमारत बनी हुई है. स्थानीय लोग इसे कब्रिस्तान बाजार के नाम से जानते हैं. कुछ पुराने लोगोे के जेहन में भी यहां एक कब्रिस्तान की याद है, पर कोलकाता जूइश बोर्ड के पास भी इस कब्रिस्तान का कोई रिकॉर्ड नहीं है.
यूसी बनर्जी रोड यहूदी कब्रिस्तान
महानगर के यूसी बनर्जी रोड पर यहूदियों के कब्रिस्तान में सात कब्रें हैं आैर सभी अच्छी हालत में हैं, पर यह कब्रिस्तान आज एक व्यक्ति के आंगन का एक हिस्सा मात्र रह गया है. मजे की बात यह है कि इस घर का मालिक व उसके परिवार के अन्य सदस्य इन कब्रों पर रोजाना हिंदू परंपरा के अनुसार अगरबत्ती जला कर व गेंदे का फूल डाल कर पूजा करते हैं.
नॉर्थ पार्क स्ट्रीट सेमिटरी
यह कब्रिस्तान आज पूरी तरह खत्म हो गया है. 1953 में इस कब्रिस्तान को पूरी तरह साफ कर दिया गया. फिलहाल इसकी जमीन पर असेंबली ऑफ गॉड चर्च एवं मर्सी अस्पताल है. यहां केवल एक समाधि के पत्थर को संरक्षित रखा गया है, जो बंगाल के पहले प्रोटेस्टेंट मिशनरी जोहान जाचरिया कीरनेंडर की पत्नी एन कीरनेंडर की है. उनकी समाधि का पत्थर असेंबली ऑफ गॉड चर्च की इमारत के अंदर मौजूद है.
नजरूल मंच
रवींद्र सरोवर लेक इलाके में स्थित नजरूल मंच को 1970 में चालू किया गया था, यहां विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, पर शायद इस शहर के चंद लोगों को ही पता होगा कि रवींद्र सरोवर लेक से पहले इस जगह पर क्या था. लेक के पास मौजूद एक मसजिद यह कहानी बयान करती है कि इस स्थान पर पहले एक मुसलिम कब्रिस्तान था.
शहर के कुछ पुराने नक्शों में भी इस जगह पर कब्रिस्तान होने की पुष्टि होती है. इस कब्रिस्तान की एक कब्र अभी भी यहां मौजूद है. संगमरमर से ढकी यह कब्र किसी बेदी की तरह लगती है, पर हकीकत में यह एक कब्र है. लेकिन इस बात की जानकारी नहीं है कि इस कब्र में कौन दफन है.
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