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राज्य को गोरखालैंड कानून के खिलाफ हाइ कोर्ट का आदेश दाखिल करने का निर्देश

कोलकाता/नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार से उस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को दाखिल करने को कहा जिसमें गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन अधिनियम के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी है. प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल को सभी […]

कोलकाता/नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार से उस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को दाखिल करने को कहा जिसमें गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन अधिनियम के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी है.
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल को सभी लंबित मामलों में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेशों को रिकॉर्ड में रखने की जरूरत है, जिसमें गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती दी गयी है. पीठ में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि वे उच्च न्यायालय के आदेशों का अध्ययन करना चाहेंगे साथ ही उन्होंने गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन की याचिका पर सुनवाई की तारीख 20 अप्रैल को निर्धारित कर दी.
जीटीए की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव ने कहा कि यह एक निर्वाचित निकाय है और राज्य सरकार इसके तहत आनेवाले क्षेत्रों के लिए निकाय चुनाव भी नहीं करा रही है. इससे पहले जीटीए ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाकर पश्चिम बंगाल सरकार के उसे प्रशासनिक शक्तियां अंतरित करने से इंकार करने को चुनौती दी थी. जीटीए का दावा था कि राज्य सरकार ने गोरखा आंदोलनकारियों, राज्य और केंद्र के बीच 2011 में हुए त्रिपक्षीय समझौते के बावजूद ऐसा किया.

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